मुहर्रम के ताजियों पर भी महंगाई की मार

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
मुहर्रम के ताजियों पर भी महंगाई की मारलखनऊ के चौक में ताजिये की खरीदारी करते लोग।

लखनऊ। सजावट सामानों के बढ़ते रेट का असर मुहर्रम में बनने वाले ताज़ियों पर भी दिखाई दे रहा है। पिछले साल की तुलना में इस बार ताज़ियों के दामों में इज़ाफा हुआ है। ताजिया बनाने वाले कारीगर इस समस्या से परेशान हैं। उनका कहना है कि पिछले साल की तुलना में सामानों के दाम बढ़ गए हैं। जिसकी वजह से ताज़िया बनाने की लागत बढ़ गई है।

चौक के रहने वाले हाफिज़ मकसूद ताज़िया के पुराने कारीगर हैं। उनका कहना है, “मध्यम आकार की ताज़िया इस बार 500 रुपए ज्यादा महंगी बिक रही है। जहां ताज़िये की कीमत पिछले साल 2,000 रुपए थी वहीं अब 2500 रुपए हो गई है।”

कारीगर परवेज़ और फैजी ने बताया कि मुहर्रम के अब कुछ दिन ही बाकी हैं लेकिन महंगाई का ही असर है कि अभी तक उम्मीद के मुताबिक ऑर्डर नहीं मिले हैं।

ताजिया बनाने वाले सामान की बढ़ रही कीमतों से परेशान

वहीं तजीया बनाने वाले कारीगर सैय्यद का कहना है, “कच्चा माल लाकर ढांचा तैयार करने में ज़्यादा लागत आती है। महंगाई की वजह से अब तो ढांचे की कीमतें भी बढ़ गई हैं। सजावट का सामान काफी महंगा हो गया है। बांस की तीलियों से लेकर पन्नी, वेल्वेट, सितारे, हल और अन्य सजावट की चीजों के दाम बढ़ गए हैं। दामों में डेढ़ गुना बढ़ोतरी हुई है। नक्काशी और मिनार वाली ताज़ियों की मांग ज़्यादा है। 20,000 तक की ताज़िया नक्काशी के साथ बाज़ार में आ रही हैं।”

मुहर्रम को लेकर रूट चार्ट के मुताबिक यातायात व्यवस्था बनाई जाएगी। यातायात व्यवस्था बाधित न हो, इसके लिए रूट डायवर्जन किया जाएगा।
एके सिंह, ट्रैफिक पुलिस प्रभारी

हज़रत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की कर्बला में हुई शहादत की याद में मुहर्रम मनाया जाता है, जिसका खासा महत्व है। यहां निकलने वाले जुलूस और नौ दिनों तक निकलने वाले ताजिये सभी धर्म के लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचते हैं। नौकरी और व्यापार की वजह से शहर के बाहर रहने वाले लोग इस मौके पर शहर जरूर आते हैं।

मुहर्रम के मद्देनजर ताजियों और अलम बनाने की तैयारियां तेज हो गई हैं। मुहर्रम के पहले 10 दिन तक शहर में ताजियों का जुलूस शान-ओ-शौकत के साथ निकलता है। मुहर्रम के आखिरी दिन निकलने वाले जुलूस में लाखों लोग शामिल होते हैं। तैयारियों के चलते इमामबाड़ों की रंगाई-पुताई कर ली गई है। साथ ही ताजिया रखने की भी तैयारियां हो गई हैं।

रिपोर्टर - सुधा पाल

   

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.