बदल रहा बधाई देने का अंदाज

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बदल रहा बधाई देने का अंदाजसंचार क्रांति के इस दौर में लोग बधाइयां देने के लिए ग्रीटिंग कार्ड की जगह सोशल मीडिया वाट्सएप, फेसबुक वगैरह का इस्तेमाल ज्यादा कर रहे हैं।

लखनऊ (आईएएनएस/आईपीएन)। नववर्ष के स्वागत की तैयारियों के बीच ग्रीटिंग्स बाजार भी सजा, दुकानों में नए वर्ष की बधाई वाले तरह-तरह के लुभावने ग्रीटिंग्स की भरमार रही। लेकिन अब इन दुकानों में खरीदारों की पहले जैसी भीड़ नहीं देखी जा रही है। संचार क्रांति के इस दौर में लोग बधाइयां देने के लिए ग्रीटिंग कार्ड की जगह सोशल मीडिया वाट्सएप, फेसबुक वगैरह का इस्तेमाल ज्यादा कर रहे हैं। मगर आज भी कुछ युवा एैसे हैं जो मैसेजिंग की अपेक्षा ग्रीटिंग कार्डो को संजोकर रखना ज्यादा पसंद करते हैं।

नई आशाओं और नए सपनों के साथ लोग नए वर्ष 2017 का स्वागत में लगे हुए हैं। स्वागत तो 31 दिसंबर की रात बारह बजे से ही शुरू हो गई थी। नए वर्ष के प्रवेश पर लोगों ने जबरदस्त आतिशबाजी करते हुए रंग-बिरंगी रोशनियों के बीच नए वर्ष को वेलकम कहा। इस दौरान हर जगह 'हैप्पी न्यू ईयर' की गूंज सुनाई दी। लोगों ने एक दूसरे को गले लगाकर नववर्ष की शुभकामनाएं देते हुए विकास के नए पथ पर अग्रसर होने की कामना की।

नववर्ष की सबसे ज्यादा धूम सोशल मीडिया पर देखी गई। सोशल मीडिया के दो सबसे ज्यादा प्रचलित माध्यम फेसबुक और वाट्सएप पर नववर्ष की बधाई संदेशों की भरमार रही। लोगों ने ग्रुप में और व्यक्तिगत रूप से इन संचार के माध्यमों के द्वारा एक दूसरे को नूतन वर्ष की शुभकामनाएं प्रेषित कीं, लेकिन इस सब के बीच कहीं ग्रीटिंग कार्ड गिफ्ट देने का प्रचलन काफी पीछे छूट गया।

आप को याद होगा कि अभी कुछ वर्षो पहले तक नववर्ष पर ग्रीटिंग काडरें की दुकानें एक माह पूर्व से ही सज जाया करती थीं। लोग अपने मित्रों एवं रिस्तेदारों को नववर्ष की बधाई ग्रीटिंग के माध्यम से दिया करते थे। दूर रहने वाले मित्र व संबंधियों को भी डाक द्वारा ग्रीटिंग कार्ड भेज उनकी मंगलकामना की जाती थी। वहीं कुछ जोशीले युवा अपने प्रियजनों को उपहार स्वरूप गुलाब के फूल एवं बुके भेंट करते थे। लेकिन तकनीक के इस युग में ग्रीटिंग व उपहार देने की प्रथा अब मोबाइल के द्वारा मैसेज कर पूरी की जाने लगी है।

कालेज छात्रा शुभांगी गुप्ता कहती हैं, ''अब ग्रीटिंग कार्ड चुनने और खरीदने कौन बाजार जाए, जब मोबाइल हाथ में है, तो ग्रीटिंग कार्ड खरीदने और हाथ से मैसेज लिखने की जहमत कौन उठाए।'' शुभांगी की तरह मोनिका, विभा, रितू, ममता, श्वेता, शिखा, प्रज्ञा जैसी युवतियों का भी यही कहना है। वे मोबाइल से ही बधाई देने को ज्यादा तरजीह दे रही हैं। तकनीकी विकास के साथ लोगों को जितनी सुविधाएं मिली हैं, उतनी ही रिश्तों में दूरियां भी देखी जा रही हैं।

पहले लोग एक-दूसरे से मिलकर नूतन वर्ष की शुभकामनाएं देते थे, वहां अब अपने घर से ही सोशल नेटवर्क के माध्यम से बधाई देकर फर्ज अदायगी का प्रचलन चल पड़ा है।

      

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