ठुमरी की रानी गिरिजा देवी की कजरी, चैती, होली, ख्याल और टप्पा के आज भी दीवाने हैं लोग 

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ठुमरी की रानी गिरिजा देवी की कजरी, चैती, होली, ख्याल और टप्पा के आज भी दीवाने हैं लोग पद्म विभूषण से सम्मानित प्रख्यात शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी।

जब भी ठुमरी की रानी का नाम पूछा जाता कि लोग तपाक से उत्तर देते गिरिजा देवी। गिरिजा देवी को प्यार से लोग अप्पाजी बुलाते थे।

नौ साल की उम्र में गिरिजा देवी ने संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी। बेटी की रुचि देखते हुए पिता ने उस समय उनके लिए संगीत की शिक्षा का इंतजाम किया। उनके शुरुआती गुरु पण्डित सरयू प्रसाद मिश्र थे। गिरिजा देवी को पंडित श्रीचन्द्र मिश्र ने संगीत की कई शैलियों से परिचित कराया।

ठुमरी की ‘मल्लिका’ गिरिजा देवी।

गायन की सार्वजनिक शुरुआत

गिरिजा देवी ने गायन की सार्वजनिक शुरुआत, ऑल इंडिया रेडियो इलाहाबाद पर, वर्ष 1949 से शुरू की। वर्ष 1951 में बिहार के आरा में उन्होंने अपना पहला सार्वजनिक संगीत कार्यक्रम दिया वे श्रीचंद मिश्रा के साथ,1960 (मृत्यु पूर्व ) के पूर्वार्ध तक,अध्ययनरत रही। 1980 के दशक में कोलकाता में आईटीसी संगीत रिसर्च एकेडमी और 1990 के दशक के दौरान बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संगीत संकाय के एक सदस्य के रूप में काम किया, और उन्होंने संगीत विरासत को संरक्षित करने के लिए कई छात्रों को पढ़ाया। वर्ष 2017 तक उनका कार्यक्रम जारी रहा है।

वर्ष 1946 में उनकी शादी हो गई, पर उन्हें अपनी मां और दादी से विरोध का सामना करना पड़ा क्योंकि यह परंपरागत रूप से माना जाता था कि कोई उच्च वर्ग की महिला को सार्वजनिक रूप से गायन का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए। गिरिजा देवी ने दूसरों के लिए निजी तौर पर प्रदर्शन नहीं करने के लिए सहमति दी थी। उनकी एक बेटी है।

संगीत घराना बनारस घराना

गिरिजा देवी का संगीत घराना बनारस घराना था। उन्हें ठुमरी की रानी कहा जाता है पर वह कजरी, चैती और होली, ख्याल, भारतीय लोक संगीत, और टप्पा भी बड़ी मजबूती से गाती थी। लोग इतने दीवाने थे कि उनके कार्यक्रम में अनुरोध करने की बड़ी लिस्ट बनी रहती थी पर कमाल यह था कि अप्पा भी सबका दिल रखती थी और उनके मनपसंद अनुरोध को स्वीकार करती थी। संगीत और संगीतकारों के न्यू ग्रोव शब्दकोश में कहा गया है कि गिरिजा देवी अपने गायन शैली में अर्द्ध शास्त्रीय गायन बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के गाने के क्षेत्रीय विशेषताओं के साथ उसके शास्त्रीय प्रशिक्षण को जोड़ती है।

ठुमरी साम्राज्ञी गिरिजा देवी की इच्छानुसार उनकी अंत्येष्टि बनारस में की जाएगी। उनका शव बुधवार को आइटीसी रिसर्च एकेडमी कोलकाता में दर्शनार्थ रखा जाएगा। पारिवारजनों ने बताया कि गुरुवार सुबह लगभग 11.30 बजे चार्टर प्लेन से पार्थिव शरीर बनारस ले आया जाएगा।

गिरिजा देवी की मृत्यु की खबर सुन संगीतप्रेमियों, बालीवुड, नेताओं और उनके प्रति श्रद्धा रखने वाले के सामने अंधेरा छा गया। सभी दुखी लोगों ने अपनी संवेदनाएं दी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर ने लोकप्रिय ठुमरी गायिका गिरिजा देवी के निधन पर शोक जताया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गिरिजा देवी के निधन पर शोक प्रकट किया। उन्होंने कहा कि गायिका की संगीतमय अपील पीढ़ियों के भेद से ऊपर थी और भारतीय शास्त्रीय संगीत को लोकप्रिय बनाने के उनके प्रयासों को हमेशा याद रखा जाएगा।

प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, गिरिजा देवी के निधन से दुख पहुंचा। भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत ने अपनी खूबसूरत आवाजों में से एक को खो दिया। मेरी संवेदनाएं उनके प्रशंसकों के साथ हैं। बनारस घराने की गायिका को वर्ष 1972 में पद्श्री सम्मान मिला था। वर्ष 1989 में उन्हें पद्म भूषण और 2016 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी के निधन पर शोक जताते हुए इसे देश की सांस्कृतिक विरासत के लिए बड़ी क्षति बताया है। राष्ट्रपति भवन के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने ट्वीट किया है, शास्त्रीय गायिका और ठुमरी की सम्राज्ञी गिरिजा देवी के निधन की सूचना से दुख हुआ। हमारी सांस्कृतिक विरासत की अपूरणीय क्षति।

बनारस घराने की गायिका को वर्ष 1972 में पद्मश्री सम्मान मिला था। वर्ष 1989 में उन्हें पद्म भूषण और 2016 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

लता मंगेशकर दुखी

सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर ने लोकप्रिय ठुमरी गायिका गिरिजा देवी के निधन पर शोक जताते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की है।

लता ने ट्वीट किया है, महान शास्त्रीय और ठुमरी गायिका गिरिजा देवी जी हमारे बीच नहीं रहीं, यह सुन कर मुझे बहुत दुख हुआ। हमारे उनके साथ बहुत अच्छे संबंध थे। उन्होंने लिखा है, गिरिजा देवी एक बहुत अच्छी महिला थीं। मैं उनको श्रद्धांजलि अर्पण करती हूं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। ठुमरी की मलिका कहलाने वाली गिरिजा देवी को प्रेम से अप्पाजी बुलाया जाता था।

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