कृषि कुंभ: बड़ी-बड़ी मशीनों को देखते रहे किसान, कहा- हम ये न ले पाएंगे
ज्यादातर किसान बड़ी-बड़ी मशीनों को देखकर बस ये कहते नजर आए कि ये हमारे बजट के बाहर की चीज है...
Ranvijay Singh 26 Oct 2018 11:06 AM GMT
लखनऊ। कृषि कुंभ 2018 की आज शुरुआत हो गई। किसानों से जुड़े सबसे बड़े मेले में पूरे प्रदेश से किसान आए हैं। इस मेले में उनकी जानकारी के लिए तरह-तरह की मशीनें और नई-नई तकनीक का प्रदर्शन किया गया हैं। ज्यादातर किसान बड़ी-बड़ी मशीनों को देखकर बस ये कहते नजर आए कि ये हमारे बजट के बाहर की चीज है।
फतेहपुर के मुरादीपुर गाँव से आए विनीत शर्मा एक ट्रैक्टर पर बैठ कर सेल्फी लेते देखे गए। जब उनसे कृषि कुंभ के बारे में पूछा गया तो कहते हैं, ''ये अच्छा आयोजन है, लेकिन बड़े किसानों के लिए सही है। मशीनों के दाम ही लाखों में हैं। छोटे किसान इन्हें कहां खरीद पाएंगे।'' विनीत हंसते हुए कहते हैं, ''मैं तो महंगी मशीन नहीं ले सकता, इसलिए सेल्फी लेकर काम चला रहा हूं।''
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लखनऊ के तेलीबाग में स्थित भारतीय गन्ना शोध संस्था (आईआईएसआर) में 26 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लगने वाले कृषि कुंभ में भारत में खेती किसान, पशुपालन, कृषि जुड़े उद्योग, बीज और सीड कंपनियां, बैंक, यूपी सरकार और केंद्र सरकार से जुड़े विभाग और संस्थाएं शामिल हो हुई हैं।
वहीं झांसी के बरुवासागर गाँव से आए रामस्वरूप यादव कहते हैं, ''ये मेला उस हिसाब का नहीं है, जैसा इसका प्रचार किया गया। इससे पहले 2013 में जब मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो वहां एक कृषि मेला आयोजित किया गया था। इसके मुकाबले वो 100 गुना अच्छा था।'' रामस्वरूप बताते हैं, ''इस मेले में लघु और सिमांत किसान के लिए मशीनें नहीं हैं। उनकी हिम्मत नहीं होगी कि वो खरीद सकें। मैं ये इस लिए कह रहा हूं कि मेरे पा 20 एकड़ है, ये मशीनें मेरे बजट में तो हैं लेकिन छोटे किसान नहीं ले सकते।''
भारत देश लघु एवं सीमान्त किसानों का देश है, जिनकी कृषियोग्य भूमि दिन-प्रतिदिन घटती जा रही है। वर्ष 2010-11 की कृषि जनगणना के अनुसार भारत में किसानों की कुल जनसंख्या में 17.93 प्रतिशत लघु किसान परिवार हैं। इनके पास एक हेक्टेयर से दो हेक्टेयर के बीच कृषियोग्य भूमि है। वहीं, भारत में किसानों की कुल जनसंख्या में 67.04 प्रतिशत सीमान्त किसान परिवार हैं, जिनके पास एक हेक्टेयर से कम कृषि योग्य भूमि है।
मेले में मोहलालगंज के परवर पश्चिम गाँव से आए किसान जदुनाथ यादव बताते हैं, ''मैंने मशीनों की जानकारी ली है। ये मशीनें महंगी हैं इसलिए मैं खरीद नहीं सकता। हमारे जैसे छोटे किसान तो किराए पर ही खेत जुतवा लेते हैं। ऐसी मशीनें हम न खरीद पाएंगे।''
इसके अलावा लखीमपुर खीरी के झखर पिपरी गाँव से आए अमनदीप कहते हैं, ''इस मेले से किसानों को जानकारी तो मिल रही है। किसान नई नई तकनीक के बारे में जान पा रहा है। हां,मशीनें महंगी जरूर हैं, लेकिन सरकार सहायता दे तो छोटे किसान भी इसे ले सकेंगे।''
कृषि कुंभ में कई कंपनियों ने अपने स्टॉल लगाए हैं। इन्हीं में से एक स्टॉल तिर्थ एग्रो टेक्नोलॉजी का भी है। इस कैंप पर कंपनी के जोनल मैनेजर सौरभ कुमार सिंह किसानों को अपनी मशीनों की जानकारी दे रहे हैं। सौरभ बताते हैं, ''हम कृषि कुंभ में 50 हजार से लेकर 5 लाख तक की मशीन से लेकर आए हैं। किसान इनमें अपनी रुचि भी दिखा रहा है। किसानों तक मशीनों की जानकारी पहुंच रही है, वो इन मशीनों के प्रयोग से खेती को और बेहतर कर सकता है।''
मेले में सोनालिका ट्रेक्टर और एस्कॉर्ट के ट्रेक्टर की प्रदर्शनी भी लगी है। सोनालिका के कैंप में 3 लाख से शुरू होकर 25 लाख तक के ट्रैक्टर मौजूद हैं। वहीं, एस्कॉर्ट के कैंप में 2 लाख 70 हजार से शुरू होकर 16 लाख तक मशीनें हैं। (जानकारी कैंप में मौजूद दोनों कंपनियों के सेल्समैन के द्वारा)
भले ही मेले में बड़ी बड़ी मशीनों को देख छोटे किसान परेशान हो रहे हों, लेकिन कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही का कहना है कि, ''ये कृषि कुंभ छोटे और बड़े दोनों तरह के किसानों के लिए है। इस मेले से उन्हें तकनीक की जानकारी होगी, जिसे किसान खेती में प्रयोग कर बेहतर कर पाएगा।''
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