गर्भ में पल रहे बच्चे को भी प्रभावित कर रहा है प्रदूषण, हो सकती है प्रीमैच्योर डिलीवरी

बढ़ता प्रदूषण गर्भवती महिला के पेट में पल रहे बच्चे पर भी असर डाल सकता है, यही नहीं पैदा होने के बाद बच्चों में कई तरह की बीमारियाँ भी हो सकती हैं।

Manvendra SinghManvendra Singh   10 Nov 2023 11:30 PM GMT

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स्मॉग, प्रदूषण के चलते गर्भवती महिलाओं की प्रीमैच्योर डिलीवरी यानी समय से पहले बच्चे का जन्म हो सकता है।

दिल्ली, एनसीआर और आसपास के जिलों के साथ ही इस समय उत्तर भारत में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है, जिसका असर बुजुर्ग, बच्चों के साथ ही गर्भवती महिलाओं पर भी पड़ रहा है।

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की डॉ अंजू अग्रवाल इस विषय में गाँव कनेक्शन से बताती हैं, "सभी के लिए प्रदूषण हानिकारक होता है, लेकिन गर्भवती महिलाओं के लिए और भी ज़्यादा हानिकारक है क्योंकि उनके अंदर एक छोटी जान पल रही है जो बहुत कमज़ोर और नाजुक है।"

वो आगे कहती हैं, "जब प्रदूषण बढ़ता है, तो माँ जो साँस ले रही है, उसमें ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। इसके अलावा, हवा में ऐसे बहुत से तत्व होते हैं जो माँ को बुरी तरह प्रभावित करते हैं, जिसके कारण बच्चे की वृद्धि में कमी आती है; बच्चे के फेफड़े उतने अच्छे से विकसित नहीं हो पाते और शिशु के कम समय पर पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे उसके स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएँ बढ़ जाती हैं।"


जब कम समय में बच्चा पैदा होता है, तो उन्हें प्रीटर्म बेबी कहते हैं और उनमें समस्याएँ ज़्यादा होती हैं। उनके फेफड़े इतने विकसित नहीं होते, इसलिए उन्हें साँस लेने में परेशानी होती है और उनके शरीर में तापमान बनाए रखने की उतनी शक्ति नहीं होती, जिससे उन्हें बहुत जल्दी तापमान का प्रभाव होता है और वे उतने अच्छे से दूध भी नहीं पी पाते हैं, इसलिए उन्हें आईबी फ्लूइड भी देने पड़ते हैं।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के कारण आईवीएफ में बच्चे के ज़िंदा पैदा होने की संभावना कम हो जाती है और मिसकैरेज का ख़तरा बढ़ जाता है। कार्बन मोनोऑक्साइड गर्भ में पल रहे बच्चे के दूसरी या तिमाही में दिल की धड़कनें रुकने का कारण बन सकता है।

यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, सनफ्रांसिस्को की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार 2019 में पूरे विश्व में 60 लाख प्रीमैच्योर डिलिवरी हुई है साथ ही करीब 30 लाख बच्चें कम वजन से ग्रसित पाए गए।

डॉ अंजू अग्रवाल आगे कहती हैं, "नवजात बच्चों में संक्रमण होने का भी ख़तरा ज़्यादा रहता है, तो प्रीमेच्योरिटी से बहुत परेशानियाँ आती हैं। जन्म से अस्थमा होने की संभावना बढ़ जाती है।"

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन रिपोर्ट के अनुसार गर्भवती महिला के अधिक समय तक प्रदूषित हवा में साँस लेने से हवा में मौजूद हानिकारक गैसें और कण महिला के शरीर में प्रवेश करते हैं, जिसके कारण शिशु के विकास में बाधा आती है और ख़ासकर उसके फेफड़ों के विकास पर व्यापक असर पड़ता है।

ऐसे में गर्भवती महिलाएँ क्या करें?

डॉक्टर अंजू अग्रवाल ने गाँव कनेक्शन को बताया, "अगर बहुत ट्रैफ़िक हो, तो घर से बाहर न जाएँ; जब सर्दियों में सुबह का समय हो, तो खुली हवा में साँस लें जब वातावरण शाँत हो, और अगर बाहर निकलना जरूरी हो, तो मास्क पहनकर निकलें। जिन भी फ्रूट्स में विटामिन सी हो उनका सेवन करें और हरे-भरे वातावरण में ज़्यादा समय बिताएँ।"

smog #airpollution 

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