इस दीवाली घर लाइए गोबर से बने दीये और गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति

गाय के गोबर से खाद और बायो गैसे बनने के बारे में तो सभी ने सुना होगा, लेकिन इस दिवाली गोबर के बने दीपक, पूजा की थाली, लक्ष्मी-गणेश गोवर्धन की मूर्ति भी मिलेगी, जिसे स्कूल के बच्चों को साथ गाँव की महिलाएं मिलकर बना रहे हैं।

Mohit SainiMohit Saini   15 Oct 2019 9:49 AM GMT

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मेरठ (उत्तर प्रदेश)। गाय के गोबर से खाद और बायो गैसे बनने के बारे में तो सभी ने सुना होगा, लेकिन इस दिवाली गोबर के बने दीपक, पूजा की थाली, लक्ष्मी-गणेश गोवर्धन की मूर्ति भी मिलेगी, जिसे स्कूल के बच्चों को साथ गाँव की महिलाएं मिलकर बना रहे हैं।

मेरठ जिला मुख्यालय से तकरीबन 15 किलोमीटर दूर अम्हेड़ा गांव में इस दीपावली पर अनोखी पहल देखने को मिल रही है। यहां की किशोरी सभा गाय के गोबर से गौ दीपक, गौ गणेश गौ गोवर्धन , पूजा की थाली गोबर से बने गमले आदि बना रही हैं। इस गांव में यह चर्चा का विषय बना हुआ है और एक अच्छी पहल देखने को मिल रही है। यहां के लोग पशुपालन भी करते हैं जो गाय का गोबर एकत्रित होता है उसे यूज में लाकर अन्य चीज बनाई जा रही हैं और उन पर हल्के रंगों से रंगाई की भी की जाती है। जिससे देखने में काफी आकर्षण लगते हैं।

गाय के गोबर में पालक, मेथी, सरसों का बीज मिलाकर बना रहे हैं गोवर्धन भगवान

दिवाली के बाद गोवर्धन भगवान की पूजा की जाती है इस बार गोबर से गोवर्धन भगवान बनाए गए हैं, जिसमें पालक ,मेथी ,सरसों के बीज मिलाए गए हैं ताकि इन्हें मिट्टी में दबाने के बाद उनसे यह बीज उग सके। बालिकाओं ने बताया यह कार्य लगभग दीपावली से एक माह पहले शुरू कर दिया था और इन्हें हम मार्केट में कम दामों में बेचेंगे ।

गाय के गोबर में कपूर, सामग्री, इत्यादि मिलकर बनाए जा रहे हैं दीपक

यशी शर्मा बताती हैं, "गाय के गोबर से दीपक बना रहे हैं और उसमें कपूर सामग्री इसलिए मिलाई जा रही है ताकि एक तो मच्छर भागे दूसरा घर में सामग्री से खुशबू महके।" इन्होंने अभी तक गाय के गोबर से 11,000 दीपक बनाए हैं और अभी 10000 दीपक बनने बाकी हैं। स्कूल के बाद आकर यह किशोरी सभी मेहनत करती हैं और फिर इन्हें एक रोजगार भी मिल रहा है।


गाय के गोबर से चूना और गोबर मिलाकर बना रहे हैं गमले

अनु शर्मा बताती हैं, "गाय के गोबर में चूना मिलाकर और उसे गमले के फर्मे में अच्छे से उसका रूप देकर गमले तैयार कर रहे हैं, जिसमें तुलसी का पौधा, गेंदे का पौधा लगा सकते हैं और यह देखने में काफी आकर्षण भी लगते हैं। इनकी मज़बूती भी काफी अच्छी होती है इन्हें हम अपने घर में या कमरे में भी रख सकते हैं, जिसे पानी देने की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती। और आने वाले गेस्ट को उसे भेंट भी कर सकते हैं।

सैकड़ों महिलाओं को रोजगार के अवसर भी प्रदान हो रहे बढ़ रही हो उत्पादक की मांग

सैकड़ों महिलाओं को रोजगार का अवसर भी मिल रहा है। अतुल शर्मा बताती हैं, "मेरठ शहर में दूध की डेयरियो को लेकर बंद करने की मांग जोरों शोरों पर चल रही है, जिसके कारण नाले ,नालियां गोबर से चौक हो जाती है । उसके बाद हमने डेयरी मालिक से संपर्क कर लिया है और वह हमें गोबर की एक ट्रॉली 500 रुपए भी देते हैं। यहां पर सैकड़ों महिलाएं कई उत्पादक गोबर से तैयार कर रही हैं और मार्केट में दूरदराज से आर्डर भी आने शुरू हो गए हैं जिससे काफी महिलाओं को रोजगार मिल रहा है ।

दिवाली पर गोबर से बने गणेश और लक्ष्मी जी की मूर्ति व पूजा की थाली भी कर रही हैं तैयार

दिवाली के कुछ ही दिन शेष है और यहां पर सैकड़ों महिलाएं और किशोरी गोबर से बने उत्पादन को बनाए जा रहे हैं जिसमें गोबर से बने गणेश लक्ष्मी वह पूजा की थाली भी तैयार कर रहे हैं जिसमें अच्छे से उन्हें रंग रोगन से सजाया जाएगा गोटा लपेटा जाएगा जिससे देखने में आकर्षण और सुंदर दिखाई दे अभी फिलहाल उन्हें तैयार किया जा रहा है जिनकी डिमांड मेरठ शहर से बाहर भी की जा रही है।

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