अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस: वे प्रसिद्ध नर्तक जिन्होंने भारतीय नृत्य को पूरी दुनिया में दिलाई पहचान 

Anusha MishraAnusha Mishra   29 April 2019 7:45 AM GMT

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अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस: वे प्रसिद्ध नर्तक जिन्होंने भारतीय नृत्य को पूरी दुनिया में दिलाई पहचान अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस की शुरुआत 29 अप्रैल 1982 से हुई।

लखनऊ। 29 अप्रैल को पूरी दुनिया में विश्व नृत्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस की शुरुआत 29 अप्रैल 1982 से हुई। 'बैले के शेक्सपियर' की उपाधि से सम्मानित एक महान लेखक जीन जॉर्ज नावेरे के जन्म दिवस की याद में यूनेस्को के अंतरराष्ट्रीय थिएटर इंस्टीट्यूट की डांस कमेटी ने 29 अप्रैल को नृत्य दिवस के रूप में स्थापित किया। जीन जॉर्ज नावेरे ने 1760 में 'लेटर्स ऑन द डांस' नाम से एक क़िताब लिखी थी जिसमें नृत्य कला की काफी बारीकियां थीं। इसके बाद उन्होंने और क़िताब 'लेट्स मीट द बैले' को लिखी जिसको पढ़कर बैले के बारे में काफी कुछ सीखा जा सकता है

अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को इसकी महत्ता के बारे में बताना है। विश्व नृत्य दिवस के अवसर पर जानिए देश के कुछ ऐसे नर्तकों के बारे में जो नृत्य की तमाम कलाओं में निपुण हैं और जिन्होंने अपने नृत्य से भारतीय नृत्य कलाओं का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है।

गुरु केलुचरण महापात्रा:-

ओडिशी नृत्य के प्रसिद्ध कलाकार थे, गुरू केलुचरण महापात्रा। केलुचरण महापात्रा को सन 1989 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 1972 में इन्हें पद्म श्री से स्म्मानित किया गया था और पद्म विभूषण से सम्मानित (2000 में) होने वाले यह ओडिशा के पहले कलाकार थे। लगभग विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुके ओडिशी नृत्य को 20वीं शताब्दी में पुनर्जीवित करने का श्रेय गुरु केलुचरण पहापात्रा को जाता है।

मल्लिका साराभाई :-

बहुमुखी प्रतिभा की धनी मल्लिका साराभाई कुचीपुड़ी और भरतनाट्यम की महान नृत्यांगना हैं। उन्होंने अभिनय, लेखन और प्रकाशन के क्षेत्रों में बेहद योगदान दिया है। वह एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और संयुक्त राष्ट्र द्वारा शुरू की गई कई सामाजिक-विकासात्मक परियोजनाओं में भाग लिया है। मल्लिका साराभाई को "फ्रांसीसी पाल्म डी" या "फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार प्राप्त हुआ है। मल्लिका, नर्तकी मृणालिनी साराभाई और प्रमुख अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई की बेटी हैं।

पंडित बिरजू महाराज :-

लखनऊ के कालका-बिंदडिन घराने के एक प्रमुख अभियोजक पंडित बिरजू महाराज कत्थक के महान नर्तक हैं। वह श्री अछान महाराज के बेटे और शिष्य हैं। उन्होंने दुनिया के लगभग सभी देशों में प्रदर्शन किया है। पंडित बिरजू महाराज को 1986 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, कालीदास सम्मान, लता मंगेशकर सम्मान, भरत मुनि सम्मान व राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, फिल्मफेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

रुक्मिणी देवी अरुंडले :-

रुक्मिणी देवी अरुंडले भरतनाट्यम की प्रसिद्ध नृत्यांगना और नृत्य निर्देशिका थीं। ऐसा माना जाता है कि भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने उन्हें भारत का राष्ट्रपति बनाने का प्रस्ताव दिया था जिसे रुक्मिणी देवी ने ठुकरा दिया था। उन्हें 1956 में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 1957 में संगीत नाटक अवार्ड और 1967 में संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप मिला।

सोनल मानसिंह :-

सोनल मानसिंह भरतनाट्यम, कुचीपुडी, और छाउ नृत्य की महान नृत्यांगना हैं। एक नृत्यांगना होने के अलावा, सोनल मानसिंह एक प्रसिद्ध कोरियोग्राफर, शिक्षक, वक्ता और एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। "शास्त्रीय नृत्य" के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से प्रशंसा मिली है। उन्हें पद्म विभूषण, पद्म भूषण, संगीत नाटक अकादमी जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों के साथ कई सम्मानों से नवाज़ा जा चुका है।

यामिनी कृष्णमूर्ति :-

यमीनी 'पूर्णिलाक' कृष्णमूर्ति, जिन्हें यामिनी कृष्णमूर्ति के नाम से जाना जाता है, एक प्रसिद्ध कुचीपुड़ी और भरतनाट्यम नृत्यांगना हैं। उन्होंने 1957 में सिर्फ सत्रह वर्ष की आयु में एक नृत्य प्रदर्शन के साथ अपना करियर शुरू किया था। भारत सरकार उन्हें पद्म विभूषण, पद्म भूषण, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कर चुकी है।

          

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