ओडीएफ गाँवों में भी आधा-अधूरा काम 

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
ओडीएफ गाँवों में भी आधा-अधूरा काम करोड़ का बजट बढ़ाया गया इस बार नमामि गंगे योजना में, जो अब 2,250 कराेड़ रुपये हो गया

बसंत कुमार, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

मेरठ। गंगा किनारे स्थित गाँवों में नमामि गंगे योजना के तहत शौचालयों के बने अभी साल भर नहीं हुए और अब उनका इस्तेमाल उपले और लकड़ी रखने के लिए हो रहा है। हैरानी की बात यह है कि जिला प्रशासन इनमें से कुछ गाँवों को ओडीएफ यानी खुले में शौच मुक्त भी घोषित कर चुका है।

ओडीएफ घोषित हो चुके हस्तिनापुर ब्लॉक के मखदुमपुर पंचायत में सभी को शौचालय नसीब नहीं हुआ है। स्थानीय निवासी राजू की मानें तो गाँव में सौ लोगों को शौचालय मिला है और बाकी लगभग सौ से ज्यादा लोगों को अभी तक शौचालय नसीब नहीं हुआ है। इस पंचायत में बने ज्यादातर शौचालयों में लोग उपले रख रहे हैं। यहाँ बने किसी शौचालय में दरवाजा नहीं है तो किसी में पॉट ही टूट गया है।

नमामि गंगे योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार बनते ही गंगा नदी को संरक्षित और स्वगच्छ करने के लिए किया गया था। सरकार ने इस योजना को एक मिशन का नाम दिया और इस साल नमामि गंगे योजना का बजट बढ़कर 2150 करोड़ रुपये से 2250 करोड़ रुपए कर दिया गया है। इस योजना के अंतर्गत नदी की ऊपरी सतह की सफ़ाई से लेकर बहते हुए ठोस कचरे की समस्या को हल करने, ग्रामीण क्षेत्रों की नालियों से आते मैले पदार्थ का निस्तारण और शौचालयों के निर्माण, शवदाह गृह का नवीनीकरण, लोगों और नदियों के बीच संबंध को बेहतर करने के लिए घाटों का निर्माण, मरम्मत और आधुनिकीकरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।

योजना के दो साल से ज्यादा वक़्त गुज़र जाने के बाद भी सरकार अपने मिशन में सफल नहीं दिख रही है। हस्तिनापुर ब्लॉक की पंचायत प्रमुख कुसुम सिद्धार्थ बताती हैं, ‘‘योजना का पूरा लाभ हमारे यहाँ के लोगों को नहीं मिला है। हम काम कराने के लिए प्रस्ताव देते रहे, लेकिन सरकार की तरफ से कोई भी काम हमारे यहाँ नहीं हुआ। शौचालय जो बने हैं, उसकी स्थिति तो सबके सामने है। हमारे क्षेत्र के लोग हर साल बाढ़ से प्रभावित होते हैं, लेकिन उनकी रक्षा के लिए यहाँ कोई इंतजाम नहीं हुआ है।

वहीं, मेरठ के पंचायती राज अधिकारी अनिल कुमार सिंह बताते हैं, ‘‘हमारे यहाँ हस्तिनापुर और परीक्षितगढ़ ब्लॉक के 11 पंचायत नदी के किनारे है। इनमें से नौ पंचायतों को हमने ओडीएफ कर दिया है। परीक्षितगढ़ और हस्तिनापुर दोनों ब्लाक में एक-एक पंचायत अभी बचे हुए हैं।

एक भी शवदाह गृह का नहीं हुआ निर्माण

योजना के अंतर्गत नदी किनारे के गाँवों में शौचालय के अलावा शवदाह गृह निर्माण और उसके नवीनीकरण की बात भी की गयी थी, लेकिन मेरठ में गंगा के पास बसे गाँवों में एक भी शवदाह गृह का निर्माण नहीं हुआ है। अभी भी दाह संस्कार नदी के किनारे किया जाता है। जलालपुर गाँव के रहने वाले शिवदयाल बताते हैं, ‘‘हमारे यहाँ अभी भी नदी के किनारे शव जलाए जाते हैं और कोई अगर कोई गम्भीर बीमारी से मरा होता है तो उसे नदी में फेंक देते हैं।

वहीं, इस संबंध में पंचायत अधिकारी अनिल सिंह बताते हैं कि परीक्षितगढ़ और हस्तिनापुर में पहले से दो शवदाह गृह मौजूद हैं। मगर योजना के बाद शवदाह गृह का निर्माण भी नहीं हो सका है। मगर हम जल्द ही निर्माण कराया जाएगा।

नालों का निर्माण भी नहीं

जडाका ग्राम पंचायत के ग्राम प्रधान सुरेश बाला बताते हैं कि पंचायत में अभी तक सिर्फ 30 शौचालय बने हैं। इसका पूरा पैसा भी अभी तक नहीं आया है। इसके अलावा नाला निर्माण का भी पैसा अभी तक नहीं मिला है। गंगा किनारे स्थित ज्यादातर गाँवों में अभी भी नाले का निर्माण नहीं हुआ है। पंचायती राज्य अधिकारी अनिल सिंह कहते हैं कि हमने नालों का निर्माण तो नहीं कराया, लेकिन डीएम महोदय इसको लेकर गंभीर है और जल्द ही इसपर काम किया जाएगा।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.