जोश, जुनून और उत्साह के साथ पुलिस सप्ताह का आगाज

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जोश, जुनून और उत्साह के साथ पुलिस सप्ताह का आगाजपुलिस सप्ताह के दौरान पुलिस लाइन में रैतिक परेड का एक दृश्य।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस सप्ताह के अवसर पर राज्यपाल राम नाईक ने पुलिसवालों को संबोधित करते हुए कहा कि अगले साल प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं। शांतिपूर्ण मतदान में पुलिस की विशेष भूमिका होती है। ऐसे में आप लोग अपनी जिम्मेदारियों का अच्छे से पालन करें, यह मेरी शुभकामना है। उत्तर प्रदेश पुलिस को नई चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक आधुनिक उपकरणों एवं तकनीक के उपयोग किए जाने पर उन्होंने संतोष व्यक्त किया।

पुलिस की बेहतर छवि का लाभ समाज को

उन्होंने पुलिस की ओर से सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग से संचालित की जा रही कई सरकारी योजनाओं की सराहना करते हुए कहा कि मीडिया पुलिस के अच्छे कार्यों को निष्पक्ष भाव से प्रस्तुत करें। राज्यपाल ने कहा कि समाज में शांति व्यवस्था बनाए रखने का दायित्व पुलिस पर है। पुलिस की बेहतर छवि का लाभ समाज को होगा। पुलिस के कार्य में जनता का सहयोग जरूरी है। जनता और पुलिस के बीच सम्पर्क बना रहना चाहिए, इससे पुलिस की छवि बेहतर बनेगी और पुलिस को मन से अपना मित्र और संरक्षक समझेंगे।

रैतिक पुलिस परेड की शुरुआत

शुक्रवार को पुलिस लाइन लखनऊ में पुलिस सप्ताह-2016 की भव्य रैतिक पुलिस परेड के साथ शुरुआत हुई। जिसमें पुलिस और पीएसी की विभिन्न टुकड़ियों ने राज्यपाल राम नाईक को सलामी दी। परेड के प्रथम कमाण्डर एसएसपी लखनऊ मंजिल सैनी, सेकेण्ड इन कमाण्ड विनोद कुमार सिंह, सेनानायक द्वितीय वाहिनी पीएसी सीतापुर, परेड एड्जूटेण्ड डॉ. धर्मेन्द्र यादव पुलिस उपाधीक्षक बुलन्दशहर रहे। परेड में छठी वाहिनी पीएसी की आरएएफ, एटीएस की कमाण्डो, 10वीं वाहिनी पीएसी, 32वीं वाहिनी पीएसी, 35वीं वाहिनी पीएसी, 37वीं वाहिनी पीएसी का एक-एक दल, महिला पुलिस, यातायात पुलिस, अश्वारोही दल, फायर सर्विस एवं पुलिस दूरसंचार की टुकड़ियां शामिल रही। परेड का मान प्रणाम राज्यपाल उत्तर प्रदेश राम नाईक ने ग्रहण किया गया। इसके बाद डीजीपी यूपी पुलिस जावीद अहमद ने परेड समारोह में उपस्थित मंत्री, प्रमुख सचिव, अधिकारियों और कर्मचारियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि परेड के अवसर पर अपराधों की रोकथाम के लिए खूंखार अपराधियों से विभिन्न मुठभेड़ों में जो पुलिसजन अपनी जान की परवाह न करते हुए अदम्य साहस एवं शौर्य का प्रदर्शन करते हैं, उन्हें वीरता के लिए पुलिस पदक प्रदान किया जा रहा है।

आम आदमी को पुलिस तक अपना दर्द पहुंचने में न हो कठिनाई

राज्यपाल ने कहा कि थानों में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि आम आदमी को पुलिस तक अपना दर्द लेकर पहुंचने में कोई भय या कठिनाई न हो। महिलाओं से जुड़े अपराधों की रोकथाम पर अपेक्षाकृत अधिक संवेदनशील होकर कार्य करें। फरियादी को यह विश्वास दिलाएं कि उसके दर्द को सुनकर निष्पक्षता से कानूनी कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि सम्प्रदायिक तत्वों, संगठित अपराधियों और माफिया तंत्र पर पुलिस दृढ़ संकल्प के साथ अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सक्रिय रहे। राज्यपाल ने कहा कि पुलिस का काम निःसंदेह अधिक जटिल और जोखिम भरा होता है। उत्तर प्रदेश जनसंख्या के लिहाज से देश का सबसे बड़ा प्रदेश है। विश्व में चीन, ब्राजील, इण्डोनेशिया और अमेरिका के बाद जनसंख्या के आधार पर उत्तर प्रदेश पांचवे स्थान पर है। प्रदेश में नगरीय एवं ग्रामीण अंचलों के नागरिकों को जनसुरक्षा सेवाएं प्रदान की जानी चाहिए। इस परेड में समस्त जिलों के पुलिस अधीक्षक एवं जोनल पुलिस महानिरीक्षक बुलाये गए थे जिससे अधिकारियों में उत्साह का संचार रहा।

वीरता के लिए पुलिस पदक से सम्मानित

  1. विजय सिंह मीना, महानिरीक्षक बरेली जोन
  2. जोगेन्द्र सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बरेली
  3. बिन्द कुमार, निरीक्षक गाजीपुर
  4. शशिभूषण राय, निरीक्षक, जौनपुर
  5. अशोक कुमार सिंह, हेड कांस्टेबल वाणिज्यकर विभाग गोरखपुर
  6. राहुल श्रीवास्तव, अपर पुलिस अधीक्षक मुख्यालय/जनसम्पर्क अधिकारी पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश
  7. वशिष्ठ सिंह यादव, सेवानिवृत्त निरीक्षक नि. 66/2 स्टेनली रोड थाना कर्नलगंज इलाहाबाद
  8. एसकेएस प्रताप, पुलिस उपाधीक्षक मुजफ्फरनगर

राष्ट्रपति का पुलिस पदक मिला

  1. विजय कुमार मौर्या, अपर पुलिस महानिदेशक, प्रशिक्षण उ0प्र0
  2. संजय सिंघल, पुलिस महानिदेशक के सहायक, उ0प्र0
  3. विनोद कुमार यादव, सेवानिवृत्त पुलिस उपाधीक्षक नि0 29ए दाउदपुर काली मन्दिर के पीछे थाना कैण्ट गोरखपुर
  4. हरिओम शर्मा, एसआईएम आगरा

104 साल पुराना इतिहास है पुलिस सप्ताह का

पुलिस सप्ताह यूपी पुलिस की एक अनोखी प्रथा है, जिसकी शुरुआत 1912 में हुई। शुरुआत में यह केवल ब्रिटिश अधिकारियों के लिए ही होती थी। इसकी शुरुआत वार्षिक रैतिक पुलिस परेड से होती थी और यह प्रदेश के सभी रैंक के पुलिसजनों के लिए एक ऐसा मंच होता था, जिस पर वे विभाग की बेहतरी के लिए योजनाएं बना सकते थे एवं उन पर विचार-विमर्श कर सकते थे। सन् 1912 से 1948 तक यह पुलिस सप्ताह मुरादाबाद में मनाया जाता रहा। सन् 1949 से यह समारोह लखनऊ में मनाया जाता है। वर्तमान स्वरूप में इस परम्परा की शुरुआत सन् 1952 में हुई थी जब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उत्तर प्रदेश पुलिस एवं पीएसी को निशान पताकाएं प्रदान की थीं ।

   

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