कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने वायनाड से दाखिल किया पर्चा, यहां हिंसक हाथी हैं मुद्दा
नामांकन दाखिल करने के बाद राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी के साथ एक खुले वाहन में रोडशो भी किया।
गाँव कनेक्शन 4 April 2019 8:15 AM GMT
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केरल के वायनाड से लोकसभा चुनाव 2019 के लिए परचा दाखिल कर दिया है। पर्चा दाखिल करते वक्त उनके साथ उनकी बहन और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी भी मौजूद थीं। इसके अलावा केरल कांग्रेस के बड़े नेता के सी वेणुगोपाल और मुकुल वासनिक परचा दाखिले के समय मौजूद थे। वायनाड जिला मुख्यालय में उन्होंने जिला कलेक्टर ए आर अजयकुमार को जरूरी दस्तावेज सौंपें। वायनाड सीट से राहुल गांधी के खिलाफ एलडीएफ (वाम मोर्चा) ने भाकपा के पी. पी. सुनीर और बीजेपी नीत एनडीए ने बीडीजेएस के तुषार वेल्लापल्ली को मैदान में उतारा है।
नामांकन दाखिल करने के बाद राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी के साथ एक खुले वाहन में रोडशो भी किया। चिलचिलाती गर्मी के बीच, महिलाओं और युवाओं सहित पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं ने पार्टी के झंडे लहराए और नारे लगाए। हालांकि इस दौरान कार्यकर्ताओं की भीड़ से अफरा-तफरी मच गई। जिसकी वजह से बैरिकेडिंग टूट गया और कुछ पत्रकार घायल हो गए। रोड शो कवर करते वक्त कुछ पत्रकार ट्रक से गिर गए। राहुल गांधी ने वाहन से उतर कर इन पत्रकारों को एम्बुलेंस तक पहुंचाया।
आपको बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पहली बार दो सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले उत्तर प्रदेश की अमेठी संसदीय सीट उनकी पारम्परिक सीट रही है, जहां से वह एक बार फिर जोर-आजमाइश करेंगे। अमेठी में उनका मुकाबला बीजेपी के स्मृति ईरानी से होगा जिन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को कड़ी टक्कर दी थी।
बीजेपी का कहना है कि राहुल गांधी अमेठी में हार रहे हैं, इसलिए उन्होंने इस कदम को उठाया है। जबकि कई राजनीतिक विशेषज्ञ इसे कांग्रेस की सोची-समझी रणनीति बता रहे हैं। उनका कहना है कि इस कदम से राहुल गांधी अमेठी में अपना गढ़ बचाने में तो कामयाब रहेंगे जबकि केरल में भी कांग्रेस को फायदा होगा। गौरतलब है कि 2016 के केरल विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की यूडीएफ गठबंधन को वाम दलों की एलडीएफ गठबंधन से हार का सामना करना पड़ रहा था। कांग्रेस को 25 सीट और 6.97 वोट प्रतिशत की हानि हुई थी। आपको बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की यूडीएफ गठबंधन को 20 में से 12 सीट मिली थी। कांग्रेस केरल में उसी प्रदर्शन को दोहराना चाहती है।
वायनाड में हिंसक हाथियों का मुद्दा है प्रमुख
वायनाड में हिंसक हाथियों का आतंक है। स्थानीय आदिवासियों के लिए यह एक बड़ा मुद्दा है। वायनाड जिले की करीब 18 प्रतिशत आबादी अदिवासियों की हैं। इस लोकसभा सीट के तहत दो विधानसभा क्षेत्र सुल्तान बतेरी और मनानतवाडी आते हैं। वायनाड के जंगलों में रहने वाले आदिवासियों का कहना है कि हमारे पास मकान या छप्पर नहीं है। कोई सड़क नहीं है, पीने का पानी नहीं है। हमें नेताओं से अधिक उम्मीदें भी नहीं हैं।
वहीं आदिवासी महिलाओं का कहना है कि हाथियों से निपटना और उनके हमलों से बचना सबसे बड़ा मुद्दा है। उनका कहना है कि जंगलों के भीतर हमारे घरों में हाथियों के हमलों का डर रहता है। इस बार हम वोट नहीं देंगे। इन चुनावों में वोट डालने का कोई फायदा नहीं है। इस क्षेत्र में सदियों से आदिवासियों का बसेरा रहा है। वायनाड के जंगलों में पनिया, कुर्म, अदियार, कुरिचि और कत्तुनाईकन आदिवासियों के घर हैं।
वायनाड में पिछले चार दशक से आदिवासियों के लिए काम कर रहे डॉक्टर जितेन्द्र नाथ ने समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा को बताया कि परंपरागत रूप से वायनाड आदिवासियों का घर रहा है। उन्हें कभी जमीन मालिक बनने की फिक्र नहीं रही, लेकिन अब वह अपने ही घर में बेघर हो गए हैं।
(भाषा से इनपुट)
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