श्रम कानूनों में पिछले तीन वर्षों के दौरान किये गए ये बदलाव

vineet bajpai | Aug 10, 2017, 10:03 IST
Bandaru Dattatreya
नई दिल्ली। श्रम और रोजगार मंत्रालय ने पिछले तीन वर्षों के दौरान मजदूरों के हित में कई बदलाव किये हैं। पिछले तीन वर्षों में हुए बदलावों के बारे में बुद्धवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, श्रम और रोजगार राज्य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) बंडारू दत्तात्रेय ने जानकारी दी।

पिछले तीन वर्षों में हुए बदलाव

  • बोनस भुगतान अधिनियम, 1965 में संशोधन करते हुए इसके तहत बोनस के भुगतान की पात्रता सीमा 10,000 रुपए से बढ़ाकर 21,000 रुपये की गई। गणना की सीमा 3,500 रुपये से बढ़कार 7,000 रुपये या न्यूनतम मजदूरी।
  • मजदूरी भुगतान (संशोधन) अधिनियम, 2017 के अन्तर्गत वेतन का भुगतान नकद, चेक या उनके बैंक खाते में सीधे जमा करने का नियम बनाया गया है।
  • बाल श्रम (निषेध और नियमन) संशोधन अधिनियम, 2016 के अन्तर्गत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के रोजगार पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है।
  • मातृत्व लाभ संशोधन अधिनियम, 2017 के अन्तरगत पूरे वेतन के साथ मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिय गया है।
  • कर्मचारी क्षतिपूर्ति (संशोधन) अधिनियम के अन्तर्गत श्रमिकों के अधिकारों को मजबूत करने का प्रयास।
  • मंत्रालय ने 21 फरवरी, 2017 को 'विभिन्न श्रम कानून नियमों, 2017 के तहत रजिस्टरों को बनाए रखने के लिए अनुपालन की आसानी' को अधिसूचित किया है। 9 सामान्य श्रम कानूनों और नियमों के तहत 56 रजिस्टरों/फॉर्म को कम करके 5 रजिस्टर/फॉर्म।
  • आदर्श दुकान और प्रतिष्ठान (आरई एवं सीएस) विधेयक, 2016- विधेयक एक वर्ष में 365 दिन के लिए एक प्रतिष्ठान को खोलने/समापन समय पर बिना किसी प्रतिबंध के संचालन के लिए स्वतंत्रता दी गई है, लेकिन उसके लिए यदि पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था मौजूद हो ताकि रात की पाली के दौरान महिलाओं को किसी तरीके का संकट न हो।

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