यदि आप चर्म शोधन कारखानों में प्रवेश नहीं कर सकते तो उनका नियमन कैसे करेंगे: NGT 

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यदि आप चर्म शोधन कारखानों में प्रवेश नहीं कर सकते तो उनका नियमन कैसे करेंगे: NGT NGT ने कहा कि चर्म शोधन कारखानों से निकलने वाले प्रदूषकों में भारी मात्रा में क्रोमियम होता है और वे गंगा को प्रदूषित कर रहे हैं।

नई दिल्ली (भाषा)। राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने उत्तरप्रदेश सरकार और उसके प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कानपुर में गंगा किनारे बने चर्म शोधन कारखानों के नियमन के मुद्दे पर सवाल पूछा है। NGT ने पूछा है कि यदि इन दोनों के अधिकारी चर्म शोधन कारखाने के परिसरों में प्रवेश भी नहीं कर सकते तो उनका नियमन कैसे कर सकते हैं।

NGT ने कहा कि चर्म शोधन कारखानों से निकलने वाले प्रदूषकों में भारी मात्रा में क्रोमियम होता है और वे गंगा को प्रदूषित कर रहे हैं। यहां तक कि उत्तरप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी अब तक इन शोधन कारखानों की असल संख्या के बारे में नहीं जानता था। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘आप (उत्तरप्रदेश और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) कहते हैं कि चर्म शोधन कारखानों का संचालन नियमित होना चाहिए। लेकिन हमें एक बात बताइए कि यदि आपके लोग उनके परिसरों में घुस भी नहीं सकते तो आप उसका नियमन कैसे करेंगे?''

पीठ की ओर से यह टिप्पणी एक ऐसे समय पर आई है जब उत्तरप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पीठ को बताया है कि कानपुर में 400 चर्म शोधन कारखाने हैं, जो जजमाऊ नाले में प्रदूषक छोड़ते हैं। गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए इनके संचालन पर नजर रखना बेहद जरुरी है।

      

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