गांव का लॉकडाउन: कहीं बल्ली लगाकर रोकी सड़क तो कहीं दे रहे पहरा
Ranvijay Singh 31 March 2020 1:38 PM GMT
कोरोना से बचने के लिए लॉकडाउन ही सबसे बड़ी दवा है, इसीलिए करोड़ों नागरिक लॉकडाउन में हैं। भारत के गांवों में भी लॉकडाउन कर रखा है। कोई बाहरी व्यक्ति गांव में न जाए, कोरोना की चपेट में गांव भी न आए, इसलिए कहीं लोगों ने सड़क पर बल्लियां लगाकर रास्ता रोक दिया है तो कहीं गांव के लोगों ने ही साफ-साफ लिख दिया है कि बाहरियों का गांव में आना मना है।
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के कल्ली गांव में ग्रामीणों ने कस्बे को जाने वाली मुख्य सड़क को बल्ली लगाकर बंद कर दिया है। साथ ही यहां दो व्यक्ति हमेशा पहरा दे रहे हैं और किसी भी बाहरी व्यक्ति को गांव में आने से साफ मना कर रखा है। सीतापुर की तरह ही उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के पहाड़पुर गांव के बाहर लोगों ने बल्ली लगाकर रास्ते को रोक दिया है। इसपर एक पोस्टर भी चिपकाया गया है कि बाहरी व्यक्तियों का गांव में प्रवेश वर्जित है।
उत्तर प्रदेश से लेकर पश्चिम बंगाल और झारखंड से लेकर छत्तीसगढ़, बिहार, मध्य प्रदेश तक तमाम राज्यों में प्रशासन के गतिविधियों के अतिरिक्त ग्रामीणों ने अपनी तरफ से इंतजाम किए हैं। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने शेयर किया है कैसे उनके गांवों के लोग कोरोना से बचने के लिए एतहियात बरत रहे हैं।
लॉकडाउन की घोषणा के बाद से ही बड़े शहरों से प्रवासी मजदूर अपने गांव के लिए चल पड़े थे। ऐसे में यह खतरा बढ़ गया था कि कोरोना वायरस इन लोगों से गांव तक पहुंच सकता है। इसी के मद्देनजर यूपी-बिहार में पंचायत के स्तर पर खास इंतजाम किए हैं।
प्रशासन ने सरकारी स्कूलों में इन लोगों को रोकने की व्यवस्था की है। यहां इन लोगों को 14 दिन के लिए क्वारंटाइन किया जाएगा और उसके बाद अगर किसी में कोरोना के लक्षण पाए जाते हैं तो उन्हें अस्पताल भेजा जाएगा।
ऐसा ही नजारा यूपी के गांव देहात में देखने को मिल रहा है। फेसबुक पर कई ऐसी पोस्ट वायरल हो रही है जिसमें शहरों से गांव पहुंचे लोगों को प्राइमरी स्कूलों में बने क्वारंटाइन वार्ड में रखा गया है। ऐसी ही एक पोस्ट दया सागर नाम के फेसबुक आईडी से पोस्ट की गई है, जिसमें बताया गया हे कि शहरों से गांव पहुंचे लोगों को उनके घर वालों ने ही प्राइमरी स्कूल में रहने की सलाह दी है। इन स्कूलों में उनके ठहरने और खाने की व्यवस्था कर दी गई है।
West Bengal: These makeshift camps on tree are otherwise, used by villagers in Purulia to observe elephant movement and to safeguard themselves from elephant attacks. https://t.co/mkhTSa6bUA
— ANI (@ANI) March 28, 2020
ऐसे ही अलग-अलग राज्यों में भी जो लोग शहरों से गांव लौटे हैं वो खुद को घरों से दूर रख रहे हैं। हाल ही में पश्चिम बंगाल की एक तस्वीर सामने आई थी, जहां चिन्नई से अपने गांव लौटे लोग घरों से दूर पेड़ों पर रह रहे थे। पुरुलिया जिले के वांगिडी गांव का यह मामला है। इस गांव में चिन्नई से लौटे लोग हाथियों की निगरानी करने के लिए पेड़ों पर बनाए कैंप में रह रहे हैं। यहां वो इसलिए रह रहे थे कि उनके घरों में अगल से कमरा नहीं था जहां वो खुद को आइसोलेट कर सकें। ऐसे में इस कैंप का ही इस्तेमाल किया गया।
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