किसान कर्ज़ के लिए दे रहे हैं जान, कारोबारियों पर करोड़ों उधार

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किसान कर्ज़ के लिए दे रहे हैं जान, कारोबारियों पर करोड़ों उधारगाँव कनेक्शन

भुबनेश्वर।रिज़र्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन का मानना है कि भारत में बुनियादी सुधारों की रफ्तार को तेज करना ‘राजनीतिक दृष्टि से मुश्किल’ काम है। हालांकि गवर्नर ने बैंकों के बही खाते को साफ सुथरा करने और मुद्रास्फीति को अंकुश में रखने पर जोर दिया जिससे तेज वृद्धि हासिल की जा सके। बीते कुछ दिनों में इन्हीं कड़े रुख वाले फैसलों के चलते राजन को देश के राजनैतिक खेमे से विरोध का सामना करना पड़ा है।

हाल ही में भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने राजन पर देश की अर्थव्यवस्था को जानबूझकर नुकसाने पहुंचाने के आरोप लगाते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करी थी कि राजन को तुरंत उनके पद से हटा दिया जाए। संयोगवश यह आदेश रघुराम राजन के उस आदेश के कुछ महीनों बाद ही आया जिसमें उन्होंने देशभर के बैंकों से अपनी रिकॉर्ड्स साफ करने के लिए बड़े पूंजीपतियों से सख्ती से रुका कर्ज वसूलने की बात कही। 

राष्ट्रीय अखबार ‘द हिंदू’ की एक रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा कर्ज वाले देश के दस व्यापार घरानों के ऊपर कुल 5 लाख करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है। इन घरानों पर 2 लाख करोड़ रुपए तक के असेस्ट्स बेचकर कर्ज चुकाने के लिए दबाव बनाया जाएगा।रिपोर्ट के मुताबिक अकेले अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप पर 1 लाख 21 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है, जिसके सालाना ब्याज की कीमत 8,299 करोड़ रुपए है।

अपने इस लोन को चुकाने के लिए रिलायंस ग्रुप अपनी कंपनी रिलायंस कम्यूनिकेशन से 44,000 मोबाइल टावर (22000 करोड़ रु) और ऑपटिक फाइबर नेटवर्क (8,000 करोड़ रु) बेचने जा रहा है। रिलायंस कम्यूनिकेशन पर 40,000 करोड़ रुपए का कर्ज है। इसी तरह रिलायंस इंफ्रा पर नवंबर 2015 तक 25,000 करोड़ रुपए का कर्ज था, कंपनी अपनी मुम्बई की विद्युत उत्पादन, ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन इकाई का 49 प्रतिशत हिस्सा बेच रही है। इससे कर्ज के 7,000 करोड़ रुपए जुटाए जा सकेंगे। कंपनी अपना सीमेंट बिजनेस 4,800 करोड़ रुपए में बिड़ला को बेचने जा रही है। कंपनी 9,000 करोड़ का अपना सड़कों का पोर्टफोलियो भी बेचने की तैयारी में है। इन सब उपायों से इस साल के अंत तक कंपनी अपने कर्ज से मुक्ति पाने की ओर बढ़ने की कोशिश कर रही है।

रिलायंस ग्रुप की तीसरी कंपनी रिलायंस कैपिटल पर 24,000 करोड़ रुपए का लोन है। कंपनी कई भागों में अपनी लाइफ इंश्येरेंस और म्यूचल फंड बिजनेस को निप्पोन लाइफ इंश्योरेंस को बेचकर 3,461 करोड़ रुपए जुटा चुकी है। कंपनी नॉन-कोर असेट्स बेचकर वित्तीय वर्ष 2016-17 के अंत तक अतिरिक्त 4,000 करोड़ रुपए जुटाने का प्रबंध कर रही है। अनिल अंबानी अपना 1500-2000 करोड़ रुपए का रिलायंस ब्रॉडकास्ट नेटवर्क लि. का बिजनेस खत्म करने मीडिया एवं इंटरटेन्मेंट बिजनेस से भी निकलना चाहते हैं। 

शीर्ष 10 कर्जदारों में आने वाले अन्य कॉर्पोरेट घरानों के मार्च 2015 तक के ऋणों का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में बताया गया कि है कि एस्सार ग्रुप पर 1 लाख 14 सौ करोड़ रुपए, अडानी समूह पर 96,031 करोड़ रुपए, जेपी ग्रुप पर 75,000 करोड़ रुपए, जीएमआर ग्रुप पर तक 47,738 करोड़ रुपए, लैंको ग्रुप पर 47,102 करोड़ रुपए, वीडियोकॉन ग्रुप पर 45,405 करोड़ रुपए, जीवीके ग्रुप पर 34,000 करोड़ रुपए, मुकेश अंबानी की रिलायंस इण्डस्ट्रीज़ पर एक लाख 87 हज़ार करोड़ रुपए, टाटा ग्रुप पर 72,144 करोड़ रुपए का कर्ज है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे ये ग्रुप रिलायंस की तरह ही अपने असेस्ट्स बेंचकर कर्ज चुकाने की व्यवस्था कर रहे हैं।

 

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