जस्टिस सीएस कर्णन मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 

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जस्टिस सीएस कर्णन मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई साभार इंटरनेट।

नई दिल्ली। कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। जस्टिस कर्णन ने सोमवार को सीजेआई और उनके 6 साथी जजों को SC/ST एक्ट के प्रावधानों के तहत दोषी करार देते हुए पांच साल की सजा के आदेश दिए हैं।

एक मई को सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की संविधान पीठ ने जस्टिस कर्णन की मानसिक जांच के लिए मेडिकल बोर्ड के गठन के आदेश दिए थे और कहा था कि कोलकाता के सरकारी अस्पताल का मेडिकल बोर्ड चार मई को जस्टिस कर्णन की जांच करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के डीजीपी को मेडिकल बोर्ड की मदद के लिए पुलिस टीम बनाने के निर्देश दिए थे। मेडिकल बोर्ड को आठ मई तक रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन जस्टिस कर्णन ने जांच से इंकार कर दिया और सातों जजों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने के आदेश दिए।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि देश की कोई भी कोर्ट या ट्रिब्यूनल 8 फरवरी के बाद जारी किए गए जस्टिस कर्णन के आदेश पर संज्ञान ना लें। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कोर्ट में जस्टिस कर्णन पेश नहीं हुए थे। सुनवाई के दौरान एजी मुकुल रोहतगी ने कहा कि जस्टिस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के सात जजों के खिलाफ ही आदेश जारी कर दिए हैं। वो मानसिक रूप से ठीक हैं।

31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार हाईकोर्ट के जज के साथ 49 मिनट बहस चली थी। सीजेआई ने जस्टिस कर्णन के जवाबों पर यहां तक कह दिया कि अगर वह मानसिक रूप से बीमार हैं तो कोर्ट में मेडिकल सर्टिफिकेट दाखिल करें। जज होने के बावजूद आपको कानूनी प्रक्रिया नहीं पता। हमने आपको जमानती वारंट जारी किए आरोपी के तौर पर नहीं बल्कि आपका पक्ष जानने के लिए नोटिस किया गया, लेकिन आप कोर्ट नहीं आए। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने जस्टिस करनन को कहा कि चार हफ्तों में हलफनामे के जरिए दो सवालों के जवाब दें, क्या वे 20 जजों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को सही मानने को तैयार हैं या वे शिकायत वापस लेने और कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगने को तैयार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस करनन के न्यायिक और प्रशासनिक कामों पर लगी रोक को हटाने से इनकार किया है।

हालांकि जस्टिस कर्णन ने कोर्ट में कहा कि अगर मेरा काम फिर से नहीं दिया गया तो वे कोर्ट में हाजिर नहीं होंगे। चाहे कोई भी सजा दो भुगतने को तैयार हैं। वे जेल जाने को भी तैयार हैं। कोर्ट ने उनके खिलाफ अंसवैधानिक फैसला लिया है। वे कोई आतंकवादी या असामाजिक तत्व नहीं हैं। उन्होंने जजों के खिलाफ शिकायत की वे कानून के दायरे में हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनका काम छीन लिया जिससे मेरा मानसिक संतुलन गड़बड़ा गया। अगर मेरा काम वापस दिया जाएगा तो मैं जवाब दूंगा। कोर्ट के इस कदम की वजह से मेरा सामाजिक बहिष्कार हो गया है। यहां तक कि मेरा प्रतिष्ठा भी चली गई है।

    

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