गाय के गोबर से पेंट बना कर यूपी के इस गाँव में कमाल कर रही हैं महिलाएँ

उत्तर प्रदेश के उन्नाव में महिलाओं का एक समूह गाय के गोबर से पेंट बना रहा है, इस काम ने इन महिलाओं को आर्थिक आज़ादी दी है।

Sumit YadavSumit Yadav   7 Aug 2023 8:09 AM GMT

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गाय के गोबर से पेंट, जी हाँ सुन कर चौंक गए न ? लेकिन ये सच है।

यूपी के उन्नाव में महिलाओं का एक समूह गाय गोबर से पेंट बना रहा है। किसी धातु या रसायन के बगैर तैयार ये प्राकृतिक पेंट किसी भी दूसरे बड़े ब्रांड के पेंट से कम नहीं है।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 70 किलोमीटर दूर उन्नाव में महिलाएँ न सिर्फ इससे अपना ख़र्च निकाल रही हैं बल्कि परिवार भी चला रही हैं।

महिलाओं के स्वयं सहायता समूह की सदस्य मिथिलेश सिंह से अगर उनकी ज़िंदगी के यादगार पलों की एक लिस्ट बनाने को कहा जाए तो मार्च 2023 शायद सबसे ऊपर होगा।


उन्नाव के अमरेठा गाँव के 37 वर्षीय मिथिलेश गाँव कनेक्शन से बताती हैं, "मैं पैसों के लिए हमेशा दूसरों पर निर्भर रही हूँ। लेकिन यह सब तब बदल गया जब मार्च 2023 में महीने के अंत में, मैं अपने काम से कमाए गए 4000 रुपये घर ले गई। वो दिन मुझे हमेशा याद रहेगा।“

मिथिलेश उन 20 महिलाओं में से एक हैं जो उन्नाव के नवाबगंज में सरकार द्वारा संचालित अन्नपूर्णा प्रेरणा महिला लघु उद्योग कार्यशाला में काम करती हैं, जो गाय के गोबर से दीवार पेंट और डिस्टेंपर बनाती हैं। उन्हें हर रोज़ 200 रुपये का भुगतान किया जाता है।

इस साल की शुरुआत में, मार्च में, जय दुर्गा स्वयं सहायता समूह, जिसकी मिथिलेश सदस्य हैं, ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तत्वावधान में पेंट निर्माण इकाई की स्थापना की।

“यहाँ बनाया गया पेंट किसी भारी धातु या रसायन का उपयोग नहीं करता है और गैर विषैला होता है। यह बाज़ार में उपलब्ध रासायनिक पेंट से काफी सस्ता भी है, ''एनआरएलएम के ब्लॉक मिशन मैनेजर अरविंद कुमार सोनी ने गाँव कनेक्शन को बताया। यह पेंट 'प्राकृतिक पेंट' के ब्रांड नाम से बेचा जाता है।

उनके अनुसार, यहाँ की महिलाओं द्वारा बनाए जाने वाले पेंट से निर्माण लागत कम हो सकती है और इसके निर्माण के लिए ज़रूरी कच्चा माल, गाय का गोबर, गाँवों में आसानी से उपलब्ध है।


एनआरएलएम के ज़िला प्रबंधक अशोक कुमार के अनुसार, “पेंट का उत्पादन करने वाली वर्कशॉप की बिल्डिंग बनाने के लिए लिए एनआरएलएम द्वारा 902,900 रुपये की राशि दी गई थी।

“इसके अलावा, खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा एसएचजी को 35 प्रतिशत की सब्सिडी के साथ 2,000,000 रुपये का ऋण दिया गया था। इस पैसे से वर्कशॉप चलाने के लिए ज़रूरी मशीनें और अन्य उपकरण खरीदे गए, ”कुमार ने गाँव कनेक्शन को बताया।

फैक्ट्री में लगी छह मशीनों को नवाबगंज ब्लॉक की 20 महिलाएँ चलाती हैं। वे सबसे पहले गाय के गोबर से कंकड़, घास निकालती हैं और उसका वजन करती हैं। फिर वे साफ किए गए गोबर को एक भंडारण टैंक में डालती हैं जिसमें पानी होता है।

मोटर चलित भंडारण टैंक गाय के गोबर और पानी को 40 मिनट तक मथता है, इससे पहले उस मिश्रण को दूसरे सेक्शन में ले जाया जाता है जहाँ इसे एक समान पेस्ट जैसे तरल में बदल दिया जाता है। तरल को 100 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर आधे घंटे तक गर्म किया जाता है, जिसके बाद इसे ब्लीच किया जाता है। इसके बाद मिश्रण में रंग मिलाया जाता है, और काफी हद तक प्राकृतिक पेंट बाज़ार के लिए तैयार होता है।

अशोक कुमार ने कहा, "नवाबगंज ब्लॉक की तीन महिलाओं को राजस्थान के जयपुर में कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट भेजा गया, जहाँ उन्होंने गाय के गोबर से पेंट बनाना सीखा।"


वे रश्मि सिंह, शीला देवी और नीलम थीं जो प्रक्रिया सीखने के लिए फरवरी में जयपुर गईं। वे लौट आईं और अपने समूह की अन्य महिलाओं को प्रशिक्षित किया।

प्रशिक्षण के लिए राजस्थान गई महिलाओं में से एक शीला देवी इससे ज़्यादा खुश नहीं हो सकती थीं। 29 वर्षीय शीला ने गाँव कनेक्शन को बताया, "मुझे कोई आर्थिक आज़ादी नहीं थी और हर छोटी-छोटी चीज के लिए दूसरों से पैसे माँगना पड़ता था।" उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, "अब और नहीं और जो लोग मेरे साथ बातचीत करते हैं, उनकी आँखों में मैं अब सम्मान देखती हूँ।"

अब तक वर्कशॉप में बना करीब 1200 किलोग्राम पेंट और इमल्शन बाज़ार में बिक चुका है। गाय के गोबर से बने पेंट की कीमत 80 रुपये प्रति किलोग्राम है जबकि इमल्शन 120 रुपये प्रति किलोग्राम बेचा जाता है। बाज़ार में प्रमुख निर्माताओं द्वारा बेचे जाने वाले एक लीटर पेंट की कीमत 250 रुपये प्रति किलोग्राम है।

“हम प्रशासन को भेजे जाने वाले एक प्रस्ताव पर काम कर रहे हैं जिसमें सिफारिश की जाएगी कि इस पेंट का उपयोग निर्माणाधीन सरकारी भवनों पर किया जाए। साथ ही, यह पेंट जल्द ही अमेज़ॅन वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जाएगा, ”ब्लॉक-स्तरीय अधिकारी सोनी ने कहा।

इस बीच, जिला पशु चिकित्सा अधिकारी अनिल दत्तात्रेय ने गाँव कनेक्शन को बताया कि ज़िले में पशुपालन और डेयरी विभाग ज़िले के गौशालाओं से कार्यशाला में गाय के गोबर की लगातार आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। दत्तात्रेय ने आगे कहा, "हम अगले पाँच वर्षों तक इस कार्यशाला में गाय के गोबर की आपूर्ति मुफ्त करेंगे।"

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