नहीं दूर हो रही बाल विवाह की कुप्रथा

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नहीं दूर हो रही बाल विवाह की कुप्रथामोहनलाल गंज ब्लॉक से 15 किमी की दूरी पर स्थित गाँव नंन्दौली, दहियर, छतौनी गाँवों में आज भी बाल विवाह की प्रथा जारी है।

श्वेता मिश्र, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

मोहनलालगंज (लखनऊ)। “घर वाले जो कहते हैं वो करना पड़ता है हम आगे पढ़ना चाहते हैं, लेकिन घर वालों की बात न मानें तो क्या करें।’’ ऐसा कहना है दहियर गाँव की निवासी किशोरी निशा (16 वर्ष) का।

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मोहनलाल गंज ब्लॉक से 15 किमी की दूरी पर स्थित गाँव नंन्दौली, दहियर, छतौनी गाँवों में आज भी बाल विवाह की प्रथा जारी है। इन गाँवों में रहने वाली अधिकतर किशोरियों का बाल विवाह हुआ है। एक किशोरी तो ऐसी है, जिसकी 16 वर्ष की उम्र में दो बार शादी हो चुकी है। यहां रहने वाले लोगों में ज्यादातर अनुसूचित जाति के लोग शामिल हैं।

लगभग 80 फीसदी लोग अनुसूचित जाति के हैं, वह मजदूरी और किसानी कर अपना जीवन-यापन कर रहे हैं। इस गाँव में आज भी बाल-विवाह हो रहे हैं। ग्राम प्रधान सूरज कुमारी बताती हैं, ‘’गाँव के ज्यादातर लोग पिछड़े वर्ग के हैं और कम पढ़े-लिखे हैं। ये अपनी लड़कियों की शादी जल्दी करवाने के लिए आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड पर उम्र बढ़ाकर लिखवा देते हैं, जिससे अगर कोई भी व्यक्ति कुछ कहे तो इनके पास सबूत रहे किशोरी को बालिग साबित करने का।”

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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