भारत ने पिछले सात बरसों में 98 लाख हेक्टेयर में फिर से लौटाई हरियाली

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भारत ने पिछले सात बरसों में 98 लाख हेक्टेयर में फिर से लौटाई हरियाली

मयंक अग्रवाल,

भारत ने 2011 के बाद से देश के 98 लाख हेक्टेयर इलाके में वृक्षारोपण करके फिर से हरियाली लौटाई है। ग्लोबल बॉन चैलेंज में किए अपने वादे के अनुरूप भारत ने यह प्रगति की है। हाल ही में इससे जुड़ी भारत की प्रगति रिपोर्ट जारी हुई थी। हालांकि, 2012-13 के बीच के समय में हरियाली में कमी आई थी लेकिन 2016-17 में इसमें फिर से बढ़ोतरी हुई है।

वर्तमान में भारत के 24.39 प्रतिशत क्षेत्रफल में ही हरियाली है।

हरियाली बहाल करने का यह काम एक वैश्विक पहल का हिस्सा है जिसके तहत विश्व के सभी देशों को 2020 तक दुनिया के ऐसे 15 करोड़ हेक्टेयर इलाके में फिर से वनीकरण करना है जहां जंगलों की कटाई हुई थी या वहां जहां भूमि अपनी उर्वरता खो चुकी थी। इस चुनौती को बॉन चैलेंज का नाम दिया गया है, इसका अगला लक्ष्य है 2030 तक 35 करोड़ हेक्टेयर पर हरियाली फिर से बहाल करना। इस वैश्विक अभियान की शुरूआत 2011 में जर्मनी की सरकार और इंटरनेशनल यूनियन फॉर द कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने की थी।

एक अनुमान के मुताबिक, 15 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर पेड़ लगाने से प्रति वर्ष करीब 84 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 60 खरब रुपए) का शुद्ध लाभ होगा, जिससे ग्रामीण समुदाय सीधे लाभान्वित होगा। इसी तरह 35 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर हरियाली लौटने से हर साल लगभग 170 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 122 खरब रुपए ) का लाभ होगा। यह मुनाफा फसलों की बेहतर उपज, वनों से मिलने वाले उत्पादों और वॉटरशेड संरक्षण से होने वाले फायदों के रूप में मिलेगा।

दिसंबर 2015 में पेरिस जलवायु सम्मेलन के दौरान भारत ने शपथ ली थी कि 2020 तक निवर्नीकरण हुई 130 लाख हेक्टेयर भूमि पर फिर से पेड़ लगाए जाएंगे और 2030 तक अतिरिक्त 80 लाख हेक्टेयर भूमि पर वृक्षारोपण किया जाएगा। भारत इस वैश्विक पहल में हिस्सा लेने वाले एशिया के शुरूआती देशों में से एक था।

इसी तरह भारत पहला देश है जिसने बॉन चैलेंज के तहत अपनी प्रोग्रेस रिपोर्ट जमा की है। "Bonn Challenge and India: Progress on restoration efforts across states and landscapes" नाम की इस रिपोर्ट से संकेत मिलते हैं कि भारत 2020 और 2030 के अपने लक्ष्य आसानी से प्राप्त कर लेगा और इसके परिणामस्वरूप उसे 4736 खरब रूपयों का आर्थिक लाभ होगा।

भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के स्पेशल सेक्रेटरी सिद्धांत दास का कहना है, "भारत की राष्ट्रीय नीतियों में पर्यावरण और वन्य जीवन पर हमेशा से विशेष ध्यान दिया गया है।"

सरकारी एजेंसियों ने ज्यादा पेड़ लगाए

रिपोर्ट के मुताबिक, देश भर में फिर से पेड़ लगाए जाने के प्रयासों में 94.4 प्रतिशत क्षेत्र में सरकारी एजेंसियों ने, 3.6 प्रतिशत क्षेत्र में गैर-सरकारी संगठनों ने और 2 प्रतिशत क्षेत्र में प्राइवेट कंपनियों ने वृक्षारोपण किया। सरकार के प्रयासों और एनजीओ व प्राइवेट कंपनियों के प्रयासों में दिखाई देने वाले बड़े अंतर को समझाते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि एनजीओ और प्राइवेट कंपनियों ने जमीन के छोटे हिस्सों पर पेड़ लगाए हैं। लेकिन ये दोनों ही ऐसे प्रयासों के नियोजन और उन्हें लागू करने में अहम भूमिका निभाते हैं क्योंकि इनके पास स्थानीय हालातों की बेहतर समझ और तकनीकी निपुणता होती है।

रिपोर्ट में हरियाली की बहाली पर सरकारी एजेंसियों, स्थानीय नागरिक समाज संगठनों के साथ स्थानीय समुदायों का सहयोग लेने पर जोर दिया गया है।

भारत के वनीकरण लक्ष्य

भारत ने अपने भौगोलिक क्षेत्र के 33 फीसदी हिस्से पर वन लगाने का राष्ट्रीय लक्ष्य निर्धारित किया है, इसके दो तिहाई हिस्से में पर्वतों और पर्वतीय इलाकों को शामिल किया गया है। भारत सरकार की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में देश के 24.39 प्रतिशत इलाके में हरियाली है। देश के कुल एक तिहाई हिस्से में वन लगाने के लिए अभी 278 लाख हेक्टेयर पर वृक्षारोपण करना है।

(यह लेख मूल रुप से Mongabay में प्रकाशित हो चुका है।)

    

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