अस्थमा है तो क्या हुआ? आप भी जी सकते हैं सामान्य जीवन

अस्थमा को लेकर अब भी लोगों में जानकारी की कमी है; जैसे ये किस कारण से बढ़ता है? इसके इलाज़ के लिए क्या करना होता है? विश्व अस्थमा दिवस पर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन डिपार्टमेंट के अध्यक्ष डॉ वेद प्रकाश ऐसे कई सवालों के जवाब खुद गाँव कनेक्शन पर दे रहे हैं।

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अस्थमा है तो क्या हुआ? आप भी जी सकते हैं सामान्य जीवन

दुनिया में हर साल अस्थमा से साढ़े चार लाख लोग दम तोड़ रहे हैं, इनमें से 46 फीसदी मौतें भारत में हो रही हैं, जिनमें से अधिकांश को रोका जा सकता है।

अगर सही समय पर इस रोग का पता चल जाए और व्यक्ति सही समय पर इलाज लेना शुरू कर दें तो अस्थमा को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है और अस्थमा रोगी भी जी सकते हैं सामान्य जीवन।

विश्व अस्थमा दिवस के मौके पर सिर्फ अस्थमा ही नहीं बल्कि एलर्जी पर भी जागरुकता फैलाने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन पूरे विश्व में होता है। इस साल की थीम है - "अस्थमा रोग की शिक्षा से सशक्तिकरण”, (Asthma Education Empowers)

इसका मकसद है न सिर्फ मरीजों को बल्कि चिकित्सकों को भी अस्थमा के बारे में जागरूक और शिक्षित कर इस बीमारी को नियंत्रित करना।

विश्व अस्थमा दिवस हर साल 7 मई को मनाया जाता है; जिसमें हम अस्थमा और एलर्जी से ग्रस्त रोगियों को होने वाली परेशानियों के बारे में विस्तृत चर्चा करते हैं और इस बीमारी को नियंत्रित करने के प्रयासों पर विचार करते हैं।


अस्थमा के जुड़ी बातें जिन्हें जानना चाहिए

अस्थमा गैर संचारी रोगों में सबसे अधिक होने वाली बीमारी है। इससे पूरे विश्व में लगभग 30 करोड़ व्यक्ति ग्रसित हैं, और इससे पूरे साल भारत में लगभग 2 -5% व्यक्ति ग्रसित होते हैं।

अस्थमा पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज़्यादा होता है। बच्चों में होने वाली सभी क्रॉनिक बीमारियों में ये प्रमुख कारण है।

पूरे विश्व में करीब 14 फीसदी बच्चे इस बीमारी से ग्रसित होते हैं। अस्थमा हर साल बच्चों के स्कूल न जा पाने और अस्पताल में भर्ती होने का सबसे प्रमुख कारण है।

ग्लोबल अस्थमा रिपोर्ट 2018 के मुताबिक लगभग 6.2 % भारतीय (07 करोड़ 40 लाख व्यक्ति) अस्थमा से ग्रसित है।

भारत में गैर संचारी रोगों से होने वाली सभी मृत्यु में लगभग 10 प्रतिशत लोग अस्थमा में ग्रसित होते हैं।

वायु प्रदूषण, जागरुकता की कमी अस्थमा के मामलों को बढ़ाने के लिये महत्वपूर्ण कारक है।

एक अध्ययन के मुताबिक सभी अस्थमा के मरीजों में सिर्फ 5 प्रतिशत व्यक्ति ही ठीक तरीके से इलाज ले पाते हैं।

एलर्जी भी पूरे विश्व में स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण विषय है जिसका प्रसार पूरे विश्व में बहुत तेजी से बढ़ रहा है। विश्व एलर्जी संगठन के मुताबिक 30-40 प्रतिशत लोग पूरे विश्व में एलर्जी से ग्रस्त हैं।

एलर्जिक रायनाइटिस से लगभग 10-30 प्रतिशत वयस्क और 40 प्रतिशत बच्चे ग्रसित हैं। फ़ूड एलर्जी से लगभग 6-8 प्रतिशत बच्चे और 2-4 प्रतिशत वयस्क ग्रसित हैं।

एक अध्ययन के मुताबिक, एलर्जी की दवाइयों में लगभग 4000 करोड़ रुपये का व्यय प्रतिवर्ष होता है।

अस्थमा और एलर्जी के लक्षण

एलर्जिक रायनाइटिस- इससे रोगियों को जुकाम, खांसी, नाक बंद होना, आँख से पानी आना, गले में खुजली जैसे लक्षण दिखते हैं।

फूड एलर्जी- इसमे विशेष किसी खाद्य पदार्थ को खाने से मुँह और होठों पर खुजली और सूजन, गले में खुजली, शरीर पर चकत्ते, उल्टी और जी मिचलाने जैसे लक्षण दिखते हैं।

दवाइयों की एलर्जी- इसमे एलर्जी के लक्षण किसी विशेष दवा के सेवन से हो सकते हैं।

एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस- इसमें आँख में सूजन और लाल होना, आँख से पानी आ सकता है।

अस्थमा- इसमें खाँसी, सांस फूलना, छाती में सीटी बजना, जकड़ा होना जैसे लक्षण दिख सकते हैं।

एलर्जी और अस्थमा का निदान

स्किन प्रिक टेस्ट (SPT)- इसमें अलग अलग प्रकार के एलर्जी के तत्व सुई के जरिए शरीर में लगाकर उससे होने वाली एलर्जी के लक्षण को देखा जाता है।

खून जाँच - जाँच से एलर्जी के बारे में पता लगाया जाता है।

फेफड़े की जाँच - इसमें देखा जाता है कि फेफड़े किस प्रकार से काम कर रहे हैं।

मेडिकल डायरी में एलर्जी के लक्षणों को लिखकर ध्यानपूर्वक नोट करने से भी एलर्जी के बारे में विस्तृत जानकारी मिल सकती है, जो इलाज मे मील का पत्थर साबित हो सकती है।

एलर्जी करने वाला तत्व अगर मालूम हो सके तो उससे दूर रहे। डॉक्टर की सलाह से एन्टी एलर्जी और स्टेरॉयड लेने से एलर्जी को रोका जा सकता है। इनहेलर को सही तरीके से लेकर अस्थमा को कम किया जा सकता है। एलर्जी के बारे में जागरूकता फैलाकर एलर्जी को रोका जा सकता है।

तमाम तरह के प्रदूषण को नियंत्रित करके एलर्जी को नियंत्रित किया जा सकता है।

इम्यूनोथेरेपी- यह आज की तारीख़ में एलर्जी का सबसे एडवांस इलाज है; लेकिन यह महँगा है और विशेष परिस्थितियों में ही इसका इस्तेमाल किया जाता है।

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