केरल बाढ़: 2011 में ही दी थी इस पर्यावरणविद ने चेतावनी
Alok Singh Bhadouria 18 Aug 2018 1:27 PM GMT
केरल में महज एक पखवाड़े में हुई बारिश ने पूरे राज्य को तहस-नहस करके रख दिया है। राज्य के 14 में से 12 जिले बाढ़ की त्रासदी से जूझ रहे हैं। हालात यह हैं कि सभी नदियां उफन रही हैं सारे बांध खोल दिए गए हैं। लोगों को बड़े-बजुर्गों की वह कहानी याद आ रही है जब लगभग 100 साल पहले 1924 में आई बाढ़ ने लगभग इसी तरह केरल को डुबो दिया था। लोग इसलिए भी हैरान हैं कि कुछ बरसों से केरल में मानसूनी बारिश में कमी देखी जा रही थी। ऐसे में एक शख्स है जो इस त्रासदी को प्राकृतिक आपदा नहीं बल्कि इंसानों की बुलाई मुसीबत कह रहा है। ये हैं पर्यावरणविद् माधव गाडगिल।
बात करते हें 1924 की जब लगातार तीन हफ्तों तक आसमान से 3368 मिमि पानी गिरा था। मुलापेरियार बांध टूट गया था, कारिंथिरी मलाई नामका पूरा पहाड़ ही इस बाढ़ में बह गया था। आधिकारिक आंकड़े मौजूद नहीं हैं फिर भी बताया जाता है कि हजार से ज्यादा लोग इस बाढ़ में मारे गए थे। इस बरस मानसून 1924 जितना तो नहीं बरसा है फिर भी 15 अगस्त तक 2087.68 मिमि बारिश हो चुकी है। पर मानसून के दो हफ्ते बाकी हैं और बारिश जारी है।
लेकिन बेंगुलुरू स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के सेंटर फॉर इकोलॉजिकल साइंसेज के संस्थापक माधव गाडगिल इसके लिए प्रकृति को जिम्मेदार नहीं ठहराते। 2011 में माधव गाडगिल की अध्यक्षता में बनी एक कमिटी ने पश्चिमी घाट इलाके के संरक्षण से जुड़ी रिपोर्ट पेश की थी। इसमें साफ-साफ सिफारिश की गई थी कि पश्चिमी घाट के 140,000 किलोमीटर के इलाके को तीन जोन में बांटा जाए और इस क्षेत्र के पर्यावरण को संरक्षित किया जाए। समिति ने साफ तौर पर इस इलाके में पत्थरों की खुदाई, माइनिंग जैसी गतिविधियों को फौरन रोकने की बात कही थी। लेकिन केरल सरकार ने इस रिपोर्ट को सिरे से नकार दिया।
आज यही क्षेत्र केरल में बाढ़ से सबसे बुरी तरह प्रभावित है। इसे गाडगिल कमिटी ने इकोलॉजिकल सेंसिटिव जोन का दर्जा दिया था। कमिटी ने स्थानीय लोगों की मदद से इलाके की जैव विविधता को संरक्षित करने का सुझाव दिया था। पर इस इलाके में पत्थरों का खनन जारी रहा और पिछले दिनों हुए भूस्खलन के लिए अहम कारण बना। गाडगिल का कहना है कि इस क्षेत्र में बिना रोकटोक बढ़े टूरिज्म और जंगल की जमीन के अवैध अधिग्रहण ने इस बाढ़ को और भयंकर बना दिया है।
इस बाढ़ का दूसरा पहलू यह है कि मुसीबत की इस घड़ी में केरल की जनता एकजुट हो गई है। केरल के जनप्रतिनिधि भी जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर राहत कार्यों में योगदान दे रहे हैं। ऐसे मंत्रियों के फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। ऐसे ही हैं केरल के खनन मंत्री मैथ्यू टी थॉमस:
Pic 1: Mr. Mathew T Thomas, Water Resources Minister, Kerala
— Balaji Duraisamy (@balajidtweets) August 18, 2018
Pic 2: Mr. Ramesh Chennithala, Leader of Opposition, Kerala#KeralaFloods pic.twitter.com/W1gqMD8eSJ
केरल के सिंचाई मंत्री थॉमस इसाक ने भी आगे बढ़कर लोगों तक राहत पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। लोगों ने उनकी जमकर तारीफ की:
In my state UP or neighbouring Bihar, Ministers do not step out of choppers during floods. But here this man,Thomas Isaac,Kerala's Finance Minister is on ground zero to help victims of one of the worst ever floods seen in state. We need atleast 100 such ministers in India🙏🏻 pic.twitter.com/EnUIJ0jrcw
— Deepak Sharma (@deepakIndSamvad) August 18, 2018
ऐसी ही चर्चा हुई केरल के चेंगन्नर से माकपा विधायक साजी चेरियन की जो एक टीवी शो के दौरान ही रोने लगे और पीएम नरेंद्र मोदी से हेलिकॉप्टर भेजकर अपने क्षेत्र के लोगों को एयरलिफ्ट कराने की मांग करने लगे। खबरों के मुताबिक, इसके बाद नेवी ने अपनी 10 नावें उस इलाके में भेजीं।
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