चीन डोकलाम से सैनिकों को नहीं हटाएगा

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चीन डोकलाम से सैनिकों को नहीं हटाएगाचीन के सैन्य विशेषज्ञ ने कहा सैनिकों को नहीं हटाएंगें

बीजिंग (आईएएनएस)। चीन के एक सैन्य विशेषज्ञ ने कहा है कि उनका देश डोकलाम से अपने सैनिकों को वापस नहीं हटाएगा, क्योंकि अगर वह ऐसा करता है तो भारत को भविष्य में उसके लिए समस्या खड़ी करने का प्रोत्साहन मिलेगा।

नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी ऑफ द पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के इंटरनेशनल कॉलेज ऑफ डिफेंस में सहायक प्राध्यापक यू दोंगशियोम ने कहा कि अगर भारतीय रणनीतिकार और नीति निर्माता यह सोचते हैं कि चीन वापस लौट जाएगा तो वह गलती कर रहे हैं।

यू ने कहा कि भारतीय सैनिकों को बिना शर्त तत्काल वापस हो जाना चाहिए। चीन की आधिकारिक समाचार एजेंसी सिन्हुआ में यू ने लिखा कि बीजिंग डोकलाम से सैनिकों को वापस नहीं बुलाएगा, क्योंकि यह क्षेत्र चीन से संबंधित है और ब्रिटेन और चीन के बीच 1890 की संधि इस बात का प्रमाण है।

यू ने कहा, "अगर चीन अभी पीछे हटता है, तो भारत भविष्य में और अधिक समस्याएं पैदा करने के लिए प्रोत्साहित होगा। बीजिंग और नई दिल्ली के बीच कई सीमाओं पर कई मतभेद हैं, लेकिन डोकलाम इनमें शामिल नहीं है।"

वहीं, भारत ने कहा है कि अगर चीन अपनी सेना वापस लेता है तो वह भी अपने सैनिकों को वहां से हटा लेगा। उन्होंने कहा, "कुछ भारतीय रणनीतिकार और नीतिकार इस गलतफहमी में हैं कि चीन निहित स्वार्थो, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में अधूरे सुधारों और चीन-अमेरिका रणनीति में भारत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, यह सोचकर वापस लौट जाएगा।"

गौरतलब है कि चीन और भूटान के बीच डोकलाम एक विवादित क्षेत्र है। भारत और भूटान इसे भूटानी क्षेत्र मानते हैं। डोकलाम में 16 जून को चीनी सेना द्वारा सड़क निर्माण को लेकर भारतीय व चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध शुरू हुआ था। डोकलाम पर स्वामित्व पर कोई फैसला न होने का हवाला देते हुए भारतीय सैनिकों ने चीन के सड़क निर्माण कार्य को रोक दिया था।

उन्होंने कहा, "भारत के लिए सैन्य अधिकारियों को चीनी क्षेत्र में भेजना अवैध है, फिर चाहे वह भूटान की सुरक्षा चिंताओं या संरक्षण के बहाने भी क्यों न हो। भारत ने अपनी कार्रवाई के संबंध में कोई कानूनी आधार प्रदान नहीं किया है।"

यू के अनुसार, "भारत भूटान की रक्षा के नाम पर अपनी कार्रवाई को जायज साबित करने का प्रयास कर रहा है और तर्क दे रहा है कि डोकलाम भूटानी क्षेत्र है। अगर यही मामला है तो भारत कैसे अपने सैनिकों को वहां भेजने का दावेदार बन गया है।"

भारत के लिए डोकलाम का बड़ा रणनीतिक महत्व है, क्योंकि यह उसके बेहद महत्वपूर्ण सिलीगुड़ी गलियारे के करीब है, जो शेष भारत को पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ता है।

उन्होंने कहा कि भारत की अपनी सुरक्षा चिंताएं पड़ोसी देश पर सैन्य कब्जे की गारंटी नहीं दे सकती हैं। अगर उन्होंने ऐसा किया तो कोई भी देश विशुद्ध रूप से अपनी आंतरिक सुरक्षा चिंताओं के तहत किसी भी पड़ोसी देश में अपने सैन्य बलों को भेज सकता है।

उन्होंने कहा, "चीन विदेशी सैन्य दबाव के समक्ष भी कभी नहीं झुकेगा और हर कीमत पर अपनी मिट्टी की रक्षा करेगा।"

     

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