इमारतों के निर्माण के लिए पाट दिए तालाब
Rishi Mishra 2 Nov 2016 1:06 PM GMT

लखनऊ। राजधानी में ग्रामीण क्षेत्रों के प्राकृतिक संसाधनों की जमकर लूट हुई है। करीब 1600 तालाब पाट दिये गये। दर्जनों चारागाह, कब्रिस्तान, श्मशान भूमि का इस्तेमाल भी लखनऊ विकास प्राधिकरण और कई निजी कंपनियों ने अपने फायदे के लिए किया जिसको लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं।
गोमती नगर विस्तार में मलेसेमऊ गाँव की 40 एकड़ तालाब और श्मशान घाट की भूमि पर एलडीए की ग्रुप हाउसिंग स्कीम की इमारतें खड़ी हो गई हैं। 17 तालाब और 14 मरघट खो चुके हैं। इनमें से गरीबों के लिए 128 फ्लैटों की अपना घर योजना की बिल्डिंग भी एक श्मशान घाट पर बनाई गई है। रिवर व्यू एनक्लेव के कुछ ब्लॉक तालाबों की भूमि पर बनाए गए हैं।
किसान लगातार इस मुद्दे पर विरोध कर रहे हैं। वहीं प्राधिकरण इस मसले से पल्ला झाड़ रहा है। कहा जा रहा है कि श्मशान की भूमि समायोजित कर दी गई है। गोमती नगर विस्तार को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के समय से आंदोलन चल रहा है लेकिन किसानों की बात को अनसुना कर दिया गया। शासनादेश में पाबंदी होने के बावजूद शहर के विकास के नाम पर योजनाओं के लिये प्राकृतिक संसाधनों और श्मशानों को धड़ल्ले से अधिग्रहित किया गया।
अधिग्रहण में हुई इस गलती को बाद में इंजीनियरों ने भी सुधारने में कोई रुचि नहीं दिखाई और लगातार योजनाएं ऐसी भूमि पर स्वीकृत की जाती रहीं।
मख्दूमपुर के ग्राम प्रधान देवेश यादव बताते हैं, “हम लगातार संघर्ष करते रहे जबकि एलडीए के इंजीनियर, भू-अर्जन विभाग और टाउन प्लानरों की मिलीभगत से प्राकृतिक संसाधनों की लूट होती रही। किसान अब भी आंदोलन कर रहे हैं। कम से कम इन संसाधनों का समायोजन तो अन्य जगहों पर प्राधिकरण कर ही दे।”
सरकारी संस्थाएं प्राकृतिक संसाधनों की लूट में आगे
ऐसा नहीं है कि केवल प्रापर्टी डीलरों ने ही तालाबए पोखरे और चारागाहों की जमीनों को बेचा है। सरकारी संस्थाओं ने भी इन पर कब्जा किया है। नगर विकास विभाग को मिली सूचना के मुताबिक, कई शहरों में आवास विकास परिषद व विकास प्राधिकरणों ने तालाब, पोखर, चारागाहों की जमीनों को बेचा है।
ये खसरा नंबर हैं तालाबों के
गाँव मलेसेमऊ के खसरा संख्या 87 ख, 85ए, 93ए, 94ए, 98ए, 97107 कए, 100ए, 205ए, 402ए, 672ए, 692खए, 694ए, 700खए, 709ख और 712 की करीब 32 बीघा भूमि तालाब के रूप में दर्ज हैं। मौके पर एक भी तालाब नहीं है। इन तालाबों के स्थान पर कहीं सड़क तो कहीं अन्य सुविधाएं दी गई हैं।
ये खसरा नंबर हैं श्मशान के
इसी गाँव के खसरा संख्या 145ए, 220ए, 243ए, 253ए, 260ए, 350ए, 352ए, 356ए, 372ए, 410ए, 439ए, 216ए, 221 और 430 करीब 68 बीघा भूमि पर भी यही हाल है। ये सारे खसरा संख्या श्मशान के रूप में दर्ज हैं। इसमें से तीन-चार को किसान आंदोलन की वजह से प्राधिकरण ने छोड़ा।
अपने घर में छले गए
अपना घर प्राधिकरण की सबसे बड़ी छलावा स्कीम रही है। अत्यंत गरीबों के लिए तीन लाख और पांच लाख रुपये मूल्य की स्कीम निकाली गई थी। वर्ष 2010 में इस स्कीम के तहत सात हजार आवेदन आए थे। सभी आवेदकों को फ्लैट देने की घोषणा की गई थी। बाद में भूमि और धन की कमी के चलते मात्र 127 फ्लैट बनाने पर हामी भरी गई। सेक्टर-4 में जहां अपना घर की बिल्डिंग बन रही है, उसका आधा हिस्सा श्मशान के रूप में दर्ज है।
2010 में हुआ सबसे बुरा हाल
तत्कालीन वीसी मुकेश कुमार मेश्राम एलडीए में अपार्टमेंट कल्चर को बढ़ावा देना चाहते थे। सबसे अधिक गोमती नगर विस्तार में अपार्टमेंट की स्कीम लांच की गईं। करीब तीन हजार रिवर व्यू, दो हजार सुलभ, चार सौ वनस्थली, छह सौ ग्रीनवुड और 128 अपना घर स्कीम के फ्लैट विस्तार में लांच किये गये। सहज और कल्पतरु स्कीम भी यही हैं। सेक्टर-1 से लेकर सेक्टर-6 तक स्कीम बनाने का काम शुरू हुआ। स्कीम लांच किये जाने की हड़बड़ी में इंजीनियर भी हामी भरते चले गये। भूमि की उपलब्धता की फिक्र न कर ले आउट बनाना शुरू कर दिया गया। इसी वजह से स्कीम के चलते प्राकृतिक संसाधन गायब हो गए।
Lucknow Development Authority Gomti Nagar
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