बच्चों को पढ़ाने के लिए मां सीख रहीं अंग्रेजी

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बच्चों को पढ़ाने के लिए मां सीख रहीं अंग्रेजीgaonconnection

लखनऊ। माता-पिता भले ही शिक्षित न हों या अंग्रेजी न जानते हों लेकिन उनका सपना अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाने का ही होता है। ऐसे में माताएं बच्चों को होमवर्क ठीक से करा पाएं, इसके लिए उनको अंग्रेजी की शिक्षा देने का जिम्मा उठाया है गैर सरकारी संस्था होली विजन इंटरनेशनल ने।

संस्था उन बच्चों की माताओं को शिक्षित करने का काम कर रही है जो शिक्षित नहीं हैं या अंग्रेजी पढ़ना लिखना नहीं जानती, लेकिन उनके बच्चे नामी इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। इस संस्था की संस्थापक अर्जुमन्द जै़दी जो कि संस्था के साथ इंग्लिश मीडियम एक स्कूल भी चलाती हैं, बताती हैं कि माताओं को शिक्षित करने की बात तब मन में आई, जब मेरे स्कूल में पढ़ने वाले कई बच्चों की डायरी में मैसेज लिखने के बावजूद भी उनका काम पूरा नहीं होता है। या फिर छुट्टी, पिकनिक या अन्य कार्यक्रमों के दिनों में बच्चे बैग लेकर आ जाते हैं या पढ़ाई के दिनों में बैग न लेकर। जानकारी करने पर मालूम होता है कि डायरी या तो पढ़ी नहीं गई या देखी नहीं गई क्योंकि माता-पिता को अंग्रेजी नहीं आती है। 

संस्था ऐसी माताओं के लिए प्रतिदिन दो घंटे की क्लास लगाती है। क्लास में जिन मां को पढ़ना-लिखना नहीं आता उनको शिक्षित किया जाता है और जिनको इंग्लिश पढ़ना-लिखना नहीं आता उनको इंग्लिश सिखाने का काम विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है। 

क्लास में अंग्रेजी की शिक्षा प्राप्त करने वाली ममता सिंह (35 वर्ष) बताती हैं कि मेरे दो बच्चे हैं आकाश और ज्योति  जो कि इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। वैसे तो मैं हाईस्कूल तक पढ़ी हूं लेकिन इंग्लिश पढ़ना-लिखना नहीं जानती हूं। स्कूल का काम तो टयूटर करवा देते हैं लेकिन वह अक्सर आते नहीं हैं। ऐसे में न तो मैं उनका होमवर्क करवा पाती हूं और न ही इंग्लिश में लिखे वह मैसेज ही पढ़ पाती हूं जो शिक्षिकाओं द्वारा डायरी में लिखे जाते हैं।

इसलिए मैंने इस क्लास में आना शुरू कर दिया है। वैसे तो इंग्लिश सिखाने के कई कोर्स भी चलते हैं लेकिन उनकी फीस बहुत होती है साथ ही वहां का माहौल भी अलग है इसलिए मैंने यहां आना स्वीकार किया है, जहां मेरी जैसी और भी महिलाएं हैं। वहीं प्रिया शेरवानी (30 वर्ष) कहती हैं कि मेरे पति प्राइवेट जॉब में हैं, बहुत आमदनी नहीं है। आज के दौर की मांग के चलते किसी तरह से अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाने की कोशिश जारी है।

लेकिन चूंकि मैं और मेरे पति इंग्लिश नहीं जानते इसलिए बच्चों की पढ़ाई में काफी दिक्कतें आती हैं। खुद इंग्लिश सीखने के लिए भारी फीस देने की न तो मेरी स्थिति है और न ही मेरे आस-पास का माहौल है तो ऐसे में मैं इस संस्था द्वारा लगायी जा रही क्लास में आ जाती हूं जो मेरे लिए काफी मददगार साबित हो रहा है।  

रिपोर्टर - मीनल टिंगल

 

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