एमपी/हरियाणा: मंडी में 80 कुंतल सरसों लेकर पहुंचे किसान से 32 किलो लेकर वापस लौटाया, कर्ज वसूली पर छूट फिर भी काट रहे पैसे

Mithilesh DharMithilesh Dhar   20 April 2020 11:00 AM GMT

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एमपी/हरियाणा: मंडी में 80 कुंतल सरसों लेकर पहुंचे किसान से 32 किलो लेकर वापस लौटाया, कर्ज वसूली पर छूट फिर भी काट रहे पैसे

फोन पर जैसे ही मैसेज आया कि आप अपनी फसल लेकर मंडी आ जाइये, बहादुर सिंह खुश हो गये। फटाफट गांव से मजदूरों को बुलाया और ट्रैक्टर पर 25 कुंतल सरसों लेकर मंडी पहुंच गये, लेकिन खुशी तब निराशा में बदल गई जब मंडी में उनसे केवल 64 किलो सरसों ही खरीदा गया।

देश की कई प्रदेश सरकारों ने लॉकडाउन में छूट देते हुए गेहूं और सरसों की सरकारी खरीद मंडियों में शुरू करने के निर्देश दिये हैं। 15 से 20 दिन देर से खरीद शुरू हुई तो किसानों को उम्मीद थी कि मौसम और कोरोना की मार के बीच उन्हें राहत थोड़ी राहत मिलेगी, लेकिन मंडी पहुंचने के बाद कई किसानों के हाथ बस मायूसी लग रही है।

इन्हीं किसानों में से एक हैं हरियाणा के जिला सरसा के रनिया गांव के किसान बहादुर सिंह। वे गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "17 अप्रैल की सुबह मेरे पास मैसेज आया कि आज दोपहर दो से पांच के बीच तुम्हारा सरसों लिया जायेगा। घोड़ावाड़ी मंडी मेरे घर से आधा किमी दूर मेरे ही गांव में है। मैंने मजदूरों को बुलाया और सरसों लेकर मंडी पहुंच गया। वहां मैंने देखा कि पर्ची में पिता जी बलराम सिंह के नाम के आगे मात्र 64 किलो सरसों लिखा था।"

६४ किलो खरीद का प्रमाण दिखाते बहादुर सिंह।

"64 किलो सरसों बेचकर बाकी सब वापस ले आया। मंडी के सचिव ने कहा कि अब जब दोबारा मैसेज आयेगा तब फिर सरसों लेकर आना"। वे आगे कहते हैं।

ऐसा नहीं कि इस मंडी में किसी एक आदमी के साथ ही ऐसा हुआ। घोड़ावाड़ी मंडी में ढूढियावाली गांव से सरसों लेकर पहुंचे लखबरी सिंह के साथ भी कुछ ऐसा हुआ।

वे कहते हैं, "17 अप्रैल की सुबह मेरे गांव के 15 किसानों के पास मैसेज आया कि सरसों लेकर मंडी आ जाओ। हम सभी किसान जब मंडी पहुंचे तो लिस्ट में मेरे गांव का नाम ही नहीं है। फिर जब हमने इस बारे में मंडी के अधिकारी से बात की तो उन्होंने कहा कि लिस्ट पंचकूला से आती है, उसमें जिनका नाम होगा सरसों उन्हीं की खरीदी जायेगी।"

हरियाणा में सरसों की खरीदी 15 अप्रैल से शुरू हो गई। 20 अप्रैल से गेहूं की खरीद भी शुरू होगी। सरसों की खरीद के लिए प्रदेश के 22 जिलों में 163 खरीद केंद्र बनाये गये हैं। सोशल डिस्टेंसिंग को बनाये रखने के लिए मंडी में एक बार में 50 किसानों को ही बुलाया जा रहा है। साथ ही दो पालियों में सुबह आठ से दो और दो से शाम 7 बजे के बीच तुलाई का काम हो रहा है। सरसों के लिए प्रदेश सरकार 4,425 रुपए न्यूनतम समर्थन मूल्य दे रही है।

अंबाला की मंडी में सरसों खरीद की स्थिति का जायजा लेने पहुंचे उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला

सिरसा की मंडियों में ऐसा क्यों हो रहा है, इसके बारे में हमने घोड़ावाड़ी मंडी के सचिव चरण सिंह गिल से बात की। वे कहते हैं, "ये परेशानी तो मैं भी देख रहा हूं। लिस्ट में किसी किसान का आठ किलों सरसों है तो किसी का 10 किलो, लेकिन इसमें मुझे लगता है कि हमारी वेबसाइट में कोई खामी होगी, जिस कारण किसान का रकबा गलत फीड हो रहा है। यह सब पंचकूला से तय होता है, आईटी टीम वहीं बैठती है।"

"एक किसान से 40 कुंतल तक सरसों खरीदने का आदेश आया है। आठ कुंतल प्रति एकड़ के हिसाब से सरसों लिया जा रहा है। अब अगर लिस्ट में आता है कि इस किसान से 20 कुंतल अभी खरीदना है बाकी बाद में तो हम उसी हिसाब से खरीदारी करते हैं। पंचकूला से जो मैसेज आता है हम खरीदारी उसी हिसाब से करते हैं। किसानों के पास बस यह मैसेज आ रहा है कि आपकी फसल खरीदी जायेगी, कब खरीदी जायेगी ऐसा कोई जिक्र नहीं होता। बाकी आप कह रहे हैं कि तो हम पंचकूला में बात करेंगे।" वे आगे कहते हैं।

सिरसा के कालांवली के किसान अजयदीप सिंह ने आठ एकड़ जमीन का 80 कुंतल सरसों का पंजीकरण कराया था। मैसेज आने पर वे भी अपनी उपज लेकर मंडी पहुंचे, फिर क्या हुआ ?

वे बताते हैं, "जब मंडी पहुंचा तो मुझसे केवल 31 किलो सरसों की ही खरीद हुई। बाकी सब वापस लेकर आना पड़ा। अधिकारी ने कहा लिस्ट में बस 31 किलो है तो इतना ही खरीदेंगे। अब इसे रखेंगे कहां, मौसम भी खराब चल रहा है, कहीं बारिश शुरू हो गई तो सब बर्बाद ही हो जायेगा।"


हालांकि हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल किसी भी प्रकार की गड़बड़ी से इनकार करते हैं। वे पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहते हैं, "अभी तक 56,781 टन सरसों की खरीद किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा चुकी है। सरसों की खरीद 163 केंद्रों पर आसानी से चल रही है। राज्य सरकार किसानों की पूरी उपज खरीदने के लिए प्रतिबद्ध है।"

उधर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि किसान को सरसों बेचने में परेशानी उठानी पड़ रही है। एक संवादाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, "सरसों की खरीद पूरी तरह से विफल हो गई है। यह पहली बार है जब आजादी के बाद किसान परेशान हो रहे हैं। भाजपा-जेजेपी सरकार ने पूरी फसल की खरीद के लिए कहा था, लेकिन राज्य में कई स्थानों पर किसानों ने शिकायत की है कि उनकी उपज नहीं खरीदी गई।"

"एक किसान ने 80 कुंतल सरसों बेचने के लिए सरकारी पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराया था, लेकिन केवल 32 कुंतल की खरीद की गई। दक्षिण हरियाणा में सरसों उगाई जाती है और अगर सरकार पांच से छह जिलों में फसल की खरीद आसानी से नहीं कर पाती है, तो कल्पना कीजिए कि 20 अप्रैल से पूरे राज्य में गेहूं बेचने वाले किसानों का क्या हाल होगा। जब 15 अप्रैल को प्रक्रिया शुरू हुई, तो कमीशन एजेंटों, जिनके माध्यम से किसानों को भुगतान किया जाता है, को सात निजी बैंकों में खाते खोलने के लिए कहा गया था, जबकि किसानों के खाते राष्ट्रीयकृत बैंकों में थे।" वे आगे कहते हैं।

गेहूं बेचने के लिए मध्य प्रदेश की मंडियों में खड़ी गाड़ियां।

उधर मध्य प्रदेश में किसान सही कीमत और कर्ज वसूली में मिली छूट न मिलने से परेशान हैं।

श्योपुर जिले के पोस्ट पांडुला के गांव नारायणपुरा गांव के किसान रामचरण ने 50 कुंतल गेहूं के लिए सरकार की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करवाया था, लेकिल उनके पास मैसेज ही नहीं आया।

वे फोन पर बताते हैं, "मौसम लगातार खराब हो रहा है, मैसेज का इंतजार कब तक करता। मंडी गया तो इंस्पेक्टर ने कहा कि मैसेज दिखाओ, जो कि मेरे पास नहीं था। ऐसे में मैं करता क्या। मजदूरों को पैसे भी देने थे। ऐसे में बाहर व्यापारियों को 1,694 रुपए कुंतल में गेहूं बेच दिया।"

श्योपुर के ही बड़ोदा में रहने वाले किसान मुकेश मीणा के साथ भी यही होता है। वे बताते हैं, "54 कुंतल गेहूं का रिजस्ट्रेशन कराया था। मैसेज आया नहीं। खेतों में मजदूर और मशीनें गेहूं काटकर खड़ी थीं। इस बार वैसे ही बहुत देर से खरीद शुरू हुई। मजदूरों को पैसे देने थे, कटाई के पैसे देते थे। अब इंतजार कौन करता। मैंने मंडी में ही व्यापारी को 54 कुंतल गेहूं 1,691 की दर से बेच दिया।"


केंद्र सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,925 रुपए तय किया है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि इस बार लगभग 100 लाख मीट्रिक टन गेहूं तथा 10 लाख मीट्रिक टन चना, मसूर, सरसों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जायेगी।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह भी ऐलान किया है कि किसानों को फसल ऋण दिए जाने के लिए पूर्व के वर्षों में संचालित जीरो प्रतिशत ब्याज पर फसल ऋण योजना को वर्ष 2020-21 में भी जारी रखा जाएगा साथ ही किसानों को प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के माध्यम से कृषि वर्ष 2018-19 में जीरो प्रतिशत ब्याज दर पर जो फसल ऋण दिया गया था, उसके भुगतान की 28 मार्च से बढ़ाकर 31 मई 2020 कर किया गया है ताकि कोरोना कल में किसानों को किसी तरह का कई दिक्कत ना हो।

केंद्र सरकार ने ३० मार्च को कर्ज वसूली को लेकर निर्देश जारी किये थे।

केंद्र सरकार ने भी ऐलान किया था कृषि कार्यों के लिए गये तीन लाख रुपए तक के लोन के भुगतान में किसानों को 31 मई तक की छूट दी जायेगी। लेकिन जमीन पर किसानों को इस घोषणा का लाभ नहीं मिल रहा है।

मध्य प्रदेश के विदिश जिले के केरहया हाट के रहने वाले किसान महेश कुमार 18 अप्रैल को 35 कुंतल गेहूं लेकर मंडी जाते हैं। 1925 रुपए कुंतल एमएसपी के हिसाब से उनके कुल 67,375 रुपए हुए लेकिन इसमें से 33,687 रुपए काट लिये गये, क्योंकि सोसायटी पर उनका कर्ज था।

फसल बेचने के बाद महेश कुमार को मिली रशीद। इसमें साफ दिख रहा है कि कर्ज का पैसा काटने के बाद ही उन्हें भुगतान किया जायेगा।

राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के मध्य प्रदेश अध्यक्ष राहुल राज कहते हैं, "किसानों को तो मंडियों से यह कहकर लौटा दिया जा रहा है कि फसल में नमी है। इसमें किसानों को थोड़ी बहुत छूट तो मिलनी ही चाहिए। ऐसे मुश्किल हालात में उनसे कर्ज भी वसूला जा रहा है कि जब कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को 31 मई तब छूट मिलेगी। किसानों का बोनस और भावांतर का पैसा अलग रुका हुआ है।"

  

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