JNU की तरह BHU में भी छात्र कर रहे प्रदर्शन, पढ़ने के लिए मांग रहे प्रोफेसर

Ranvijay SinghRanvijay Singh   21 Nov 2019 10:23 AM GMT

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JNU की तरह BHU में भी छात्र कर रहे प्रदर्शन, पढ़ने के लिए मांग रहे प्रोफेसर

एक ओर दिल्‍ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्र बढ़ी हुई फीस को वापस लेने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर जेएनयू से 806 किमी दूर उत्‍तर प्रदेश के वाराणसी में स्‍थ‍ित बीएचयू में भी छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं। यह छात्र फीस को लेकर तो नहीं, लेकिन सुविधाओं को पाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।

बीएचयू के स्‍पेशल कोर्स बीए एलएलबी के छात्र पंकज कुमार (बदला हुआ नाम) बताते हैं, ''हमारी क्‍लास सीनियर प्रोफसर नहीं लेते हैं, ज्‍यादातर रिसर्च स्‍कॉलर्स ही हमें पढ़ाते हैं। लाइब्रेरी में ढंग की किताबे नहीं हैं। जब इस बारे में कॉलेज प्रशासन से कहा जाता है तो कोई सुनने को तैयार नहीं होता। हम एक साल में 63 हजार फीस दे रहे हैं, इस तरह पांच साल के कोर्स में 3.15 लाख फीस लगती है। इतना पैसा देने के बाद भी हमें पढ़ाई के नाम पर कुछ खास नहीं मिल रहा है।''

बीएचयू में 2014 में सेल्‍फ फाइनेंस कोर्स के तहत बीए एलएलबी कोर्स की शुरुआत हुई थी। इसके इतर विश्‍वविद्यालय में पहले से ही रेगुलर एलएलबी का कोर्स चल रहा था। छात्रों का आरोप है कि कॉलेज के सीनियर प्रोफेसर सिर्फ रेगुलर एलएलबी कोर्स की ही क्‍लास लेते हैं और बीए एलएलबी के छात्रों को पढ़ाने में प्रोफेसर इच्‍छुक नहीं रहते हैं। ऐसे में बीए एलएलबी के सभी सेमेस्‍टर मिलाकर 320 छात्रों की पढ़ाई का नुकसान होता है।

बीएचयू में लॉ फैकल्‍टी के बाहर प्रदर्शन करते बीए एलएलबी के छात्र।

बीए एलएलबी के ही अजीत कुमार (बदला हुआ नाम) बताते हैं, ''इसी साल की बात है। हमारे एक सीनियर प्रोफेसर आईपीसी पढ़ाते हैं। वो दो दिन से एक ही चीज पढ़ा रहे थे। हमने बस उनसे कहा कि सर यह टॉपिक हम कल पढ़ चुके हैं। इतना सुनना था कि सर क्‍लास छोड़कर चले गए। हम सभी स्‍टूडेंट उनसे जाकर मिले, लेकिन उनका कहना था कि मैं बीए एलएलबी को पढ़ाने के लिए बाध्‍य नहीं हूं। आप लोगों का रवैया सही नहीं है तो मैं अब से क्‍लास भी नहीं लूंगा। और उस दिन के बाद से उन्‍होंने क्‍लास लेना बंद कर दिया। इतना ही नहीं उनकी जगह पर जो रिसर्च स्‍कॉलर पढ़ा रहे थे, उन्‍हें उस हिसाब का ज्ञान ही नहीं था। वो हमारे सवालों में ही फंस जाते। ऐसे में हमारी पढ़ाई का बहुत नुकसान हुआ।''

अजीत कुमार कहते हैं, ''हमें इस बात से आपत्‍त‍ि नहीं है कि हमें रिसर्च स्‍कॉलर क्‍यों पढ़ा रहे हैं। वो पढ़ाएं, हम पढ़ना चाहते है, लेकिन वो इस काबित तो हों। हम सिर्फ इतना मांग रहे हैं कि सीनियर प्रोफेसर हमारी क्‍लास लें। बीएचयू में बहुत अच्‍छे-अच्‍छे प्रोफेसर हैं। इससे हमें बेहतर शिक्षा मिल सकेगी।''

बीए एलएलबी के ही राजीव (बदला हुआ नाम) बताते हैं, ''बीए एलएलबी सेल्‍फ फाइनेंस कोर्स है और सीनियर प्रोफेसर यहां पढ़ाने के लिए बाध्‍य नहीं हैं। वो रेगुलर एलएलबी कोर्स में पढ़ाते हैं और बीए एलएलबी को पढ़ाने के लिए उन्‍हें अलग से 800 रुपए मिलते हैं। ऐसे में उनकी सैलरी ही इतनी अच्‍छी है कि वो 800 रुपए के लिए क्‍लास लेने नहीं आते।''

इस मामले पर जब लॉ फैकल्‍टी के डीन आर.पी. राय से बात की गई तो उन्‍होंने कहा, ''छात्रों ने इस बारे में बात की थी। सभी प्रोफेसर टाइम टेबल के हिसाब से पढ़ा रहे हैं। जो कॉन्‍ट्रैक्‍ट पर पढ़ा रहे हैं वो रिसर्च स्‍कॉलर हैं, लेकिन वो भी अपॉइंटेड हैं। यहां के सारे प्रोफेसर पढ़ाते हैं, सब ओवर लोड हैं।

(छात्रों के नाम व क्‍लास का जिक्र इसलिए नहीं किया गया है ताकि उन्‍हें कॉलेज प्रशासन की ओर से किसी तरह की दिक्‍कत न हो।)


   

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