कैबिनेट के फैसले से आलू किसानों को मिल सकती है राहत
Sudha Pal 7 April 2017 12:19 PM GMT
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। आम तौर पर अच्छी पैदावार से किसान खुश होता है, लेकिन इस बार आलू की बम्पर पैदावार किसानों के लिए मुसीबत बनी हुई है। उन्हें न तो अपने आलू को स्टोर करने के लिए कहीं जगह मिल रही है और न ही उसकी कीमत मिल पा रही है। इन सब के बीच योगी कैबिनेट ने मंगलवार को एक निर्णय लिया है, जिसके बाद किसानो को राहत मिल सकती है।
खेती किसानी से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप
योगी सरकार की पहली कैबिनेट मीटिंग में आलू किसानों की बदहाली को ध्यान में रखा गया। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री और सरकार के प्रवक्ता मंत्री श्रीकांत शर्मा ने मंत्रिमंडल की मीटिंग के दौरान यूपी के आलू किसानों के हित में लिे गए फैसले का खुलासा करते हुए बातचीत के दौरान बताया कि सरकार ने पाया है कि आलू के उचित मूल्य किसानों को नहीं मिलते, इसके लिए कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी में तीन लोग शामिल हैं। सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए बताया यह कमेटी इस बात की योजना बनाएगी कि आने वाले समय में आलू का उत्पादन करने वाले किसान को किस तरह से राहत दी जा सके।
देशभर में आलू की कीमतें औंधे मुंह गिरीं जिसकी वजह से किसानों को खरीददार खोजे नहीं मिले। आलू पड़े-पड़े ही चिटक गए। यहां तक कि आलू को स्टोर करने के लिए उन्हें कोल्ड स्टोरेज में भी जगह नहीं मिली। इतना ही नहीं दिल्ली की आजादपुर मंडी में तो आलू की कीमत 300-500 रुपये प्रति कुंटल तक गिरकर पहुंच गई, जो 20 साल में सबसे कम रही। भविष्य में आलू किसान को इस तरह की भयानक स्थिति से ना गुजरना पड़े इसके लिए एक समिति बनाई गई है जो किसानों को राहत पहुंचाएगी।
ये भी पढ़ेें: कौड़ियों के भाव आलू- दिल्ली की मंडियों में 20 साल के निचले स्तर पर पहुंचीं कीमतें
कोई रेट निर्धारित नहीं है। अगर किसान को एक तय रेट में आलू बेचना हो ऐसी दिक्कत ही न आए। फिक्स रेट की पॉलिसी हो तो ठीक रहे। अभी तो हाल यह है कि हर जगह किसान अपने रेट में आलू बेच रहा है।हरीश चन्द्र (62 वर्ष), किसान, मछरा ब्लॉक, मेरठ
नंगली अबदुल्लागाँव के रहने वाले हरीश का कहना है अगर ऐसा होता है तो किसान भी सरकार पर आरोप नहीं लगा पाएंगे। उन्होंने कहा कि तय कीमत से किसानों को उत्पादन बेचने में दिक्कत नहीं आएगी, दाम भी अच्छे मिलेंगे। इस तरह उन्हें अपना उत्पाद सड़कों पर फेकने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
रेट के साथ अगर आलू का प्रसंस्करण किया जाए तो किसानों का उत्पादन खराब नहीं जाएगा। जिस तरह से राज्य के हर क्षेत्र में गेहूं के लिए आटा चक्की, सरसों के लिए कोल्हू की सुविधा उपलब्ध है, उसी तरह से आलू के लिे भी कुछ होना चाहिए जिससे उसकी खपत बढ़े। हर क्षेत्र में आलू के लिए भी इकाइयां होनी चाहिए जहां उनका प्रसंस्करण करके चिप्स जैसे खाद्य पदार्थ बनाए जाएं।हरीश चन्द्र, आलू किसान (मेरठ)
ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।
More Stories