सिंचाई की नई विधियों के लिए करोड़ों का बजट पर किसानों को फायदा नहीं

Ravindra VermaRavindra Verma   30 May 2017 6:28 PM GMT

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सिंचाई की नई विधियों के लिए करोड़ों का बजट पर किसानों को फायदा नहींकरोड़ों रुपये का बजट भी खाते में है लेकिन लाभार्थियों की संख्या काफी कम है।

बाराबंकी। टपक/फुहारा सिंचाई से पानी की बचत, लागत में कमी, उत्पादन में वृद्धि व उच्च गुणवत्ता की फसल होती है। केंद्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर इस योजना के लिए मोटी सब्सिडी भी दे रहे हैं। करोड़ों रुपये का बजट भी खाते में है लेकिन लाभार्थियों की संख्या काफी कम है।

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पानी की बचत और खेती की लागत कम करने के लिए पिछले कई वर्षों से बूंद-बूंद सिंचाई समेत दूसरे विधियों को प्रोत्साहित करने की कवायद चल रही है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत किसानों को इसके लिए उद्यान विभाग द्वारा अनुदान भी दिया जा रहा है, जिसमें राज्य व केन्द्र सरकार मिलकर निर्धारित दर का 67% व 56% (क्रमशः लघु व सामान्य) अनुदान दिया जाना है। इसके लिए पूरे प्रदेश में बजट है परंतु कमोवेश हर जगह लाभार्थियों की कमी है। बाराबंकी में पहले योजना के लिए 20 लाख की धनराशि दी गयी थी, जिसके खर्च हो जाने पर और धनराशि का आवंटन होना था, परंतु लगभग 5 लाख ही अभी तक खर्च हो पाया है। जबकि 2016-17 समाप्ति पर है। योजना के तहत पहले तो किसानों ने बढ़चढ़ कर पंजीकरण कराया। कुछ ने अपनी मर्जी से तो कुछ कर्मचारियों ने ही विभाग के दबाव में आकर अपने क्षेत्र के किसानों का पंजीकरण करा डाला। बाराबंकी में रसूलपुर के किसान राम लोटन (61 वर्ष) कहते है, “ड्रिप सिस्टम तो बहुत अच्छा है, इससे बहुत लाभ है, परंतु मेरे पास पहले पैसे लगाने के लिए पूंजी नहीं है।”

बाराबंकी के जिला उद्यान अधिकारी जय करण सिंह कहते है, “लागत अधिक होने की वजह से किसान पहले लगाने में असमर्थता जता रहे हैं। प्रयास में हूं अंत तक लक्ष्य पूरा हो जाना चाहिए।” वहीं माइक्रो इरिगेशन के उत्तर प्रदेश में नोडल याधिकारी एलएमएल त्रिपाठी कहते हैं, “लाभार्थी रजिस्टर्ड कंपनियों को विश्वास में लेकर पोस्ट डेटेड चेक देकर भी योजना का लाभ ले सकते हैं।”

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