गांव कनेक्शन सर्वे: इंटरनेट से जानकारी हासिल करने में मध्य प्रदेश के ग्रामीण अव्वल तो हरियाणा सबसे फिसड्डी

गांव कनेक्शन के सर्वे में मध्य प्रदेश इंटरनेट से जानकारी हासिल करने के मामले में 43.3 प्रतिशत ग्रामीणों के साथ सबसे आगे है तो हरियाणा 15.8 फीसद के साथ सबसे फिसड्डी।

Sachin Dhar DubeySachin Dhar Dubey   9 July 2019 12:47 PM GMT

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गांव कनेक्शन सर्वे: इंटरनेट से जानकारी हासिल करने में मध्य प्रदेश के ग्रामीण अव्वल तो हरियाणा सबसे फिसड्डी

लखनऊ। इंटरनेट के बिना जीवन की कल्पना तक नहीं की जा सकती। बिल भरने से लेकर बुकिंग तक, हर काम अब नेट के सहारे होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत के किस राज्य के लोग किस काम के लिए इंटरनेट का ज्यादा प्रयोग करते हैं ? गांव कनेक्शन के सर्वे में जो रिपोर्ट सामने आई वो चौंकाने वाली है।

गांव कनेक्शन ने देश के 19 राज्यों के 18,267 ग्रामीणों के बीच किए अपने सर्वे में जब उनसे इंटरनेट के उपयोग को लेकर पूछा तो पाया कि देश की केवल 29 प्रतिशत जनसंख्या ही इंटरनेट का उपयोग जानकारी के लिए करती है। इनमें से मध्यप्रदेश इंटरनेट से जानकारी हासिल करने के मामले में 43.3 प्रतिशत ग्रामीणों के साथ सबसे आगे है तो हरियाणा 15.8 फीसद के साथ सबसे फिसड्डी।

चातक वाजपेयी (साइबर सेक्युरिटी कंसल्टेंट) कहते हैं कि इंटरनेट का उपयोग पढ़ाई या अपने कामों के लिए करने वाले कई लोग आज सफल हैं। लेकिन इंटरनेट के कई साइड इफेक्ट भी हैं। कई लोग इसका गलत उपयोग भी करते हैं और भारत में अभी तक इस पर नजर रखने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।

गांव कनेक्शन के सर्वे के अनुसार मध्य प्रदेश के 43.3 प्रतिशत ग्रामीण जानकारी हासिल करने के लिए इंटरनेट का उपयोग करते हैं तो 34.7 प्रतिशत लोग इंटरनेट का उपयोग सोशल मीडिया के लिए करते हैं। यहां के 12.2 प्रतिशत ग्रामीण केवल वीडियो को देखने के लिए इंटनेट सेवाओं का उपयोग लेते हैं बाकि 4.2 लोगों के पास इंटरनेट के उपयोग के लिए स्मार्ट फोन ही नहीं है।

अगर हरियाणा पर गौर करें तो 15.8 प्रतिशत ग्रामीण ही इंटरनेट का उपयोग जानकारी हासिल करने के लिए करते हैं जबकि 75 फीसद लोग इंटरनेट की डाटा की खपत सोशल मीडिया पर कर देते हैं। यहां 4 प्रतिशत इंटरनेट पर केवल वीडियो देखते हैं और 2.0 फीसदी लोगों के पास स्मार्टफोन ही नहीं है।

ग्रामीण क्षेत्रों के इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में आया इजाफा

टेलीकॉम रेगुलेटरी ऑफ इंडिया (TRAI) की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 56 करोड़ इंटरनेट सब्सक्राइबर हैं, जिसमें से 48 करोड़ 20 लाख लोग ब्राडबैंड के सब्सक्राइबर हैं। भारत की 43 प्रतिशत जनसंख्या तक ही अभी तक इंटरनेट की पहुंच है। दिसंबर 2018 में आई ट्राई की इस रिपोर्ट के मुताबिक 36 करोड़ 60 लाख सब्सक्राइबर शहरी क्षेत्र के हैं और 19 करोड़ और 40 लाख सब्सक्राइबर ग्रामीण क्षेत्र के। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों के इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 18 प्रतिशत से बढ़कर 20.26 हो गया है।

भारत में इंटरनेट को लेकर हमेशा से यह सवाल उठता आया है कि क्या भारतीय इंटरनेट का सही उपयोग कर पाते हैं, या इंटरनेट पर बेफिजूल की चीजें को देखते हैं और सर्फ करते हैं। भारत के ग्रामीण क्षेत्र की जनता भी इस सवाल से अछूत नहीं है।

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गांव कनेक्शन के सर्वे के मुताबिक असम के 50.9 प्रतिशत ग्रामीण इंटरनेट पर केवल सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं। 23.9 प्रतिशत जानकारी जुटाने और साझा करने करते है। जबकि 7.9 प्रतिशत ऐसे हैं कि जिनके पास इंटरनेट का उपयोग करने के लिए स्मार्टफोन ही नहीं है।

वहीं बिहार की 37.1 फीसदी ग्रामीण जनता इंटरनेट का उपयोग जानकारियों के लिए करते हैं, जबकि 27.6 लोग इंटरनेट पर केवल फेसबुक और व्हाट्सएप के लिए करते हैं। 12.7 प्रतिशत लोग इंटरनेट पर वीडियो देखते हैं। वहीं 13.8 फीसद ग्रामीणों के पास इंटरनेट का उपयोग करने के लिए स्मार्टफोन ही नहीं है।

इंटरनेट ट्रेंड को लेकर 2019 में आई मेरी मेकर रिपोर्ट के अनुसार जियो का टेलीकॉम क्षेत्र में उतरने और फ्री डाटा सेवा देने के बाद देश में भारत में इंटरनेट के खपत में ऐतिहासिक बदलाव आया है। इस समय भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर हैं, जहां इंटरनेट का सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है। वैश्विक स्तर पर भारत इंटरनेट डाटा की खपत में 12 प्रतिशत हिस्सा रखता है। जियो के आने के बाद इंटरनेट ने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों अपनी पहुंच को बढ़ाया है। यही वजह है कि ट्राई की रिपोर्ट में इंटरनेट के उपयोग में ग्रामीण क्षेत्र का भी शेयर बढ़ा है।

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ग्रामीणों में इंटरनेट को लेकर अभी भी उतनी जागरूकता नहीं

बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले के सोशल ऑडिट सुप्रि‍यो साहू ने बताया कि जब तक जियो नहीं था तब तक ग्रामीणों तक इंटरनेट की उतनी पहुंच नहीं थी। जियो आने के बाद इंटरनेट पैक काफी सस्ते हो गए। इससे आम ग्रामीणों तक भी इसकी पहुंच आसान हो गई। वह बताते हैं कि इंटरनेट का उपयोग को लेकर अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में उतनी जागरूकता नहीं है। ज्यादातर ग्रामीण इंटरनेट मतलब वीडियो देखने में बिताते हैं

अगर बंगाल की स्थितियों पर गौर करें तो पाएंगे कि वहां की 41.1 प्रतिशत ग्रामीण जनता इंटरनेट पर केवल वीडियो देखती है। यहां की 29 फीसदी जानकारी हासिल करने के लिए इंटरनेट का उपयोग करती है। बंगाल की 3.7 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या सोशल मीडिया पर अपना सारा डाटा खर्च करती है वहीं 12.1 प्रतिशत लोगों के पास स्मार्टफोन ही नहीं।ॉ

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गावं कनेक्शन के सर्वे में यह बात निकल कर आई है कि छत्तीसगढ़ के 26.7 फीसदी ग्रामीण इंटरनेट पर केवल वीडियो देखते हुए अपना समय बिता देते हैं जबकि 34.6 प्रतिशत लोग फेसबूक का प्रयोग सोशल मीडिया और 28.1 प्रतिशत लोग तमाम जानकारियों के लिए इंटरनेट का उपयोग करते हैं। छत्तीसगढ़ में 6.2 प्रतिशत ग्रामीणों के पास स्मार्टफोन की सुविधा ही नहीं है।

स्मार्टफोन तक सबकी पहुंच अभी भी सपना

कई राज्य की सरकारों ने अपने यहां कि आम जनता को पिछले चुनावों में स्मार्टफोन और लैपटॉप देने का वादा किया था। कई जगह इस वादे को पूरा भी किया गया है। उत्तर प्रदेश में पिछली सरकार में 12वीं पास किए बच्चों को लैपटॉप दिया था। अब पहले की तरह स्मार्टफोन मंहगे भी नहीं है। बाजार में कई कंपनियों के मोबाइल निर्माण के क्षेत्र में उतरने से स्मार्टफोन्स के कीमतों में भी कमी आई है। फिर भी भारत के कई ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट उस तरह नहीं पहुंच पाई जैसा उसे पहुंचना चाहिए था।

महाराष्ट्र के 44.2 प्रतिशत ग्रामीणों के पास इंटरनेट की सुविधा का फायदा उठाने के लिए स्मार्टफोन ही नहीं है। यहां की 34.7 फीसदी ग्रामीण जनसंख्या मोबाइल डाटा का उपयोग जानकारी जुटाने के लिए करते हैं। वहीं 10 प्रतिशत ग्रामीण केवल सोशल मीडिया पर अपना समय व्यतीत करते हैं, जबकि 6.7 फीसदी इंटरनेट का प्रयोग वीडियो देखने के लिए करते हैं।

गांव कनेक्शन के सर्वे के आधार पर अगर उत्तर प्रदेश पर गौर करें तो इंटरनेट का उपयोग करने के लिए 19.8 प्रतिशत लोगों के पास मोबाइल फोन ही नहीं है। यहां 27.9 फीसदी लोग जानकारी के लिए और 38 प्रतिशत लोग सोशल मीडिया के लिए मोबाइल डाटा का उपयोग करते हैं। उत्तर प्रदेश में 9.7 प्रतिशत लोग ऐसे भी हैं जो केवल वीडियो देखने इंटरनेट डाटा की खपत करते हैं।

कई बस स्टेशन और रेलवे स्टेशन पर भी दी जा रही इंटरनेट की सुविधा

देश में इंटरनेट पर सबका अधिकार होना चाहिए कि नहीं इसपर भी कई बार बहसें छिड़ी। कई देश ऐसे हैं जहां पर इस तरह की सुविधा। लेकिन भारत में अभी इस तरह का कोई नियम नहीं आया है। हालांकि भारत ने सार्वजनिक जगहों पर इंटरनेट असेस की सुविधा देनी शुरू कर दी है। कुछ रेलवे स्टेशन औऱ बस स्टेशन पर यह सुविधा देखने को अब मिलती है।

गांव कनेक्शन की सर्वे के मुताबिक राजस्थान में 53.2 फीसदी लोग इंटरनेट का सारा डाटा सिर्फ सोशल मीडिया पर खत्म कर देते हैं। वहीं 25.4 प्रतिशत लोग तमाम जानकारियों के लिए इसका उपयोग करते हैं। यहां 9.8 लोग इंटरनेट का उपयोग केवल वीडियो देखने में करते हैं और 7.2 के पास इंटरनेट का उपयोग करने के लिए स्मार्टफोन ही नहीं है।

अगर ओडिसा की स्थितियों पर गौर करें तो 35.9 प्रतिशत लोग इंटरनेट पर जानकारियां जुटाने के लिए आते हैं।26.5 फीसद लोग सोशल मीडिया पर अपना समय देते हैं तो वहीं 12.8 फीसद लोग इंटरनेट पर केवल वीडियो देखते हैं। यहां 8.5 प्रतिशत लोगों के पास इंटरनेट के उपयोग के लिए स्मार्टफोन ही नहीं है।

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यह अक्सर देखने को मिलता है भारत सरकार की योजनाएं और उससे जुड़ी जानकारियां ग्रामीण क्षेत्रों तक नहीं पहुंच पाती है। इसके पीछे इंटरनेट कनेक्टिविटी, एसेसबिलिटी, नेटवर्क का खराब होना मुख्य वजह बताई जाती। भारत में अभी कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां या तो इंटरनेट की पहुंच ही नहीं है या तो नेटवर्क की स्थिति उस तरह की नहीं है कि इंटरनेट का उपयोग किया जा सके।

अगर सिक्किम की स्थिति पर गौर करें 31.5 प्रतिशत लोगों के पास इंटरनेट के उपयोग के लिए मोबाइल फोन ही नहीं हैं। जिन लोगों के पास स्मार्टफोन हैं उनमें से 38.6 फीसदी जानकारियों के लिए और 28.3 प्रतिशत लोग सोशल मीडिया का उपयोग करने के लिए इंटरनेट का उपयोग करते हैं। यहां पर 0.8 प्रतिशत लोग ही केवल इंटरनेट का उपयोग वीडियो देखने में करते हैं।

गांव कनेक्शन के अनुसार उत्तराखंड में 24.1 प्रतिशत लोगों के पास स्मार्टफोन ही नहीं है। सर्वे के मुताबिक यहां 47.8 फीसद लोग इंटरनेट का उपयोग सोशल मीडिया( फेसबूक और वहाट्सएप) के लिए करते हैं।

इंटरनेट को लेकर कई बार संसद में भी हो चुकी है बहस

इंटरनेट को लेकर कई बार सांसद में भी बहस छिड़ी चुकी है। यह सवाल कई बार उठा है कि इंटरनेट का उपयोग ज्यादा होता है कि दुरूपयोग। अक्सर देखा जाता है कि जिन इलाकों में मामला कभी संवेदनशील हो जाता है, वहां अफवाह फैलाया जा सकता है कारण देकर इंटरनेट सेवाएं बाधित कर दी जाती है। या इंटरनेट पर किस तरह की वेबसाइट्स से सर्फिंग से उसका दुरूपयोग किया जाता है इसपर सवाल उठता आया है। इन सवालों से ग्रामीण क्षेत्र भी अछूता नहीं हैं। वहां के लोग इंटरनेट का किस तरह से उपयोग करते हैं यह भी एक सवाल है। सरकार ने पिछले दिनों कई वेबसाइट्स को बैन भी किया है ताकि इंटरनेट का दुरूपयोग नहीं हो पाए।

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गांव कनेक्शन के सर्वे के मुताबिक कश्मीर की 48.4 फीसद ग्रामीण जनता अपना समय केवल सोशल मीडिया पर देती है जबकि 21.5 प्रतिशत लोग जानकारी के लिए इंटरनेट डाटा का उपयोग करते हैं। यहां 10.8 लोगों के पास स्मार्टफोन ही नहीं है कि वह इंटरनेट का उपयोग कर सकें और जिनके पास है उनमें से 13.2 फीसद लोग उस डाटा का उपयोग केवल वीडियो देखने में खर्च कर देते हैं।

तेलंगाना की 27.7 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या इंटरनेट का उपयोग जानकारी के लिए करते हैं तो इतने फीसद लोग सोशल मीडिया का भी उपयोग करते हैं। यहां 22.5 प्रतिशत ग्रामीण इंटरनेट पर वीडियो देखते हैं। वहीं 12.7 प्रतिशत लोगों के पास स्मार्टफोन ही नहीं है।

गांव कनेक्शन के सर्वे में एक और बात निकल कर सामने आई है कि इंटरनेट सेवाएं होने के बावजूद उसका उपयोग न करने के मामले में पश्चिम बंगाल 14 प्रतिशत के साथ सबसे आगे है तो सिक्किम 0.8 फीसद के साथ सबसे पीछे है।

     

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