बहुजन क्रान्ति मोर्चा की ईवीएम के खिलाफ उग्र राष्ट्रव्यापी आंदोलन की घोषणा 

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बहुजन क्रान्ति मोर्चा की ईवीएम के खिलाफ उग्र राष्ट्रव्यापी आंदोलन की घोषणा इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन

मेरठ (भाषा)। उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, मणिपुर और उत्तराखंड के विधान सभा चुनावों के नतीजे आने के बाद मतदान के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के इस्तेमाल पर बसपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी द्वारा सवाल उठाए जाने के बीच आज बहुजन क्रान्ति मोर्चा ने 25 मार्च से ईवीएम के खिलाफ पांच चरणों में उग्र राष्ट्रव्यापी आंदोलन की घोषणा की है। आंदोलन के अंतिम चरण में जेल भरो आंदोलन भी शुरु किया जाएगा।

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मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम ने आंदोलन की घोषणा करते हुए कहा कि ईवीएम में गड़बड़ी के मामले में बहुजन क्रान्ति मोर्चा पहले भी चुप नहीं बैठा था और आज भी चुप बैठने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि आंदोलन के पहले चरण में 25 मार्च को देश के 31 राज्यों के 550 जिलों में जिला मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन किया जायेगा। दूसरे चरण में प्रदर्शन रैली और तीसरे चरण में देश के एक्सप्रेस हाईवे रोड पर उग्र प्रदर्शन किया जायेगा। चौथे चरण में रेल रोको आंदोलन और पांचवे और अंतिम चरण में जेल भरो आंदोलन शुरु किया जायेगा। वामन मेश्राम ने कहा कि इस बार हम तब तक चैन से नही बैठेगे जब तक ईवीएम पर रोक नही लगेगी।

इस सवाल पर कि क्या वह ईवीएम के मुद्दे पर बसपा सुप्रीमो का समर्थन कर रहे हैं, वामन मेश्राम ने कहा, ‘‘मायावती और दूसरे दल चुनाव हारने के बाद अब ईवीएम में गड़बड़ी की बात कह रहे हैं। लेकिन हम तो 2009 से ईवीएम के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। यही नहीं हमने इस मामले में 2009 के लोकसभा चुनावों के बाद सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर कर लिखित रुप में कुछ प्रमाण भी पेश कर दावा किया था कि ईवीएम से कभी भी निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव नहीं हो सकता।''

वामन मेश्राम ने सवालों के जवाब में कहा कि हमने अदालत में कहा था कि कांग्रेस और भाजपा द्वारा ईवीएम में गड़बड़ी कर बड़े पैमाने पर घोटाला किया जा रहा है, जो संविधान के खिलाफ है और लोकतंत्र की हत्या है। उन्होंने कहा कि हमारी याचिका के बाद ही उच्चतम न्यायालय ने आठ अक्टूबर 2013 को चुनाव आयोग को आदेश दिया था कि ईवीएम में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने के लिए वीवी पैट लगाये जाएं। जब तक वीवी पैट नही लगाया जाता है तब तक ईवीएम का इस्तेमाल करना अंसवैधानिक है।

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