बीएसएफ जवान के भोजन से जुड़े दावे पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका

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नई दिल्ली (भाषा)। दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया है कि वह नियंत्रण रेखा पर सुरक्षा बलों को परोसे जा रहे भोजन की खराब गुणवत्ता के बारे में बीएसएफ जवान की ओर से सोशल मीडिया पर किए गए दावे पर गौर करे।

एक पूर्व सैनिक की ओर से दायर इस याचिका में अनुरोध किया गया है कि अदालत गृहमंत्रालय को बीएसएफ के जवान द्वारा वीडियो में लगाए गए आरोपों की पृष्ठभूमि में भारत के सभी अर्द्धसैन्य बलों के संदर्भ में एक स्थिति रिपोर्ट जमा कराने का निर्देश दे। इस याचिका पर इस सप्ताह सुनवाई होनी है। जवान का उक्त वीडियो नौ जनवरी को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।

याचिकाकर्ता पूर्ण चंद आर्य ने वकील अभिषेक कुमार चौधरी के माध्यम से दायर कराई गई इस जनहित याचिका में यह अनुरोध किया है कि अदालत गृहमंत्रालय और पांच अर्द्धसैन्य बलों को यह निर्देश दे कि वे “सभी रैंकों के सैन्यकर्मियों के लिए खरीदे जाने वाले, पकाए जाने वाले और परोसे जाने वाले भोजन संबंधी परिदृश्य को वर्गीकृत करे।” याचिका में अनुरोध किया गया है कि इस घटना से जुड़े अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि कर्मियों और नागरिकों का मनोबल प्रभावित न हो। बीएसएफ के कॉन्सटेबल तेज बहादुर यादव ने भोजन की खराब गुणवत्ता के बारे में शिकायत करने के लिए अपने सेलफोन और सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया था।

10 लाख से ज्यादा लोगों ने देखा वीडियो

फेसबुक पर डाले वीडियो को 10 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है। इन वीडियो में यादव एक खाने का डिब्बा दिखाते हुए दावा कर रहे हैं कि खाने के लिए सिर्फ हल्दी और नमक से युक्त पानी जैसी दाल और जली हुई रोटी दी गई है। दाल में दाल है ही नहीं। पीछे एक चाय का बर्तन और खुला हुआ टिफिन दिखाई दे रहा है।


बीएसएफ के जवान के खिलाफ न हो कार्रवाई

याचिका में दावा किया गया है कि यह याचिका संविधान में प्रदत्त अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समान) और अनुच्छेद 21 (जीने का अधिकार) को दर्ज कराने के लिए जनता के लाभ के लिए दायर की गई है। याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया है कि अधिकारी बीएसएफ के उस जवान के खिलाफ कार्रवाई न करें जिसने जीने के लिए भोजन से जुड़ी एक वास्तविक मांग उठाई है। याचिका में स्वास्थ्यप्रद भोजन बनाने और वितरित करने के लिए उच्च अधिकारियों की तैनाती के निर्देश भी मांगे गए हैं।

    

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