दिल्ली में डेंगू के मरीजों से भरा सफदरजंग अस्पताल, हुआ 1000 का आंकड़ा पार

दिल्ली में पिछले सप्ताह डेंगू के 283 मामले दर्ज किए गए थे। इसके साथ ही इस साल डेंगू से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़कर 1006 हो गई है। गांव कनेक्शन ने सफदरजंग अस्पताल का दौरा किया। अस्पताल में बेड कम पड़ रहे है औऱ डॉक्टरों पर भी काम का दबाव बढ़ गया है। कोरिडोर में मरीजों की भारी भीड़ है। वे इलाज की तलाश में इधर से उधर भटक रहे हैं।

Sarah KhanSarah Khan   29 Oct 2021 9:37 AM GMT

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दिल्ली में डेंगू के मरीजों से भरा सफदरजंग अस्पताल, हुआ 1000 का आंकड़ा पार

दर्ज किए गए 1,006 मामलों में से, अकेले इस महीने में डेंगू के 665 मामले दर्ज किए गए हैं। फोटो: सारा खान

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में सफदरजंग अस्पताल के जनरल वार्ड में अफरा-तफरी का माहौल है। चारों तरफ मरीजों की भीड़ है। 37 वर्षीय थेनकोडी बिस्तर पर बेसुध पड़ी थी।

थेनकोडी को पिछले तीन दिनों से तेज बुखार था। जब उनकी प्लेटलेट तेजी से गिरने लगीं तो उनकी बेटी सौंदर्या उन्हें अस्पताल लेकर आई। 23 अक्टूबर को उनकी प्लेटलेट काउंट 4000 तक पहुंच गई थी। 21 साल की सौंदर्या ने गांव कनेक्शन को बताया, " उन्हें तीन दिनों तक 105 डिग्री बुखार था। तब एक प्राइवेट अस्पताल ने मेरी मां को पीतमपुरा के एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) में ले जाने के की सलाह दी। लेकिन वहां ऑक्सीजन की कमी थी। जिसके चलते रविवार (24अक्टूबर) को उन्हें सफदरजंग अस्पताल में रेफर कर दिया गया। "

थेनकोडी अकेली ऐसी मरीज नहीं हैं जिन्हें डेंगू जैसे लक्षणों मसलन तेज बुखार और प्लेटलेट काउंट में गिरावट के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल के जनरल वार्ड में, डेंगू के लक्षणों वाले कम से कम 50 मरीजों का इलाज चल रहा है। इस वार्ड की क्षमता 48 मरीजों का इलाज करने की है। कुछ बेड ऐसे भी थे जहां एक साथ दो मरीजों का इलाज चल रहा था।

तीन साल में यह पहली बार है जब दिल्ली में डेंगू के मामलों की संख्या अक्टूबर के महीने में एक हजार का आंकड़ा पार कर गई। पिछले सप्ताह ही डेंगु के 208 मामले सामने आए हैं।

दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 23 अक्टूबर तक दिल्ली में डेंगू के मामलों की संख्या 1006 थी। इस महीने डेंगू के 665 मामले दर्ज किए गए हैं।

अगर देखें तो इस साल डेंगू के मामले साल 2018 के आस-पास ही हैं, जिसमें अकेले अक्टूबर महीने में 1,310 मामले दर्ज किए गए थे। साल 2020, अक्टुबर के महीने में डेंगु के 489 मामले सामने आए थे, जबकि 2019 में अक्टुबर के महीने में डेंगु के 833 मामले दर्ज किए गए। साल 2019 की तुलना में 2020 में अपेक्षाकृत कम मामले देखे गए। पिछले छह सालों में डेंगू के मामलों की कुल संख्या, 2017 में सबसे अधिक 4,726 थी जो 2018 में घटकर 2,798 हो गई। साल2019 में ये संख्या 2036 और साल 2020 में कुल 1,072 मामले सामने आए थे।

आधिकारिक आंकड़ों की मानें तो, अब तक डेंगू से केवल एक व्यक्ति की मौत हुई है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दक्षिण दिल्ली में अब तक सबसे अधिक डेंगू के 92 मामले दर्ज किए गए हैं। जबकि 303 मामले किस क्षेत्र के हैं इसका पता नहीं चल पाया है।

सौंदर्या ने कहा, "जब हम पिछले रविवार, 24 अक्टूबर को पहली बार अस्पताल आए थे, तो हमसे किसी दूसरे मरीज के साथ बिस्तर साझा करने के लिए कहा गया था। मामलों की संख्या बढ़ने के कारण दो मरीजों को एक बेड पर भर्ती किया जा रहा था। दूसरे मरीज को छुट्टी मिलने के बाद ही हमें अपनी मां के इलाज के लिए बिस्तर मिल पाया।"


बिस्तरों की कमी ने मरीजों को असहाय और विकट स्थिति में छोड़ दिया है

थेनकोडी तो भाग्यशाली रहीं जिन्हें अस्पताल में बेड मिल गया वरना ऐसे कितने मरीज हैं जिन्हें बिस्तर ही नहीं मिल पाया है। सफदरजंग के मेडिसिन वार्ड के गलियारों में एक छोटे से बिस्तर (गद्दे) के साथ फर्श पर मरीज लेटे पड़े हैं। वह बेड मिलने की अपनी बारी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

गांव कनेक्शन ने एक ऐसे ही मरीज से बात की। 23 साल के छात्र ताबीश को आज सुबह ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन उन्हें अभी भी बिस्तर नहीं मिला है।

उनके अनुसार, कापसहेड़ा के एक प्राइवेट अस्पताल में उनका डेंगू का टेस्ट किया गया था। उनकी रिपोर्ट पॉजेटिव थी।

वह शिकायती लहजे में कहते हैं, "अस्पताल ने मुझे सफदरजंग रेफर कर दिया। सुबह मेरे खून की जांच की गई और मुझे ग्लूकोज चढ़ा दिया गया। लेकिन तब से कोई भी मुझे देखने नहीं आया है।"


दिल्ली में डेंगू के मामले क्यों बढ़ रहे हैं?

डेंगू के बढ़ते मामलों को लेकर सफदरजंग अस्पताल के एक डॉक्टर ने गांव कनेक्शन को नाम न छापने की शर्त पर बताया कि निजी अस्पताल, कम प्लेटलेट काउंट वाले हर मरीज को सफदरजंग अस्पताल रेफर कर रहे हैं। यह जाने बिना कि उन्हें डेंगू है भी या नहीं। उन्होंने समझाया कि डेंगू के मामलों का एकमात्र संकेत प्लेटलेट काउंट का गिरना नहीं है। सीरोलॉजी टेस्ट के बाद ही इसकी पुष्टि हो पाती है कि रोगी को डेंगू है या नहीं।

वह गांव कनेक्शन से कहते हैं, "डेंगू सीरोलॉजी टेस्ट की रिपोर्ट आने में तीन से चार दिन लगते हैं। लेकिन उससे पहले ही निजी अस्पताल, यहां तक ​​कि लोक नायक अस्पताल और राम मनोहर लोहिया जैसे अस्पताल भी अपने मरीजों को हमारे पास रेफर कर देते हैं। हम उन्हें भर्ती करने से मना नहीं कर सकते। यह इस अस्पताल की पोलिसी है।"

वह आगे कहते है, "यह सच है कि अस्पताल में रोजाना डेंगू जैसे लक्षणों के तकरीबन 150 से 200 मामले दर्ज किए जा रहे हैं। लेकिन डेंगू के लक्षणों वाले 50 मामलों में से सिर्फ 10 में ही डेंगु की पुष्टि होती है। जबकि 40 मामलों में सिर्फ प्लेटलेट्स की संख्या कम होती है। और ये जो जरूरी नहीं कि डेंगू के कारण ही ऐसा हो।"

पिछले साल की तुलना में इस साल डेंगू के मामलों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। इसके पीछे क्या कारण हैं, इस बारे में बात करते हुए, डॉक्टर ने कहा कि यह सच है कि इस मौसम में डेंगू तेजी से फैलता है। लेकिन इसके लिए जागरूकता बढ़ाने और बीमारी को रोकने के लिए सरकार ने भी समय रहते पर्याप्त प्रयास नहीं किए हैं।

उन्होंने गांव कनेक्शन को बताया, "पिछले साल, सरकार ने मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए एक अभियान शुरू किया था। लेकिन इस साल अभियान को सक्रिय रूप से बढ़ावा नहीं दिया गया। ज्यादा सफाई नहीं की गई और न ही फॉगिंग की गई। जिस वजह से मामले बढ़ गए हैं।"

कुछ ऐसी ही शिकायत डेंगू से पीड़ित थेनकोडी की बेटी सौंदर्या ने गांव कनेक्शन से की। उनके अनुसार सरकार ने इस सीजन में कोई फॉगिंग नहीं की है। वह कहती हैं, " शकूरपुर, जहां मैं रहती हूं, वहां आमतौर पर समय-समय पर फॉगिंग की जाती रही है। लेकिन इस साल सिर्फ एक बार फागिंग की गई। डेंगू के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कोई अभियान भी नहीं चला।"

अंग्रेजी में खबर पढ़ें

अनुवाद: संघप्रिया मौर्या

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