UP CM: योगी आदित्यनाथ को सात साल की कठिन सेवा के बाद नाथ संप्रदाय में मिली थी योगी की दीक्षा

Ashwani NigamAshwani Nigam   18 March 2017 6:49 PM GMT

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UP CM: योगी आदित्यनाथ को सात साल की कठिन सेवा के बाद नाथ संप्रदाय में मिली थी योगी की दीक्षायोगी आदित्यनाथ।

लखनऊ। रू गोरखनाथ जिनको गोरक्षनाथ भी कहा जाता है वह 11वीं 12वीं शताब्दी के योगी थे। उन्होंने नाथ संप्रदाय की स्थापना की। कुछ लोगों को मानना है कि आदिगुरू भगवान शिव ने गोरक्षनाथ स्वरूप में जन्म लिया। गोरखनाथ ने मछेन्द्र्नाथ को अपना गुरू माना। जिसे नाथ सपंद्राय के योगी भगवान विष्णु का भी अवतार मानते हैं। योगी आदित्यनाथ इसी परंपरा के सबसे बड़े संत हैं।

सात साल की कठिन सेवा के बाद उन्हें नाथ संपद्राय में योगी की दीक्षा मिली। उनकी दिनचर्चा सुबह 3 बजे शुरू होती है। दो घंटे हठयोग करने के बाद सुबह पांच बजे पूजा पाठ करते हैं। उसके बाद हल्का नाश्ता करने के बाद अखबार पढ़ने और कार्यकर्ताओं से हालचाल लेते हैं। उसके बाद आम लोगों के लिए उनका दरबार लगता है। जिसमें देा घंटे तक जनता की समस्याएं सुनते हैं। उसके बाद क्षेत्र का भ्रमण करते हैं।

गढ़वाल विश्वविद्याल से विज्ञान में स्नातक करने वाले महंत योगी आदित्यनाथ वर्तमान में गारेखपुर लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी का सांसद होने के साथ नाथ संपद्राय की गोरखपुर में स्थित सबसे बड़ी पीठ और मठ गोरखनाथ मंदिर के गोरक्षपीठाधीश्वर महंत हैं। नाथ संप्रदाय की सबसे कठिन परंपरा हठयोग में दीक्षित और हठयोग स्वरूप एवं साधन, राजयोग- स्वरूप और साधना नामक किताब लिखने वाले योगी 22 साल की उम्र में 15 फरवरी 1994 को गोरखनाथ मंदिर के महंत और सांसद अवैधनाथ ने अपना उत्तराधिकारी चुना था।

इसके चार साल महंत अवैधनाथ से जब राजनीति से सन्यास लिया तो उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के रूप में गोरखुपर लोकसभा की सीट योगी आदित्यनाथ के हवाले की। मात्र 26 साल की उम्र में 12वीं लोकसभा के चुनाव साल 1998 में योगी आदित्यनाथ पहली बार गारेखपुर लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी के टिकट पर सांसद बने। इसके बाद लगातार 13वीं, 14वीं, 15वीं और 16वीं लोकसभा के चुनाव में गोरखुपर से सांसद चुने गए।

महंत योगी आदित्यनाथ हिन्दु युवा वाहिनी नामक एक संगठन के संरक्षक हैं जिसका पूर्वांचल के गांवों से लेकर शहरों तक में बड़ा जनाधार है। इसके अलावा आदित्यनाथ विश्व हिन्दू महासंघ नामक एक अंतराष्ट्रीय संस्था के अध्यक्ष हैं। इसके अलावा दर्जनों शैक्षिक और सामाजिक संस्थाओं के अध्यक्ष भी हैं। गोरखुपर में गोरखनाथ क्षेत्र में एक बड़ा चिकित्सालय भी वह चलाते हैं। अमेरिका, मलेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर, कम्बोडिया और नेपाल की यात्रा कर चुके योगी नाथ परंपरा के सबसे बड़े संत हैं।

गोरखनाथ मंदिर से योगी को दिलाई बड़ी पहचान

गोरखनाथ मंदिर में लोगों की बहुत आस्था है. मकर संक्राति पर हर धर्म और वर्ग के लोग बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने आते हैं. महंत दिग्विजयनाथ ने इस मंदिर को 52 एकड़ में फैलाया था. उन्हीं के समय गोरखनाथ मंदिर हिंदू राजनीति के महत्वपूर्ण केंद्र में बदला, जिसे बाद में महंत अवैद्यनाथ ने और आगे बढ़ाया. उनके निधन के बाद महंत योगी आदित्यनाथ इस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

       

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