शौक नहीं, युवाओं की ज़रूरत बनता जा रहा है नशा 

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शौक नहीं, युवाओं की ज़रूरत बनता जा रहा है नशा शराब के लिए दुकानों पर लगी रहती है युवाओं की भीड़।

अश्वनी द्विवेदी/नरायन दत्त

लखनऊ। राजधानी लखनऊ के मुख्यालय से 40 किमी दूर स्थित मोहनलालगंज की 84 ग्राम पंचायतों के युवकों ने पहले तो शौक में नशा करना शुरू किया लेकिन धीरे-धीरे अब ये नशा उनकी जरूरत बन गया है।

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मोहनलालगंज की ग्राम पंचायत भदेसुआ के प्रधान और प्रधान संघ अध्यक्ष कन्हैया लाल यादव बताते हैं, “भदेसुआ सहित ब्लॉक के सिसेंडी, भीलमपुर, बहुन्द्रि, उत्तरगांव, गोदरा, अयोध्या खेड़ा, रायपुर के साथ पूरे ब्लॉक में नशे का जाल फैल चुका है। नशा करने के लिए युवा कहीं भी अपना ठिकाना ढू़ढ़ लेते हैं। कहने को तो वे घर से खेतों में काम करने के लिए निकलते हैं लेकिन किसी और ही इरादे से। वे खेतों में अपने साथियों के साथ चिलम सुलगाते हैं।”

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनियाभर में 54 लाख लोग नशे के चलते जान गंवा रहें हैं। इनमें से नौ लाख लोगों की मौत प्रतिवर्ष भारत में होती है। प्रतिदिन हमारे देश में 2500 लोगों की मौत तंबाकू और अन्य नशे के चलते हो रही है। सिसेंडी गाँव के राधेश्याम तिवारी (55 वर्ष) बताते हैं, “युवा लड़कों में मसाला, सिगरेट, बीड़ी तो आम बात है, लेकिन अब ये गांजा, चरस और शराब में डूबते जा रहे हैं। पता नहीं ये सारी चीजें इन्हें कहां से उपलब्ध हो रहीं हैं।”

ऐसे ही युवाओँ की इस बुरी लत से परेशान हिलंगी ग्राम के पूर्व प्रधान भगवती प्रसाद बताते हैं, “यहां के युवा तम्बाकू से लेकर अफ़ीम और अंग्रेजी से लेकर देसी शराब तक पीते हैं। इन लड़कों को चाहे जितना समझाओ मानते नहीं।”

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