नाम के साथ बदला प्रयागराज, चौड़ी सड़कों के लिए तोड़े गए सैकड़ों घर, मुआवजे का पता नहीं

लोगों का आरोप है पीआरडीए (प्रयागराज विकास प्राधिकरण) की ओर से न कोई नोटिस जारी किया गया और न ही खाली करने की मियाद दी गई। रातों रात पुलिस का घेरा बनता और सड़क किनारे पड़ने वाले घरों को तोड़ दिया जाता।

Ranvijay SinghRanvijay Singh   21 Jan 2019 7:03 AM GMT

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नाम के साथ बदला प्रयागराज, चौड़ी सड़कों के लिए तोड़े गए सैकड़ों घर, मुआवजे का पता नहीं

प्रयागराज। दुनियाभर में कुंभ की चर्चा हो रही है। अब तक कई करोड़ लोग संगम नगरी पहुंच चुके हैं। कुंभ से पहले इलाहाबाद का नाम ही नहीं शहर का हुलिया भी बदल गया है। संकरी गलियां चौड़ी सड़के बन गईं है, लेकिन कई मुहल्लों ने इसकी कीमत चुकाई है।

''वो रात में आए और मेरी 30 साल पुरानी दुकान तोड़कर चले गए। हम उनसे विनती करते रहे कि ऐसा मत करो, लेकिन उन्‍होंने एक न सुनी। इसी गम में मेरे पति भी गुजर गए। इस कुंभ ने मेरा परिवार उजाड़ कर रख दिया।'' ये बात कहते हुए प्रयागराज के दारागंज की रहने वाली लीलावती रो पड़ती हैं। लीलावती की तरह ही दारागंज के रहने वाले कई परिवार कुंभ की साज सज्‍जा के शिकार हुए हैं।

प्रयागराज के दारागंज में लाइन से कई मकान टूटे दिख जाते हैं।

कुंभ से पहले प्रयागराज में सुंदरीकरण और सड़क को चौड़ा करने का काम चला। प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीआरडीए) ने पूरे शहर को चार जोन में बांट कर सड़क चौड़ीकरण का काम किया। लगभग पूरे शहर का हुलिया बदल गया है। सड़कें चौड़ी होने से शहर बदल जरूर गया है, लेकिन इसके चलते सैकड़ों लोगों के घर और दुकानें टूट गईं। लोगों का आरोप है पीआरडीए (प्रयागराज विकास प्राधिकरण) की ओर से न कोई नोटिस जारी किया गया और न ही खाली करने की मियाद दी गई। रातों रात पुलिस का घेरा बनता और सड़क किनारे पड़ने वाले घरों को तोड़ दिया जाता।

दारागंज की रहने वाली लीलावती बताती हैं, ''उनकी पान की दुकान से 10 लोगों का परिवार चलता था। उनकी 5 बेटियां और 3 बेटे हैं। पिछले साल अक्‍टूबर में पुलिस वालों के साथ कुछ लोग आए और घर पर निशान लगाकर चले गए। उसके बाद एक रात को बहुत ज्‍यादा पुलिस आई, उन लोगों ने हमें घर से बाहर निकाला और फिर मेरी दुकान पर बुलडोजर चला दिया। हमारी नजरों के सामने हमारी 30 साल पुरानी दुकान मिट्टी हो गई।''

''उनके पति अर्जुन प्रसाद निषाद अपनी दुकान टूटते देख सदमे में चले गए। उसके बाद से उन्‍होंने बोलना छोड़ दिया और महीने भर में उनकी मौत हो गई।''- लीलावती बताती हैं

अपने परिवार के साथ बैठीं लीलावती। सड़क चौड़ीकरण में इनकी दुकान टूट गई। इसके सदमे से इनके पति भी गुजर गए।

लीलावती के सामने ही प्रहलाद कुमार निषाद का घर है। उनके घर पर भी बुलडोजर चलाया गया। प्रहलाद कहते हैं, ''कुंभ से पहले आए और मकान तोड़ गए। अभी 3 फीट और तोड़ने की बात कह रहे हैं। मेरे पिताजी को इन्‍हीं सब चीजों की वजह से हार्ट अटैक आ गया और उनका देहांत हो गया।'' दारागंज के जीटी रोड पर रहने वाले ज्‍यादातर परिवारों का एक सा ही हाल है। किसी की दुकान चौड़ीकरण के दायरे में आई तो किसी का पूरा मकान ही गिरा दिया गया।

दारागंज के ही रहने वाले अनूप कुमार यादव बताते हैं, ''हमें कोई नोटिस नहीं दिया गया। एक रोज आए और सामने निशान लगाकर चले गए। लेकिन दूसरे दिन हमारे ही मकान पर बुलडोजर चल गया। मेरा मकान आजादी से पहले का है। इसपर हम सभी तरह के टैक्‍स भी देते आ रहे थे। फिर भी हमारे साथ ऐसा कर दिया।'' अनूप बताते हैं, ''मैंने सभी तहर के दस्‍तावेज भी दिखाए, लेकिन वो कहते रहे कि ये ऊपर से आदेश है तो तोड़ना ही होगा।''

''जब मैंने मुआवजे की बात की तो कहते हैं अगर नक्‍शे के हिसाब से मकान होगा तो ही मुआवजा देंगे, लेकिन अब तक कोई मुआवजा नहीं दिया गया। यह तो सरासर अराजकता है।'' - अनूप कहते हैं

दारागंज में तोड़े गए मकान।

इन आरोपों पर प्रयागराज विकास प्राधिकरण के वीसी भानु चंद्र गोस्वामी कहते हैं, ''जो भी कार्रवाई हुई है सब नियम के दायरे में की गई। अगर किसी का मुआवजे का क्‍लेम बनता है तो उसे दिया जाएगा।'' इस सवाल पर कि क्‍या इन लोगों द्वारा अतिक्रमण किया गया था? गोस्‍वामी कहते हैं- ''ज्‍यादातर अवैध निर्माण ही तोड़ गए हैं।'' लेकिन जिन लोगों के मकान टूटे हैं वो इस बात से साफ इनकार करते हैं।

दारागंज के पार्षद रंजीव निषाद बताते हैं, ''यह मकान अवैध नहीं थे। प्रशासन को सड़क चौड़ी करनी थी तो एक ओर से सब तोड़ते गए। इतने वर्षों से लोग रह रहे हैं तो अवैध कैसे हो जाएगा। प्रशासन की ओर से किसी नियम का पालन नहीं किया गया। कोई नोटिस नहीं दिया गया। फोर्स को लाए और तोड़ना शुरू कर दिया। यह ताकत के बल पर तोड़ा गया है। हम लोगों ने रोकना चाहा, लेकिन दबाव इतना था कि कुछ नहीं हो पाया।''

दारागंज के पार्षद रंजीव निषाद।

रंजीव कहते हैं, ''मुआवजे के लिए भी इतने दस्‍तावेज मांग रहे हैं कि कोई दे ही नहीं पाएगा। ऐसे में किसी को मुआवजा नहीं मिलेगा। अब यही देखिए कि लोग सदमे से मर गए, लेकिन कोई पूछने तक नहीं आया है। दारागंज में करीब 7 लोगों के सदमे से मरने की जानकारी है।'' रंजीव बताते हैं, ''अभी सुनने में आया है कि दारागंज की 35 गलियों को भी तोड़ा जाएगा, लेकिन अभी यह सिर्फ बात ही है।''

दारागंज के ही रहने वाले समाजसेवी राजीव सिंह कहते हैं, ''प्रशासन के पास कोई मास्‍टर प्‍लान नहीं था। चौड़ीकरण के नाम पर लोगों का घर, रोजगार तक छीन लिया गया। पिछले साल अक्‍टूबर से ही लोगों के घर और दूकान तोड़ने शुरू किए गए। यह प्राचीन मोहल्‍ला है लेकिन इसे बर्बाद कर दिया गया। अलोपी से लेकर दारागंत तक डेढ़ हजार परिवार को उजाड़ दिया गया।''

दारागंज के ही रहने वाले समाजसेवी राजीव सिंह।

राजीव कहते हैं, ''दारागंज एक प्राचीन मोहल्‍ला है। इसका इतिहास है। महाकवि सूर्यकांत निराला जी जो कि एक हस्‍ती थे, उनकी मूर्ति तक को हटा दिया गया। अब उनकी मूर्ति को और आगे रखा गया है।'' बता दें, दारागंज मोहल्‍ला प्रयागराज के सबसे पुराने मोहल्‍लों में से एक है। इसकी गलियों में रहते-घूमते हुए महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' ने कई काव्‍य रचे। राजीव कहते हैं, ''केवल दारागंज में 147 पेड़ काटे गए हैं। इनमें से 100 पेड़ 400 से लेकर 500 साल तक पुराने थे। एक यहां घंटहा पीपल का पेड़ था। उसकी उम्र करीब 500 साल थी, उसे भी काट दिया गया। उससे लोगों का जुड़ाव था। इस तोड़फोड़ ने सब बर्बाद कर दिया।''

''प्रशासन को 80 फीट चौड़ी सड़क बनानी थी। इस दायरे में जो आया उसका घर ले लिया गया। न कोई मुआवजा दिया गया, न ही कोई रियायत।'' राजीव सिंह

यह तो हुई प्रयागराज के एक मोहल्‍ले की बात। इसके अलावा भी सड़कों को चौड़ा करने का काम पूरे शहर में किया गया है। इस क्रम में शहर भर में मकानों, पेड़ों, मंदिरों और मजारों को बिना किसी पूर्व नोटिस के ढहा दिया गया। दारागंज, बैरहना, सिविल लाइंस, रेलवे स्‍टेशन के पास से लेकर मुख्य मार्गों पर इस चौड़ीकरण के काम को किया गया है। इसकी वजह से रातों रात कई घर और धार्मिक स्थल भी तोड़े गए।

बैरहना चौराहे के इसी जगह पर था प्राचीन काली मंदिर।

चौड़ीकरण के तहत बैरहना चौराहे पर एक प्राचीन काली मंदिर को भी तोड़ा गया। प्राचीन काली मंदिर में पूजा पाठ करने वाली सरस्‍वती साहू बताती हैं, ''उस रात चौराहे पर बहुत पुलिस वाले थे। हम लोगों को मंदिर के पास जाने नहीं दिया जा रहा था। तभी बुलडोजर से मंदिर गिरा दिया गया।''

''अभी भी उसमें की मूर्तियां गायब हैं। उन्‍हें मेरी मूर्ति मुझे देनी चाहिए। उस पर प्रशासन का हक नहीं है, न ही मेरा है। वो भगवान हैं। मैं उनकी सेवा करते आ रही थी।'' यह कहते हुए सरस्‍वती रोने लगती हैं। सरस्‍वती साहू पर एफआईआर भी कराई गई कि उनके द्वारा सरकारी काम में बाधा पहुंचाया जा रहा है।

बैरहना की रहने वाली सरस्‍वती साहू और उनकी बेटी छाया।

सरस्‍वती साहू की बेटी छाया कहती हैं, ''मंदिर टूटने के बाद हमारे और प्रयागराज विकास प्राधिकरण में समझौता हुआ कि प्राधिकरण एक हफ्ते में मंदिर बनाना शुरू करेगा, लेकिन अब तक मंदिर नहीं बनाया गया है।'' छाया जो कि पेशे से वकील हैं इस मुद्दे को कोर्ट में ले जाने की बात कहती हैं।

जब इस मामले पर जोनल प्रभारी आलोक पांडेय से बात की गई तो उन्‍होंने कहा, ''प्राधि‍करण में एक एक्‍ट है कि अगर सड़क पर अतिक्रमण है तो इसको बिना नोटिस के हटा सकते हैं।'' जब उनसे पूछा गया कि इतने पुराने मकानों को बिना नोटिस के कैसे गिरा दिया गया?इस पर आलोक नाराज हो जाते हैं और कहते हैं, ''आपको सड़कें अच्‍छी नहीं दिख रही क्‍या?'' वहीं पेड़ों के काटने पर आलोक कहते हैं, ''पेड़ कितने कटे थे, क्‍या कटे थे ये मैं नहीं बता सकता। पेड़ बहुत कटे और लगे भी, इसका कोई लेखा जोखा नहीं है।'' बता दें, आलोक पांडेय को जोनल प्रभारी बनाया गया है, जिनकी देख रेख में सड़क चौड़ीकरण का यह काम किया गया।

प्रयागराज उत्तरी से बीजेपी विधायक हर्षवर्धन वाजपेयी।

वहीं, प्रयागराज उत्तरी से बीजेपी विधायक हर्षवर्धन वाजपेयी का कहना है, "सड़क चौड़ा करना जरूरी है या घर बचाना जरूरी है। एक आदमी का इंटरेस्ट जनता के हित से छोटा होता है। सड़क का लाखों लोग इस्तेमाल करते, घर एक परिवार का होता है। राष्ट्र हित से बड़ा किसी परिवार का हित नहीं होता। विकास कार्यों में जो घर आएगा, मंदिर आएगा, मस्जिद आएगा, थाना आएगा सब तोड़ा जाएगा। मेरा बस चले तो बचे कुचे घर भी तोड़ दूं।'' जब उनसे पूछा गया कि लेकिन नियम के हिसाब से एक प्रकिया होती है? इसपर उन्‍होंने कहा, ''हमें प्रक्रिया से कोई मतलब नहीं वो वकील लोग कोर्ट में देखें।"

इस पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट की वकील अनुप्रधा सिंह बताती हैं, ''बिना नोटिस दिए किसी का घर नहीं गिराया जा सकता। अगर अतिक्रमण है तो भी नोटिस देना जरूरी है। इसके बाद लोगों के पास ये अधिकार है कि वो बता सकें कि कैसे वो वहां रह रहे हैं। अगर प्रकिया की बात करें तो एक महीने का नोटिस देना जरूरी है। उसके बाद ही कोई कार्रवाई की जा सकती है।'' अनुप्रधा बताती हैं कि ''अगर घर गिरा दिए गए हैं तो लोग इस आधार पर कि उन्‍हें नोटिस नहीं दिया गया है कोर्ट जाकर मुआवजे की मांग कर सकते हैं।''

इससे इतर प्रयागराज में एक ऐसा वर्ग भी है जो इस चौड़ीकरण के काम से खुश नजर आता है। प्रयागराज में टैक्‍सी चलाने वाले मनोज कहते हैं, ''पहले सड़कें बहुत सकरी थीं। इसकी वजह से प्रयाग की सड़कें दिखने लगी हैं। चौराहे देख लीजिए आप, कितने बड़े और सुंदर हो गए हैं। इसकी जरूरत थी प्रयागराज को। अब विकास होगा तो कुछ लोगों को दिक्‍कत होगी ही। क्‍योंकि सबको देखकर चलेंगे तो कभी काम नहीं हो सकता।''

वहीं, प्रयागराज के अलोपी के रहने वाले अभि‍षेक पांडेय का कहना है कि ''जब विकास होगा तो तोड़ फोड़ होगी ही। हां, नोटिस जारी करना था, लोगों से बात करना चाहिए था। अगर ये नहीं हुआ तो गलत है।'' प्रयागराज के कई लोग यह आरोप भी लगाते हैं कि ''चौड़ीकरण में बहुत बड़ा भ्रष्‍टाचार हुआ है। जिन लोगों ने पैसा खिला दिया उनका मकान बच गया और जो इस काबिल नहीं थे उनका गिरा दिया गया।''

कुंभ भव्‍य तरीके से हो रहा है। पूरा शहर इसमें रंगा नजर आ रहा है। सड़कों से लेकर दीवारों तक में इसकी कहानी बयां हो रही है, लेकिन इसी शहर की लीलावती और सरस्‍वती साहू जैसे बहुत से लोगों के लिए ये कुंभ दुख बनकर आया है।


  

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