#स्वयं फेस्टिवल : इन 200 बच्चों ने पहली बार देखा चिड़ियाघर

Rishi MishraRishi Mishra   20 Dec 2016 4:27 PM GMT

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#स्वयं फेस्टिवल : इन 200 बच्चों ने पहली बार देखा चिड़ियाघरकृष्णा पब्लिक स्कूल के लगभग 200 बच्चे इस भ्रमण का हिस्सा बने

साधना शुक्ला

लखनऊ। गाँव कनेक्शन फाउंडेशन के स्वयं फेस्टिवल 2016 की ओर से स्कूली बच्चों को शनिवार को नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान ले जाया गया। राजधानी के बंगला बाजार स्थित कृष्णा पब्लिक स्कूल के लगभग 200 बच्चे इस भ्रमण का हिस्सा बने।

छात्रों ने उद्यान में किताबी दुनिया से बाहर आकर वहां के जीव जन्तुओं को साक्षात देखा। स्वयं फेस्टिवल के जरिए आयोजित इस एक दिवसीय प्राणी उद्यान भ्रमण कार्यक्रम में प्राइमरी से लेकर कक्षा 8वीं तक के छात्र शामिल रहे। छात्रों को काफी कुछ सीखने को मिला। इन छात्रों के साथ स्कूलों के 25 शिक्षकों और स्कूल की प्रधानाचार्या ने भी यहां पहुंचकर मनोरंजन के साथ अपना ज्ञानार्जन किया।

छात्रों ने पूरे उद्यान में घूमकर हर तरह के वन्यजीवों को देखा, जिनसे उन्हें इनके रहने और खानपान के साथ मनुष्यों के प्रति उनके व्यवहार के बारे में जानकारी मिली। वहीं शिक्षकों ने भी इस आयोजन की सराहना की। शिक्षकों का मानना है कि आज के समय में बच्चों को ऐतिहासिक इमारतों और सांस्कृतिक विरासत तथा उनके महत्व के जानकारी कम मिल पा रही है। उन्हें इन सभी के बारे में पता तो है लेकिन केवल किताबों के पन्नों से। इसलिए उन्हें पता होना चाहिए कि चिड़ियाघर के नाम से जानी जाने वाली जगह असल में है क्या।

उनका कहना है बच्चों के लिए केवल किताबी ज्ञान पर्याप्त नहीं है। भ्रमण के बाद छात्रों से उनका यहां आने का अनुभव भी पूछा गया। जिससे छात्रों के उत्साह का पता चला। इसके साथ ही कुछ प्रश्नों के माध्यम से छात्रों से उन्हें यहां आकर मिले ज्ञानार्जन का पता लगाया गया।

चिड़ियाघर में स्वयं फेस्टिवल के दौरान वन्यजीवों को देखते बच्चे।

इन छात्रों में कुछ ऐसे भी छात्र थे जो पहली बार उद्यान आए हुए थे। इस अवसर के जरिए पहली बार इन ढात्रों छोटे से लेकर बड़े वन्यजीवों को करीब से देखा। छात्रों के मुताबिक इससे पहले उन्होंने केवल किताबों में ही चिड़ियाघर के बाहरे में जाना था। उन्होंने केवल किताबों के पन्नों पर छपे पशु पक्षियों की तस्वीर देखी थी। इसलिए यहां आकर वे बेहद खुश थे।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

  

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