मजबूरी में आधे से भी कम दाम में मक्का बेच रहे हैं किसान

Ajay MishraAjay Mishra   27 Jun 2020 5:53 AM GMT

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कन्नौज (उत्तर प्रदेश)। "केंद्र व राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह किसानों का दर्द समझे। लॉकडाउन में किसान नाजुक दौर से गुजर रहे हैं। कन्नौज में मक्का की काफी खेती होती है, इस बार मुर्गी फार्म और फैक्ट्रियां बंद हैं, इसलिए मक्का का रेट आधा है। जितना रुपया लगाया था, उतना भी नहीं निकल रहा है।" यह कहना है यूपी के जिला मुख्यालय कन्नौज से तिर्वा मार्ग पर सात किमी दूर टिड़ियापुर निवासी 33 वर्षीय किसान सचिन कुशवाहा का।

दरअसल, इस बार मक्का के आढ़तों पर रेट बहुत कम हैं। इससे किसान खासे परेशान हैं। ज्यादातर किसान कर्ज लेकर खेती करते हैं। जरूरत व अगली फसल के चक्कर में वह कम रेट में ही फसल बिक्री कर देते हैं। कुछ किसान ऐसे भी हैं जो रेट बढ़ने के सपने संजोए हैं और घर पर ही मक्का सुरक्षित कर ली है। सचिन कुशवाहा आगे बताते हैं कि फिलहाल 1100 रुपए प्रति कुंतल मक्का बिक रही है। पिछले साल 2000 से 2100 रुपए बिक्री हुई थी। इस बार उत्पादन तो ठीक है, लेकिन रेट आधा है।


लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे के निकट बसे गांव रतापुर्वा निवासी 67 वर्षीय किसान रामकुमार वर्मा बताते हैं, "तिर्वा मंडी समिति में मक्का 1170 रुपए में मांगी जा रही है। पिछली साल 2000 रुपए में थी। आढ़ती कह रहे हैं कि लॉकडाउन में बाहर का व्यापारी कम है, इसलिए इतने में ही खरीदेंगे।

उन्होंने बताया कि मद्दा की वजह से मक्का को घर में ही सुरक्षित रख लिया है। जब दाम अधिक होगा तब बिक्री करेंगे। रामकुमार वर्मा आगे कहते हैं कि एक एकड़ में करीब 55 पैकेट निकलते हैं। एक एक पैकेट में 65 किलो के करीब मक्का होती है।

नथापुर्वा के रंजीत राजपूत कहते हैं, "इन दिनों कम से कम रेट हैं। कुछ दिनों पहले ही पांच बीघा जमीन में की मक्का 1130 रुपए कुंतल के हिसाब से बेचकर आए हैं। कोरोना की वजह से समस्या है। पिछले साल की अपेक्षा आधा अंतर है। उन्होंने पिछले साल 2170 से 2200 रुपए कुंतल मक्का बिक्री की थी। अब आढ़ती कह रहे हैं कि प्लांट बंद हैं, इसलिए रेट कम हैं।



धान और गेहूं के बाद मक्का वो फसल है जिसकी दुनिया में सबसे ज्यादा खेती होती है। भारत में भी मक्का तीसरे नंबर की फसल है, देश के 10 राज्यों में इसकी बड़े पैमाने पर खेती होती है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश से लेकर असम तक मक्के की खेती होती है।

मंडी समिति में भी आवक कम, व्यापार प्रभावित

नवीन कृषि मंडी समिति कन्नौज के आढ़ती हर्ष मिश्र ने बताया कि पिछले साल के मुकाबले मक्का की आवक कम है। किसानों को लॉकडाउन व कोरोना की वजह से रेट कम मिल रहा है। यहां से माल एक्सपोर्ट नहीं हो रहा है तो माल भी कम आ रहा है। बाहर की मार्केट नहीं खुल रही हैं। राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली आदि प्रदेशों में मक्का जाता है। ग्लूकोस, पापकॉन, मुर्गी का दाना आदि बनता है। फैक्ट्री नहीं खुलेगी तो आखिर मक्का जाएगा कहां।

हर्ष आगे बताते हैं कि रेट में काफी अंतर है। पिछले साल 2200 से 2500 रुपए कुंतल के सापेक्ष इस बार 1200 रुपए के करीब कुंतल का दाम चल रहा है। कई किसान कम रेट में मक्का देना भी नहीं चाहते हैं, इसलिए आवक कम होने से व्यापार पर भी असर पड़ रहा है।

कन्नौज में 95 हजार हेक्टेयर में होती मक्का की खेती

कन्नौज के उपनिदेशक कृषि आरएन सिंह ने बताते हैं, "जिले में गर्मी की पहले चरण 45 से 50 हजार हेक्टयर में मक्का होती है। बरसात में भी दूसरे चरण का रकबा 44 हजार हेक्टेयर के करीब है। फसल तो इस बार अच्छी है लेकिन रेट नहीं हैं। मुख्य प्रयोग मुर्गी दाना में होता है इसमें प्रोटीन ज्यादा होता है। लेकिन बंदी की वजह से बाहर नहीं जा रहा है।"

उपनिदेशक कृषि ने आगे बताया कि अमेरिका में तो इसका तेल प्रयोग किया जाता है। पेपर भी बढ़िया बनता है। लॉकडाउन में मुर्गी व्यवसाय बंद हैं। जिले में अगर इंड्रस्ट्री लगाई जाए, तो किसानों को फायदा होगा, क्योंकि यहां मक्का काफी होती है। फिलहाल फसल का लेखाजोखा रखने के आदेश उच्चाधिकारियों ने दिए हैं, जिससे फसल आदि के आंकड़े सही मिल सकें।

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