बारिश होते ही ग्रामीणों की बढ़ जाती है मुसीबत

Sujeet AgrihariSujeet Agrihari   30 Jun 2017 11:34 AM GMT

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बारिश होते ही ग्रामीणों की बढ़ जाती है मुसीबतप्रतीकात्मक तस्वीर

स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

शोहरतगढ़। मानसून आने वाला है। अधिकारियों ने तटबंधों का निरीक्षण कर बाढ़ से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है। अगर पहाड़ों पर जमकर बरसात हुई तो तहसील क्षेत्र के नदी-नालों पर बसे 51 गाँवों में बाढ़ आने की संभावना है। पिछले वर्ष आई बाढ़ को ध्यान में रखते हुए तहसील प्रशासन ने नदी-नालों पर बसे गाँवों में वर्षा व जलस्तर की रिपोर्टिंग की लेखपालों को जिम्मेदारी सौंपी है।

तहसील क्षेत्र में बूढ़ी राप्ती व बानगंगा नदी के साथ सोतवा नाला (कंचनिया), घोरही नाला व धनधरा नाले से होकर पहाड़ों का पानी गुजरता है। इन्हीं नदीं-नालों पर तहसील क्षेत्र के 51 गाँव बसे हुए हैं, जो पहाड़ों से बरसात का अधिक पानी आने से तबाही का कारण बन जाता है। मई खत्म होते ही जल्द ही मानसून के दस्तक देने की संभावाना है। इसे लेकर तहसील के जिम्मेदारों की नींद उड़ गई है और जिम्मेदारों ने नदी-नालों का निरीक्षण कर जलस्तर जानना शुरू कर दिया है। हालांकि नदी-नालों के पानी का जलस्तर अभी कम होने से जिम्मेदार आराम से बैठे हैं, लेकिन जिस दिन पहाड़ों पर जमकर बरसात हुई उस दिन से बाढ़ की स्थिति बनने लगेगी।

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बाढ़ से निपटने की तैयारियां पूरी

बाढ़ से निपटने के लिए तहसील प्रशासन ने तैयारियां पूरी कर रखी हैं। स्थानीय लोगों को घरों से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए बांसी, अयोध्या व फैजाबाद के नाविकों से तहसील के जिम्मेदारों ने संपर्क कर लिया है, जरूरत पड़ने पर बुला लिया जाएगा। सरकारी गोदामों में गेहूं, चावल की पर्याप्त व्यवस्था कर ली गई है। मिट्टी के तेल की व्यवस्था भी हो चुकी है।

एसडीएम सत्यप्रकाश सिंह ने बताया बाढ़ से बचने के लिए सतर्कता बरती जा रही हैं। लेखपालों को अलर्ट कर दिया गया है। बाढ़ से निपटने की सारी तैयारी पूरी हो चुकी है। नदी-नालों का जलस्तर कम है, जैसे ही जलस्तर बढ़ना शुरू होगा नाविकों को बुला लिया जाएगा। खाद्यानों को सरकारी गोदामों में रखा दिया गया है। राहत शिविर के स्थानों का भी चुनाव कर लिया गया है।

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