कृषि बिलों के खिलाफ किसानों का तीन दिवसीय आंदोलन शुरू, कई ट्रेनें रद्द
कृषि बिलों के खिलाफ किसानों का आंदोलन तेज होता जा रहा है। पंजाब में किसानों ने कई जगह ट्रेनें रोक दीं, जिसे देखते हुए कई ट्रेनों को रद्द करना पड़ा तो कुछ का मार्ग बदला गया है।
गाँव कनेक्शन 24 Sep 2020 3:30 PM GMT
केंद्र सरकार के तीन कृषि बिलों के खिलाफ किसानों का आंदोलन और तेज हो गया है। पंजाब में किसानों ने तीन दिनों का रेल रोको आंदोलन शुरू कर दिया है। इसे देखते हुए फिरोजपुर रेल मंडल ने 14 ट्रेनें रद्द कर दी हैं। किसानों ने एक अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल का भी ऐलान किया है।
कृषि विधेयकों के खिलाफ 25 सितंबर को होने वाले पंजाब बंद के समर्थन में 31 किसान संगठन एकजुट हो गये हैं। किसान मजदूर संघर्ष समिति ने पहले ही 24 से 26 सितंबर के बीच रेल रोको आंदोलन का ऐलान किया हुआ है।
कृषि से जुड़े तीनों विधेयक लोकसभा और राज्यसभा में पास हो चुके हैं। लोकसभा में जब बिल पेश किया गया, किसान तभी से किसान इसका विरोध कर रहे हैं। पंजाब और हरियाणा में इसके विरोध में किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।
किसान संगठनों ने कहा है कि ध्वनिमति से पास कराये गये कृषि बिल अगर वापस नहीं लिये गये तो उनका आंदोलन और तेज होगा। बिल का सबसे ज्यादा विरोध देश में चावल और गेहूं सबसे ज्यादा पैदा करने वाले राज्य पंजाब और हरियाणा के किसान कर रहे हैं।
क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने जानकारी दी कि पंजाब बंद को समर्थन देने वालों में मुख्य तौर पर भारती किसान यूनियन (क्रांतिकारी), कीर्ति किसान यूनियन, भारती किसान यूनियन (एकता उगराहां), भाकियू (दोआबा), भाकियू (लाखोवाल) और भाकियू (कादियां) आदि संगठन शामिल हैं।
ये तीन विधेयक हुए हैं पास
कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश
इस अध्यादेश से किसान अपनी उपज देश में कहीं भी, किसी भी व्यक्ति यो संस्था को बेच सकते हैं। इसके जरिये सरकार एक देश, एक बाजार की बात कर रही है। किसान अपना उत्पाद खेत में या व्यापारिक प्लेटफॉर्म पर देश में कहीं भी बेच सकेंगे। इस बारे में केंद्रीय कृष मंत्री नरेंद्र तोमर ने लोकसभा में बताया कि इससे किसान अपनी उपज की कीमत तय कर सकेंगे। वह जहां चाहेंगे अपनी उपज को बेच सकेंगे।
संसद में पारित कृषि अध्यादेशो के विरोध में कल किसान कर्फ्यू/चक्का जाम देशव्यापी किसान आंदोलन ऐतिहासिक होगा @SaurabhBKU#farmersprotestchallenge #भारत_बंद_होगा_25_सितंबर_को #किसान_विरोधी_अध्यादेश_वापस_लो #भारतबंद #किसान #FarmersProtest pic.twitter.com/rALR6ZhGEE
— Saurabh Upadhyay (@SaurabhBKU) September 24, 2020
आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन
पहले व्यापारी फसलों को किसानों के औने-पौने दामों में खरीदकर उसका भंडारण कर लेते थे और कालाबाज़ारी करते थे, उसको रोकने के लिए Essential Commodity Act 1955 बनाया गया था जिसके तहत व्यापारियों द्वारा कृषि उत्पादों के एक लिमिट से अधिक भंडारण पर रोक लगा दी गयी थी।
अब नये विधेयक आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दाल, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू जैसी वस्तुओं को हटाने के लिए लाया गया है। इन वस्तुओं पर राष्ट्रीय आपदा या अकाल जैसी विशेष परिस्थितियों के अलावा स्टॉक की सीमा नहीं लगेगी।
इस पर सरकार का मानना है कि अब देश में कृषि उत्पादों को लक्ष्य से कहीं ज्यादा उत्पादित किया जा रहा है। किसानों को कोल्ड स्टोरेज, गोदामों, खाद्य प्रसंस्करण और निवेश की कमी के कारण बेहतर मूल्य नहीं मिल पाता है।
मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश
यह कदम फसल की बुवाई से पहले किसान को अपनी फसल को तय मानकों और तय कीमत के अनुसार बेचने का अनुबंध करने की सुविधा प्रदान करता है। इससे किसान का जोखिम कम होगा। दूसरे, खरीदार ढूंढने के लिए कहीं जाना नहीं पड़ेगा।
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