ऐसा करेंगे तो धान की पराली समस्या नहीं आय का साधन भी हो सकती है

धान की पराली का प्रबंधन बड़ी समस्या है, ज़्यादातर किसान इसे जला देते हैं जिससे कई तरह के नुकसान होते हैं। कृषि विशेषज्ञ बता रहे हैं पराली का रख रखाव कैसे करें जिससे आपको फायदा भी हो।

Dr SK SinghDr SK Singh   6 Oct 2023 12:32 PM GMT

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ऐसा करेंगे तो धान की पराली समस्या नहीं आय का साधन भी हो सकती है

अब धान की पराली से होगा मुनाफ़ा।

जी हाँ, सुन कर यकीन नहीं हुआ न? लेकिन ये सच है। अगर सही तरीके से इसका प्रबंधन किया तो आपको फायदा तो होगा ही पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होगा।

धान में बालियां निकलनी शुरू हो गई हैं, कुछ दिन बाद धान के फसलों की कटाई शुरू हो जाएगी। कटाई के बाद जो पुआल निकलेगा बस उसे आप ठीक से इस्तेमाल या रख लें तो हर बार की तरह इस साल कोई समस्या आपके सामने नहीं आएगी।

धान के पुआल का प्रबंधन टिकाऊ कृषि और पर्यावरण संरक्षण का एक महत्वपूर्ण पहलू है। धान का पुआल, धान की कटाई के बाद धान के पौधों के बचे हुए डंठल और पत्तियां का समूह है।

पुआल के गलत रख रखाव से वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और मिट्टी के क्षरण जैसी पर्यावरणीय समस्याएं पैदा होती हैं।

धान दुनिया की आबादी के आधे से अधिक लोगों का मुख्य भोजन है। परंपरागत रूप से किसान धान की पराली को जलाने या खेतों में सड़ने देने जैसे तरीकों से उसका निपटान करते रहे हैं जिसे पर्यावरण के लिहाज से ठीक नहीं माना जाता है।

सही इंतजाम नहीं होने से ये होता है नुकसान

पुआल जलाने से हवा में हानिकारक गैसें पैदा होती हैं जिनमें पार्टिकुलेट मैटर और ग्रीन हाउस गैसें शामिल हैं। इससे हवा तो ख़राब होती ही है जलवायु परिवर्तन की एक वजह भी है।

जब पुआल पानी से भरे खेतों में सड़ जाता है, तो यह पोषक तत्व और रसायन छोड़ता है, जिससे जल प्रदूषण होता है और जल निकायों का यूट्रोफिकेशन होता है। सुपोषण या यूट्रोफिकेशन प्रदूषण की एक प्रक्रिया है, ऐसा तब होता है जब एक झील या जल स्रोत पौधों के पोषक तत्वों से भर जाता है। इससे शैवाल और दूसरे जलीय पौधों की मात्रा बढ़ जाती है।


यही नहीं खेत में पुआल का अधूरा अपघटन मिट्टी की गुणवत्ता को कम करता है, फसलों द्वारा पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा उत्पन्न करता है और कीटों और बीमारियों को बढ़ने का मौका देता है। अपघटन एक प्रकार की क्रिया है, जिसमें तत्त्व अलग अलग सूक्ष्म भागों में विभाजित हो जाते हैं।

पुआल में कीमती पोषक तत्व होते हैं, जिनका अगर सही तरीके से प्रबंधन किया जाए, तो भविष्य की फसलों को लाभ पहुंचाने के लिए उन्हें मिट्टी में वापस लौटाया जा सकता है।

ऐसे करें धान के पुआल का प्रबंधन

1 - यांत्रिक प्रबंधन

धान के पुआल के प्रबंधन के लिए ये सबसे आम तरीकों में से एक है। इसमें पुआल के प्रबंधन और प्रसंस्करण के लिए मशीन का इस्तेमाल होता है। जैसे - स्ट्रॉ चॉपर/श्रेडर। ये मशीनें धान के पुआल को छोटे टुकड़ों में काटती है, जिससे इसे मिट्टी में मिलाना आसान हो जाता है।

इसके अलावा बेलर धान के पुआल को गांठों में बदल देता है, जिसका उपयोग जानवरों के बिस्तर के लिए किया जा सकता है या आय के स्रोत के रूप में बेचा जा सकता है।

2 - मिट्टी में मिलाना

धान के पुआल को मिट्टी में मिलाना इसके प्रबंधन और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने का एक प्रभावी तरीका है। जैसे- विभिन्न जुताई उपकरणों का उपयोग करके पुआल को मिट्टी में जोतने से इसे तेज़ी से तोड़ने में मदद मिलती है और मिट्टी की संरचना में सुधार होता है।


अगर मल्चिंग यानी कटी हुई पुआल को मिट्टी की सतह पर गीली घास के रूप में लगाए तो इससे नमी को संरक्षित करने, खरपतवारों को दबाने में मदद मिलती है।

3 - जैविक अपघटन

जैविक तरीकों में धान के पुआल को तोड़ने के लिए सूक्ष्मजीवों का उपयोग करते हैं। धान के पुआल के साथ-साथ अन्य कार्बनिक पदार्थों के साथ खाद के ढेर बनाने से लाभकारी रोगाणुओं को इसे पोषक तत्वों से भरपूर ह्यूमस में विघटित करने में सहायता मिलती है।

वर्मीकम्पोस्टिंग यानी केंचुओं की मदद से धान के पुआल को आसानी से गलाया जा सकता है। इससे उच्च गुणवत्ता वाली वर्मीकम्पोस्ट का उत्पादन होता है।

4 - वैकल्पिक उपयोग

धान की पराली के निपटान की बजाय वैकल्पिक उपयोग पर भी विचार किया जा सकता है। जैसे पशुओं के चारे के रूप में इसे इस्तेमाल कर सकते हैं, खासकर जब इसे काटा या संसाधित किया जाता है।

पुआल मशरूम की खेती के लिए एक सर्वोत्तम सब्सट्रेट के रूप में काम करता है, जो आय का एक अतिरिक्त स्रोत देता है।

5- बायोएनर्जी उत्पादन

धान के भूसे का उपयोग बायोएनर्जी उत्पादन के लिए किया जाता है। पुआल को बायोगैस में बदल सकते हैं जो ऊर्जा का एक नवीकरणीय स्रोत है।

यही नहीं धान के पुआल से बायोएथेनॉल का उत्पादन भी किया जा सकता है, जिसका उपयोग जैव ईंधन के रूप में किया जाता है।

6- सरकारी पहल और नीतियाँ

कई सरकारें पुआल प्रबंधन को प्रोत्साहित करने के लिए नीतियां लागू कर रही हैं। मशीन खरीदने या पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को अपनाने के लिए सब्सिडी दे रही हैं।

7- किसान सहयोग

किसान सामूहिक रूप से धान की पराली का प्रबंधन करने में सहयोग कर सकते हैं। जैसे सामुदायिक पुआल बैंक स्थापित कर विभिन्न उद्देश्यों के लिए पुआल का भंडारण साझा कर सकते हैं।

उन कंपनियों या संगठनों के साथ साझेदारी कर सकते हैं जो धान के पुआल का इस्तेमाल अलग अलग कामों, जैसे बायो एनर्जी या खाद उत्पादन के लिए कर सकते हैं।

इसके साथ ही, सरकारी नीतियां, जागरूकता अभियान और किसान सहयोग पुआल प्रबंधन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन रणनीतियों को अपनाकर, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि धान की पुआल पर्यावरण के लिए कोई बोझ नहीं बल्कि एक मूल्यवान संसाधन बन जाए।

#paddy farming 

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