हाशिमपुरा कांडः पीएसी के 16 पूर्व जवान दोषी करार, उम्रकैद की सजा
22 मई 1987 को पीएसी की 41वीं वाहिनी के जवानों ने मेरठ के हाशिमपुरा इलाके से पीड़ितों को उठाकर उनकी सामूहिक हत्या कर शव को गंगनगर में फेंक दिया था
गाँव कनेक्शन 31 Oct 2018 6:43 AM GMT
नई दिल्ली। मेरठ के चर्चित हाशिमपुरा कांड में बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया। दिल्ली हाईकोर्ट ने तीस हजारी कोर्ट के फैसले को पलटते हुए पीएसी के 16 आरोपी और पूर्व जवानों को दोषी करार दिया है और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने दोषियों पर 10 हज़ार का जुर्माना भी लगाया है।
पीएसी की 41वीं वाहिनी के जवानों ने 22 मई 1987 को मेरठ के हाशिमपुरा इलाके से सांप्रदायिक दंगों के मद्देनजर एक तलाशी अभियान के दौरान पीड़ितों को उनके मोहल्ले से उठा लिया था। इसके बाद मुरादनगर में नहर के पास उनकी सामूहिक हत्या कर दी थी और लाशों को गंगनगर में फेंक दिया था।
कठोर कानून से भी अपराधियों के हौसले पस्त नहीं हुए
1987 Hashimpura mass murders case: Delhi High Court sets aside the trial court judgement that had acquitted 16 Provincial Armed Constabulary (PAC) officials. Convicts all the accused, sentences them to life imprisonment pic.twitter.com/dk9xxcXF7L
— ANI (@ANI) October 31, 2018
दिल्ली की तीस हज़ारी कोर्ट ने साल 2015 में पीएसी के 19 आरोपी जवानों को बरी कर दिया था। उनमें से तीन की मौत हो चुकी है। उस वक्त कोर्ट ने माना था कि हत्या तो हुई है, लेकिन यह साबित नहीं हो पाया कि हत्या में आरोपी जवान ही शामिल थे। इसी मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को सभी 16 आरोपी पीएसी के जवानों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सज़ा सुना दी। पीड़ितों के परिवार ने अदालत के इंसाफ पर संतोष जताया है।
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