अप्रैल-मई महीने में आम और लीची की खेती करने वाले किसान निपटा लें ज़रूरी काम

इस समय आम और लीची दोनों के फल मटर के बराबर या उससे कुछ बड़े हो गए हैं; इस अवस्था में बागवान जानना चाह रहे हैं कि क्या करें क्या न करें।

Dr SK SinghDr SK Singh   23 April 2024 7:43 AM GMT

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अप्रैल-मई महीने में आम और लीची की खेती करने वाले किसान निपटा लें ज़रूरी काम

उत्तर भारत में अप्रैल और मई आम और लीची के बागों के लिए महत्वपूर्ण महीने होते हैं क्योंकि ये बढ़ते मौसम और फल लगने की शुरुआत को चिह्नित करते हैं। इस अवधि के दौरान सही उपायों को लागू करना स्वस्थ विकास सुनिश्चित करने, उपज को अधिकतम करने और बीमारियों और कीटों को रोकने के लिए ज़रूरत होती है।

कटाई छँटाई होती है ज़रूरी

कटाई छँटाई पेड़ों के आकार को बनाए रखने, सूरज की रोशनी के प्रवेश में सुधार और वायु परिसंचरण को सुविधाजनक बनाने में मदद करती है, जो बीमारियों को रोकने के लिए ज़रूरी है। नई वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए मृत, रोग ग्रस्त या क्षतिग्रस्त शाखाओं को हटा देना चाहिए।

एक संतुलित कैनोपी संरचना प्राप्त करने के लिए मुख्य शाखाओं का चयन और मार्गदर्शन करके युवा पेड़ों को एक छतरी जैसा बनाते हैं।

इस समय पोषण का भी रखें ध्यान

आम और लीची के पेड़ों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम से भरपूर संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करें। लीची में प्रति पेड़ 300 ग्राम यूरिया 250 ग्राम पोटेशियम सल्फेट पेड़ के चारों तरफ रिंग बनाकर प्रयोग कर दें। यदि आपका आम का पेड़ 10 वर्ष या 10 वर्ष से ज्यादा है तो उसमे 500-550 ग्राम डाइअमोनियम फॉस्फेट ,850 ग्राम यूरिया और 750 ग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश और 25 किग्रा खूब अच्छी तरह से सड़ी गोबर की खाद पौधे के चारों तरफ मुख्य तने से 2 मीटर दूर रिंग बना कर खाद और उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए।

अगर आपका पेड़ 10 वर्ष से छोटा है तो उर्वरकों की मात्रा में 10 से भाग दें और इसके बाद पेड़ की उम्र से गुणा कर दें। वहीं उस पेड़ के लिए उपयुक्त डोज होगी। बाग की विशिष्ट उर्वरक आवश्यकताओं को निर्धारित करने के लिए मिट्टी परीक्षण पर विचार करें।

सिंचाई का रखें खास ध्यान

फल विकास चरणों के दौरान मिट्टी की पर्याप्त नमी का स्तर बनाए रखें। इस समय बागवान को बाग में हल्की-हल्की सिंचाई शुरू कर देनी चाहिए। इसके पहले सिंचाई करने से फल झड़ने की संभावना ज्यादा रहती हैं। पानी को संरक्षित करने और खरपतवार की वृद्धि को कम करने के लिए ड्रिप सिंचाई या मल्चिंग लागू करें। नियमित रूप से मिट्टी की नमी की निगरानी करें और मौसम की स्थिति के आधार पर सिंचाई कार्यक्रम को समायोजित करें।


कीट और रोग प्रबंधन

आम के हॉपर, फल मक्खियों, एन्थ्रेक्नोज और पाउडरी फफूंदी जैसे कीटों और रोगों के संकेतों के लिए बागों की नियमित रूप से निगरानी करें। यदि अभी तक प्लानोफिक्स @1मिली प्रति 4 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव नहीं किया है तो तुरंत कर दें। बाग को हमेशा साफ सुथरा रखना चाहिए। थियाक्लोप्रिड युक्त कीटनाशकों का छिड़काव करने से आम फलों के छेदक कीटों (बोरर्स) को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।

गुठली बनने की अवस्था या मार्बल स्टेज में फलों पर छिड़काव किए गए कीटनाशकों से संतोषजनक परिणाम मिलते हैं।

क्लोरोपायरीफॉस @ 2.5 मिली प्रति लीटर पानी का छिड़काव करने से भी आम के फल छेदक कीट को प्रभावी ढंग से नष्ट किया जा सकता हैं। आम में फल मक्खी के प्रभावी नियंत्रण के लिए फेरोमेन ट्रैप @15 से 20 प्रति हेक्टेयर की दर से लगाएँ।

आम के बाग में इस समय मिली बग (दहिया कीट) कीट की समस्या ज्यादा विकट रूप से दिखाई दे रही है; यदि आप ने पहले इस कीट के प्रबंधन का उपाय नही किया है तो और दहिया कीट पेड पर चढ़ गया हो, तो ऐसी अवस्था में डाएमेथोएट 30 ईसी या क्विनाल्फोस 25 ई.सी.@ 2.0 मीली दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।

फल का झड़ना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। प्रारंभिक अवस्था में जितना फल पेड़ पर लगता है; उसका मात्र 4-7% फल ही पेड़ पर टिकता है, बाकी फल झड़ जाता है। इससे घबराने की ज़रूरत नहीं है। अनावश्यक कृषि रसायनों का छिड़काव नहीं करना चाहिए अन्यथा फल लगने की प्रक्रिया प्रभावित होती है।

एंथ्रेक्नोज और पाउडरी फफूंदी जैसी फफूंद जनित बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए निवारक रूप से कवकनाशी का इस्तेमाल करें। रोग के संक्रमण को कम करने के लिए गिरे हुए पत्तों और फलों के मलबे को हटाकर बाग की स्वच्छता बनाए रखें।

आवश्यकतानुसार हेक्साकोनाजोल @1 मिली लीटर प्रति लीटर की दर से छिड़काव करने से उपरोक्त दोनों बीमारियों की उग्रता में भारी कमी आती है।


मधुमक्खियाँ होती हैं किसानों की सच्ची दोस्त

आम और लीची के पेड़ परागण के लिए कीटों, मुख्य रूप से मधुमक्खियों पर निर्भर करते हैं। कुशल परागण सुनिश्चित करने के लिए बाग में या उसके आस-पास मधुमक्खी कालोनियों को बनाए रखें। इसके लिए मधुमक्खी के बॉक्स 20 से 25 बॉक्स प्रति हेक्टेयर की दर से रक्खे जाने चाहिए। फूल आने की अवधि के दौरान परागणकों के लिए हानिकारक कीटनाशकों का उपयोग करने से बचें।

तोड़ दें अतिरिक्त फल

आम और लीची के फलों के उचित विकास और आकार को सुनिश्चित करने अतिरिक्त फलों को हटा दें। इससे कम फलों को बढ़ने का मौका मिलेगा और फलों के भार से डालियों के टूटने का डर नहीं रहेगा।

खरपतवार नियंत्रण

पोषक तत्वों, पानी और धूप के लिए प्रतिस्पर्धा को कम करने के लिए बागों को खरपतवार मुक्त रखें। पेड़ों की जड़ों को नुकसान से बचाने के लिए यांत्रिक या रासायनिक खरपतवार नियंत्रण विधियों को लागू करें। जैविक पदार्थों से मल्चिंग करने से भी खरपतवार की वृद्धि को रोकने में मदद मिलती है और साथ ही मिट्टी की उर्वरता में भी सुधार होता है।

फलों की थैलियों में भरना

कागज़ या प्लास्टिक के कवर से आम और लीची के फलों को कीटों और धूप से होने वाली जलन से बचाएँ। फलों की थैलियों में भरना भी फलों की गुणवत्ता बनाए रखने और कीटनाशकों के इस्तेमाल की ज़रूरत को कम करने में मदद करता है।

फसल प्रबंधन

फलों की परिपक्वता पर बारीकी से नज़र रखें और अधिकतम स्वाद और शेल्फ़ लाइफ़ सुनिश्चित करने के लिए इष्टतम अवस्था में आम और लीची की तुड़ाई करें। परिवहन और भंडारण के दौरान चोट लगने और नुकसान से बचने के लिए काटे गए फलों को सावधानी से संभालें।

कटाई के बाद की हैंडलिंग

आकार, रंग और गुणवत्ता मापदंडों के आधार पर काटे गए फलों को छाँटें और ग्रेड करें। ताजगी बनाए रखने और शेल्फ़ लाइफ़ बढ़ाने के लिए फलों को उपयुक्त पैकेजिंग सामग्री में पैक करें। कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के लिए फलों को अनुशंसित परिस्थितियों में स्टोर करें।

रिकॉर्ड रखना

उर्वरक शेड्यूल, कीटनाशक का उपयोग, कीट और रोग प्रकोप और फसल की पैदावार सहित बाग़ की गतिविधियों का विस्तृत रिकॉर्ड बनाए रखें। रुझानों की पहचान करने और भविष्य के बाग़ प्रबंधन के लिए सूचित निर्णय लेने के लिए पिछले सीज़न के डेटा का विश्लेषण करें।

इन उपायों को प्रभावी ढंग से लागू करके, उत्तर भारत में आम और लीची उत्पादक बाग़ की उत्पादकता को अनुकूलित कर सकते हैं, फलों की गुणवत्ता बढ़ा सकते हैं और दीर्घकालिक सफलता के लिए टिकाऊ प्रबंधन प्रथाओं को सुनिश्चित कर सकते हैं।

Kisaan Connection #mango farming 

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