पालेकर खाद्य जंगल पंच स्तरीय मॉडल में कैसे तैयार करें नारियल के पौधे

पद्मश्री डॉ सुभाष पालेकर की प्रेरणा से कई देशों में किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। गाँव कनेक्शन की इस ख़ास सीरीज में डॉ पालेकर आप सभी को खेती-किसानी से जुड़ी अनोखी यात्रा पर ले जा रहे हैं। इस सीरीज के तीसरे भाग में वे बता रहे हैं नारियल की बागवानी कैसे करें।

Dr Subhash PalekarDr Subhash Palekar   10 Aug 2023 6:30 AM GMT

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पालेकर खाद्य जंगल पंच स्तरीय मॉडल में कैसे तैयार करें नारियल के पौधे

नारियल के मूल स्थान या उत्पत्ति के बारे में तीन दावे सामने आये है। पॉलिनेशिया, मेलानेशिया और दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिणी अमेरिका भी। इन स्रोतों में भारत कहीं भी नहीं है, इसका अर्थ यह है कि नारियल के बीज फल समुद्र की धाराओं पर 120 दिनों तक तैरकर दक्षिण पूर्व एशिया से भारत के समुद्र किनारे के पूर्व तटीय क्षेत्र बंगाल, ओडिशा में और दक्षिणी अमेरिका से भारत के पश्चिमी तटीय क्षेत्र केरल, कर्नाटक में बहकर आए होंगे।

समुंदर की लहरों से तट से लगे ज़मीन पर आकर गिरे और धरती माता की गोद में उनका अंकुरण हुआ, बढ़ने लगे। फिर तटवर्ती किसानों को जब उस नारियल का महत्व मालूम हुआ, तब उन्होंने उसकी अधिकृत फसल लेना शुरू किया।

मैं मेरे शिविरों के संदर्भ में और शिवार फेरी के समय हर साल दक्षिण भारत जाता रहता हूँ। शिवार फेरी के दरम्यान मैंने किसानों को दिखाया कि नारियल के फल पेड़ पर पकने के बाद नीचे ज़मीन अपने-आप गिरते हैं और ऊँचे खरपतवार में छुप जाते हैं। गिरे फल जो सामने दिखाई देते हैं, उनको किसान उठाकर संग्रहण करते हैं, लेकिन कुछ छिपे हुए पके फल आँखों को दिखाई न देने से वे वहीं घास खरपतवार में छुपकर रहते हैं और बारिश में अपने आप अंकुरित होकर बढ़ने लगते हैं।


इसका अर्थ यह है कि नारियल के बीज भूमि में आने के बाद ईश्वरीय व्यवस्था के अनुसार अंकुरित होते ही है। यानी हमें पौधशाला नर्सरी से पौधे खरीदकर लाने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं है। नारियल के सर्वोत्तम बीज फलों को सीधे बगीचे में लगा सकते हैं, इस सत्य को स्वीकार करने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए।

सर्वोत्तम बीजों का चुनाव कैसे करना है?

1 - भारत के हर गाँव, कस्बों में और शहरों में थोक और खुदरा किराना दुकानों में व्यापारी सूखे नारियल के फलों को बेचने के लिए रखते हैं। उन दुकानों में जाकर नारियल के दाम पूछिए अगर वे अच्छी तरह पके सुखे फल का दाम 20 रुपए बताए, तब उन्हें कहना है कि मैं आपको (व्यापारी को) प्रति पके सूखे फल के लिए 25 रुपए दूंगा, मेरी शर्त यह कि फलों का चयन मैं करूँगा। व्यापारी खुश होकर आपको सहमति देंगे।‌

फिर बोरी में भरे नारियल के सूखे 10 पके फलों को नीचे डालिए। उनमें से ऐसे फल बीजों के रूप में चुनिए, जो पेड़ से जिस स्थिति में नीचे गिरा था उसी स्थिति में चोटी छिलके समेत है। उसकी चोटी छिलका निकाला नहीं गया है, उन्हें हाथों से हिलाना है। जिस सूखे खोपरे से आवाज़ आएगी उन फलों को ही बीज के लिए चुनना है।‌ अगर अंदर से आवाज़ नहीं आती है तब समझ जाना है कि फल परिपक्व नहीं है, बीज के लिए ठीक नहीं है।

जो फल सबसे बड़े आकार के हैं, फलों की चोटी घनी है, सुगठित है, फलों पर गिरते समय कोई चोट नहीं लगी है, फलों पर बीमारी के कोई लक्षण नहीं है, ऐसे फलों का चुनाव कीजिए। व्यापारी को अधिक दाम मिल रहे हैं और एक साथ इतने सारे नारियल बेंचे जा रहे हैं तब वे आपको अपना पूरा सहयोग करेंगे।


2 - अगर आप स्वयं नारियल उत्पादक हैं या आपके रिश्तेदार या मित्र का नारियल का बगीचा है, तब उनकी स्वीकृति लेकर नारियल के खड़े फलों से लदे बगीचे में अपने साथ लाल धागे के तीन फुट लंबाई के टुकड़े जेब में रखकर ले जाये। पहले बगीचे का सूक्ष्म निरीक्षण करना है। आपको देखना है जो नारियल के पेड़ ऊंचे हैं उनके तने का आकार चौड़ा और मज़बूत है ? तना पर कोई क्षति तो नहीं है और ऊपर पेड़ पर हरे स्वस्थ निरोगी पत्तों का छाता जैसा घेराव है ? पेड़ पर ज़्यादा गुच्छे लगे हैं या नहीं। हर गुच्छे में सबसे ज़्यादा स्वस्थ फल लगे हैं ? पेड़ अगर पूरी तरह स्वस्थ निरोगी है, तो ऐसे पेड़ों के तना पर पहचान के लिए लाल धागा बाँध दीजिए। इस तरह बीजों के लिए आवश्यक सर्वोत्तम पेड़ों का चुनाव करने की क्रिया आगे जारी रखे।

जब उन चुने नारियल पेड़ों के पूरी तरह परिपक्व सुखे फल नीचे गिरेंगे, उनको वहाँ से उठाकर घर में उनका सुरक्षित भंडारण कीजिये। बीज फल प्राप्ति के लिए पेड़ों से गुच्छे काटकर उतारना नहीं है। उन उतारे गुच्छे में सिर्फ 35 प्रतिशत अच्छी तरह पके फल होते हैं, बाकी अधपके फल होते हैं। सिर्फ अपने आप नीचे गिरे अच्छी तरह पके सूखे फलों का ही बीजों के रूप में उपयोग करना हैं।‌

संग्रहित अच्छी तरह पके सुखे फलों में से भी सर्वोत्तम रेशेदार घने चोटी वाले 1.2 किलो से 2 किलो प्रति फल भार होने वाले फलों का दूसरा चुनाव करना है। यह चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद उन फलों को पानी का संस्कार करना है।

बीज फलों पर अंकुरण के लिए संस्कार कैसे करना है?

चयनित बीज फलों को टंकी में भरे पानी में तीन दिन तक भीगने के लिए रखें। पहले फल पानी पर तैरने लगेंगे। जैसे जैसे फलों के अंदर पानी प्रवेश करेगा वैसे वैसे फल पानी में नीचे डूबने लगेंगे। तीन दिन तक पानी में भिगोकर रखने के बाद फलों को पानी से बाहर निकालना है और इन फलों को घर के अंदर घनी छाया में कतार में चोटी ऊपर रहेगी इस तरह एक दूसरे से सटकर खड़े रखिए। बाद में उन रखे बीज फलों को काले रंग के घने प्लास्टिक कागज से इस तरह ढककर रखिए ताकि फल अंधेरे में रहेंगे।

ऊंची उत्कृष्ट किस्मों (बानावली, वेस्ट कोस्ट टॉल, ईस्ट कोस्ट टॉल, लक्षद्वीप ऑर्नडरी, फ़िलीपीन्स आर्डिनरी, कप्पादम) के बीज फलों को बुवाई के पहले 15 से 60 दिन तक अंधेरे में रखना है और बौनी किस्में (मलेशियन येलो ड्वार्फ, अंदमान ड्वार्फ, चौघाट ड्वार्फ ग्रीन, लोटन, मलेशियन ड्वार्फ ग्रीन, मलेशियन ड्वार्फ ऑरेंज) के बीज फलों को 15 से 30 दिनों तक अँधेरे में रखना है।


जैसे ही बीज फल अंकुरित हो जाएँगे, उन्हें बीजामृत में कुछ क्षण डुबोकर बगीचे में जहाँ नारियल पेड़ खड़े करना है, वहाँ बीजों को चोटी का थोड़ा हिस्सा ज़मीन की सतह से ऊपर रख कर लगाना है। हमारे पास पर्याप्त समय है, नारियल बीजों को हम अंकुरित होने के बाद लगा रहे हैं। एक ही समय नहीं लगाना है, क्यों कि सभी बीज फल एक साथ अंकुरित नहीं होते। जैसे जैसे बीज फल अंकुरित होते जाएँगे, वैसे वैसे हम बीजों को लगाते जायेंगे।

हम बीजामृत का संस्कार करके नारियल के बीज फलों को सीधे बगीचे में जहाँ पेड़ खड़े करना है उन जगहों पर गड्ढे में भी लगा सकते हैं। इन गड्ढों में लगाएँ बीज फल अनुकूल वातावरण दशाओं और समुचित प्रबंधन के अंतर्गत बीज फल बुआई के 8 से 10 सप्ताह बाद अंकुरित होना शुरू करते हैं और 5 महीनों में 90 से 95 प्रतिशत तक अंकुरण हो जाता है।

जो बीज फल सीधे बगीचे में नहीं लगाना चाहते हैं, वे पौधशाला (नर्सरी) से पौधे खरीदकर लगा सकते हैं, उन्हें हमारी रोक-टोक होने का सवाल ही पैदा नहीं होता। मैंने आपके सामने दो विकल्प रखे हैं, उन में से कौन-सा विकल्प चुनना है, यह आपका संवैधानिक अधिकार है।

सुभाष पालेकर कृषि से चलाई जा रही पाठशालाओं के पते आपको यहाँ भी दे रहा हूँ। वहाँ से नारियल के जिन किस्मों के पौधे आपको चाहिए उन्हें मंगा सकते हैं।

1 - अरविंद अमृते, आशिका नर्सरी, रत्नागिरी कोंकण महाराष्ट्र- 9422443740, शिशिर चाचड 9867683259, 9820210545

2 - संजय कोरडे, हायटेक नर्सरी, पुणे, महाराष्ट्र- 9822900546, 8329399801

3 - भाई महेश 9049431068, माऊली कोरडे 9881879814

#coconut farming #Subhash Palekar 

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