पिचाई और ज़ुकरबर्ग को रास नहीं आई ट्रंप की नीति, कहा अमेरिका से होगी प्रतिभाएं दूर
गाँव कनेक्शन 29 Jan 2017 11:50 AM GMT
नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को एक ऐसे शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं जो कि अमेरिका में इस्लामिक देशों से आने वाले शरणार्थियों को सीमित करेने के लिए और कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकियों को अमेरिका से बाहर रखने के लिए है। लेकिन ये नीति कई लोगों के आलोचनाओं का शिकार बन चुकी है।
ट्रंप की इस नीति के विरोध में उतरे सर्च इंजन गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई न आलोचना करते हुए प्रतिबंधित किए गए सात देशों के उन कर्मचारियों का वापस बुलाने का फैसला किया है जो गूगल के लिए अमेरिका से बाहर जाकर काम कर रहे थे। पिचाई ने कहा कि इस नीति से अमेरिका में आने वाली बाहरी प्रतिभा पर रोक लगेगी। उन्होनें गूगल कर्मचारियों को लिखे एक ई-मेल में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के इस फैसले से सात मुस्लिम सामर्थ्य देशों से आने वाले 187 लोगों का रोजगार प्रभावित होगा।
फेसबुक सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने भी राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिका हमेशा से शरणार्थियों का देश रहा है और उसे इसपर गर्व होना चाहिए। जुकरबर्ग ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि लोगों की तरह मैं भी राष्ट्रपति ट्रंप के उन नीतियों के प्रभावों को लेकर चिंतित हूं जिन्हें हाल ही में उन्होनें पारित किए हैं।
उन्होंने लिखा कि हमें इस देश को सुरक्षित रखने की जरूरत है, लेकिन हमें ऐसा उन लोगों पर ध्यान देकर करना चाहिए जिनसे वाकई में हमें खतरा है। हमें अपने दरवाज़े शरणार्थियों के लिए और ऐसे लोगों के लिए जिन्हें हमारी जरूरत है, खुले रखने चाहिए। यही हमारी पहचान है।
जुकरबर्ग ने अपनी पत्नी के संदर्भ में लिखते हुए कहा कि अगर हमनें कुछ दशक पहले शरणार्थियों के आने पर प्रतिबंध लगाया होता तो प्रेसिलिया का परिवार आज यहां नहीं होता। प्रेसिलिया का परिवार भी चीन और वियतनाम से आए हुए शरणार्थी हैं।
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