तालाबों से मिट्टी लाने पर पुलिस लगा रही रोक, कुम्हार परेशान

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तालाबों से मिट्टी लाने पर पुलिस लगा रही रोक, कुम्हार परेशानमिट्टी के दीये बनाते कुम्हार।

संदीप कुमार (कम्यूनिटी जर्नलिस्ट)

रायबरेली। जिले के सबसे भीड़भाड़ वाले क्षेत्र कहारों के अड्डे के नज़दीक खाली सहाट कस्बा है। इस कस्बे में एक मोहल्ले लोहानीपुर में 60 वर्षीय दिनेश बारी मिट्टी के बर्तन बनाते हैं। मगर इस साल उन्हें पुलिस तालाब से मिट्टी नहीं लेने दे रही है। रोजी-रोटी का संकट बन आया है।

दिनेश बताते हैं, ''शहर में हम जिन तालाबों से मिट्टी लाते थे वे अब पाट दिए गए हैं। नगर से सटे जो भी तालाब थे, उनपर अब बड़े-बड़े मकान बन गए हैं। कहीं आस-पास जो भी खाली खेत या फिर ऊसर थे उनसे भी मिट्टी लेने पर पुलिस बहुत परेशान करती है।''

लोहानीपुर और राजघाट के करीब रहने वाली कुम्हार बिरादरी के दर्जनों परिवारों में मिट्टी के बरतन बनाने का काम होता है। इनमें से अधिकतर कुम्हार बिरादरी ने अपना पुराना काम छोड़कर दूसरे उद्योगों से जुड़ना शुरू कर दिया है।

राजघाट के पास सईनगर कस्बे में कुम्हार का काम कर रहे रबिंदर दीन (54 वर्ष) ने बताया, '' किसी तरह मिट्टी मिल भी जाती है, तो बर्तनों को पकाने के लिए लकड़ी खरीदने में बहुत पैसा खर्च हो जाता है। इसलिए अब ऑर्डर मिलने पर ही माल तैयार किया जाता है नहीं तो चक्का बंद रहता है।''

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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