उत्तर प्रदेश के इस गाँव में सीसीटीवी कैमरे लगने से कम हुए अपराध

दुआ गाँव में बदलाव की बयार चल रही है, गाँव में 32 सीसीटीवी, पंचायत भवन में आईटी केंद्र, और यहाँ के प्राथमिक विद्यालय में स्मार्ट क्लास चलती है।

Sumit YadavSumit Yadav   29 Sep 2023 10:37 AM GMT

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उत्तर प्रदेश के इस गाँव में सीसीटीवी कैमरे लगने से कम हुए अपराध

सीसीटीवी कैमरों को लगाना सबसे बड़ा सकारात्मक बदलाव था जिससे ग्रामीणों को फायदा हुआ, इसके बाद स्वच्छता अभियान, एक आईटी सेंटर और प्राथमिक विद्यालय में एक स्मार्ट क्लास शुरू हुई।

दुआ (उन्नाव), उत्तर प्रदेश। एक समय था जब सूरज ढलने के बाद दुआ गाँव की गलियाँ सुनसान हो जाती थी, यहाँ पर सिर्फ नशे में धुत लोग और राहगीरों को लूटने के फिराक में बैठे लोग मिलते थे।

दुआ गाँव की 35 वर्षीय मंजू देवी ने कहा, "अब और नहीं। जब से कैमरा और स्ट्रीट लाइट लगाई गई है, चोरी में कमी आई है। अब सड़कों पर कोई नहीं लड़ता और मेरे जैसी औरतें सुरक्षित महसूस करती हैं। लोग हमेशा सावधान रहते हैं क्योंकि कैमरा सब कुछ रिकॉर्ड करता है।"

राज्य की राजधानी लखनऊ से 90 किलोमीटर दूर स्थित लगभग 2,000 की आबादी वाले इस गाँव के बदलाव का श्रेय 40 वर्षीय ग्राम प्रधान राजेश सिंह को जाता है, जिन्होंने गाँव में 32 सीसीटीवी कैमरे लगवाए हैं।

एक समय था जब गाँव में कुछ भी सुरक्षित नहीं था। माया देवी ने कहा, "अगर हम सतर्क नहीं होते, तो हमारी कुर्सियाँ, मोटर पंप, साइकिल और कपड़े चोरी हो जाते। लेकिन सीसीटीवी कैमरे के साथ, छोटे अपराध कम हो गए हैं।"


छोटे-मोटे अपराधों में कमी के बारे में देवी के दावे निराधार नहीं हैं। उन्नाव के दही चौकी पुलिस स्टेशन के एसएचओ ने गाँव कनेक्शन को बताया कि सीसीटीवी कैमरों की स्थापना से गाँव की सुरक्षा में सुधार करने में मदद मिली है।

“पहले, ग्रामीण चोरी और झगड़ों की शिकायत करते थे, लेकिन गाँव में असामाजिक तत्व अब कैमरे पर रिकॉर्ड होने के प्रति सचेत हैं। ये कैमरे हमें मामलों को सुलझाने में भी मदद करते हैं। ” दही चौकी के एसएचओ राघवेंद्र सिंह ने कहा।

ग्राम प्रधान राजेश सिंह कक्षा पाँच तक पढ़े हैं और खेती उनकी कमाई का जरिया है। कोविड महामारी के दौरान उन्होंने देखा कि उनके गाँव के लोग किन चुनौतियों का सामना कर रहे थे।

“मैं अपने गाँव के लिए कुछ करना चाहता था। मुझे एहसास हुआ कि बिना किसी पद के कुछ भी नहीं किया जा सकता। तभी मुझे 2021 में होने वाले ग्राम प्रधान चुनाव लड़ने की जरुरत महसूस हुई और मैं निर्वाचित हो गया। मेरा छोटा भाई अजय शिक्षित है और वह मेरे गाँव में विकास कामों में मेरी मदद करता है। ” ग्राम प्रधान ने गाँव कनेक्शन को बताया।

राजेश सिंह की मदद करने वाले छोटे भाई अजय सिंह 2020 में महामारी के दौरान मुंबई से अपने गाँव लौटे थे और अपने गाँव की स्थिति देखकर हैरान थे। वह मुंबई में थिएटर की पढ़ाई करते थे।

“मैं 2020 में कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान मुंबई से अपने गाँव लौट आया। मैंने देखा कि गाँव पूरी तरह से बर्बाद हो गया था। शराबी, गुंडे आये दिन उत्पात मचाते थे। यह सब बदलना ही था। ''अजय सिंह ने गाँव कनेक्शन को बताया।


तभी उन्होंने अपने भाई राजेश को गाँव प्रधान पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए राजी किया। 2021 में राजेश सिंह ने चुनाव जीता और बदलाव लाए ।

सीसीटीवी कैमरों को लगाना सबसे बड़ा सकारात्मक बदलाव था जिससे ग्रामीणों को फायदा हुआ, इसके बाद स्वच्छता अभियान, एक आईटी सेंटर और प्राथमिक विद्यालय में एक स्मार्ट क्लास शुरू हुई।

सीसीटीवी कैमरे लगवाने की बात करते हुए प्रधान राजेश सिंह ने बताया कि ग्राम पंचायत निधि से एक लाख रुपये जारी किए गए थे।

उन्होंने कहा, "मैंने सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए अपनी जेब से भी 50 हज़ार रुपए लगाए।"

पंचायत भवन में एक आईटी सेंटर

कैमरे लगवाने के अलावा ग्राम प्रधान ने गाँव में और भी कई बदलाव किए हैं। गाँव के पंचायत भवन में जन सुविधा केंद्र है, जिसमें ग्रामीणों को बैंकिंग, दस्तावेज़ीकरण और संबंधित कागजी कार्रवाई में मदद करने के लिए एक आईटी सेंटर भी है।

आईटी सेंटर एक कंप्यूटर से सुसज्जित है जिसे एक ऑपरेटर द्वारा चलाया जाता है जो ग्रामीणों को उनके कागजी काम में मदद करता है। यह बैंक दस्तावेज़ जमा करने, आधार कार्ड अपडेट, बिजली बिलों का भुगतान आदि जैसी नियमित गतिविधियों के लिए मुफ्त सेवाएँ प्रदान करता है। आईटी सेंटर हर दिन सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है।

22 वर्षीय आशीष कुमार ने गाँव कनेक्शन को बताया कि उनका आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र और पता प्रमाण प्रमाण पत्र बनवाना अब आसान हो गया है, क्योंकि कॉमन सर्विस सेंटर पर सारी सुविधाएँ हैं। “पहले मुझे इसमें पूरा दिन लग जाता था क्योंकि इन्हें बनवाने के लिए मुझे 10 किलोमीटर का सफर तय करके शहर जाना पड़ता था। लेकिन गाँव में सेंटर होने से बहुत समय बचता है जो मेरे लिए कीमती है क्योंकि मैं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा हूँ। ” आशीष कुमार ने कहा।

आशीष कुमार आगे कहते हैं, “उन्नाव शहर जाने और वापस आने में हमें 50 रुपये का खर्च आया। पहले बैंक के काम के लिए कोचिंग और स्कूल में छुट्टी मारनी पड़ती थी, पूरा दिन खराब होता था लेकिन गाँव में सेंटर बनने से अब सुबह जल्दी या शाम को देर से भी ये सारे काम हो जाते है और स्कूल कोचिंग क्लास से छुट्टी भी नही लेनी पड़ती है।"

आधुनिक कक्षाएँ और बेहतर स्वच्छता

गाँव के प्राथमिक विद्यालय के लगभग 300 बच्चे स्कूल जाने के लिए उत्साहित हैं क्योंकि इसमें अब प्रोजेक्टर के साथ स्मार्ट क्लास और अंतरिक्ष प्रयोगशाला जैसी आधुनिक सुविधाएँ हैं। स्मार्ट क्लास कंप्यूटर, ऑडियो/विज़ुअल सहायता जैसी तकनीकों का उपयोग करता है जो बच्चों के लिए सीखने को दिलचस्प बनाता है।

“अंतरिक्ष प्रयोगशाला में विभिन्न अंतरिक्ष यान के मॉडल हैं। हमने स्कूल में चंद्रयान की लैंडिंग देखी। जब मैं चीजों को प्रोजेक्टर स्क्रीन पर देखता हूँ तो उन्हें बेहतर ढंग से समझ पाता हूँ। '' कक्षा चार के छात्र मयंक यादव ने गाँव कनेक्शन को बताया।

इसके अलावा, गाँवों में जल निकासी लाइनों की नियमित रूप से सफाई की जाती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि बारिश होने पर नालियाँ बंद न हों।

तकनीकी बदलावों के साथ-साथ, नागरिक सुविधाओं के मामले में भी दुआ ने कमर कस ली है। रास्ते अब इंटरलॉकिंग टाइल्स से बिछाए गए हैं, सीवेज का पानी अब सड़कों पर नहीं भरता है और नालियाँ नियमित रूप से साफ की जाती हैं। डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों को दूर रखने के लिए बीच-बीच में फॉगिंग की जाती है।

“अब, बारिश होने पर भी गाँव साफ़ दिखता है। स्वच्छता में बहुत सुधार हुआ है, इससे हमें अपने गाँव के बारे में बेहतर महसूस होता है। '' दुआ गाँव के 40 वर्षीय निवासी गोविंद लोधी ने गाँव कनेक्शन को बताया।

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