मध्य प्रदेश: गुना में 15 दिन में 250 चमगादड़ों की मौत, निपाह वायरस को लेकर अलर्ट जारी किया गया
Diti Bajpai 15 Jun 2019 1:20 PM GMT
लखनऊ। मध्यप्रदेश के गुना जिले के विजयपुर में स्थित नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (NFL) के परिसर में 15 दिनों के अंदर 250 चमगादड़ों की मौत हो गई है। प्रशासन ने इस जिले में निपाह वायरस (Nipah virus) को लेकर हाई अलर्ट भी घोषित कर दिया गया है।
एनएफएल के पीआरओ प्रकाश रंजन ने गाँव कनेक्शन को फोन पर बताया, "पिछले 10-15 दिनों से गर्मी काफी बढ़ गई थी तो रोज 10 से 15 चमगादड़ मरकर गिर रहे थे। धीरे-धीरे इनकी संख्या 250 हो गई। सूचना देने के बाद स्वास्थ्य विभाग और पशुचिकित्सकों की टीम ने मरे चमगादड़ों का सैम्पल ले लिया है। लेकिन अभी यह नहीं पता चला है कि उनमें निपाह वायरस था या नहीं।"
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक निपाह एक ऐसा वायरस है, जो अन्य जानवरों से भी इंसानों में फैल सकता है। यह जानवरों और इंसानों दोनों में गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है। इस वायरस का मुख्य स्रोत चमगादड़ है, जो फल खाते हैं। ऐसे चमगादड़ों को फ्लाइंग फोक्स के नाम से भी जाना जाता है।
चमगादड़ जिस पेड़ पर रहते है वे उसके फलों को संक्रमित करते है और जब उस फल को कोई जानवर या मनुष्य खा लेता है तो उस पर निपाह वायरस के फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
इंसानों या जानवरों को इस बीमारी को दूर करने के लिए अभी तक कोई इंजेक्शन नहीं बना है। सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक निपाह वायरस का इंफेक्शन इंसेफ्लाइटिस से जुड़ा है जिसमें दिमाग को नुकसान होता है। निपाह वायरस के रोगी 24-48 घंटों के भीतर कोमा में जा सकता है।
निपाह वायरस को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने एनएफएल कैंपस में रहने वाले करीब 700 परिवारों और आसपास के 10 गांवों में जांच करना शुरू किया है। गुना जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.पी. बुनकर ने बताया, "हमारी और पशुचिकित्सकों की टीम ने मिलकर चमगादड़ों को दफनाया है साथ ही सैंपलों को लेकर भोपाल भेज दिया है ताकि पता चल सके कि जो मरे चमगादड़ है वह निपाह से संक्रमित है या नहीं। अभी इसकी रिपोर्ट नहीं आई है।"
अपनी बात को जारी रखते हुए उन्होंने डॉ बुनकर ने बताया, "एनएफएल कैंपस के अलावा पूरे जिले में लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि कटे और गिरे हुए फलों का सेवन न करे बल्कि उन्हें दफना दें और चमगादड़ के संपर्क में न आएं।" निपाह के बारे में जानकारी देते हुए डॉ बुनकर बताते हैं, "चमगादड़ निपाह वायरस से खुद नहीं मरते हैं लेकिन फैलाने का काम करते हैं।
3 जून 2019 को केरल के कोच्चि में 23 साल के एक छात्र के खून में निपाह वायरस पाया गया है, जिसके बाद केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. हर्षवर्द्धन ने भरोसा दिया था कि बीमारी से निपटने के लिए ऑस्ट्रेलिया में विकसित एनवाईवी रोधक एक दवा राज्य को प्रदान की जाएगी। निपाह वायरस का नाम मलेशिया के एक गांव सुनगई निपाह पर रखा गया है जहां पहली बार इसका पता चला था।
वर्ष 2001 में भारत में आया था पहला मामला
निपाह वायरस का पहला मामला भारत में वर्ष 2001 में पश्चिम बंगाल में सिल्लीगुड़ी जिले में सामने आया था। वहीं इस वायरस का दूसरा मामला पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में साल 2007 में सामने आया था। ये दोनों जिले बांग्लादेश के बॉर्डर से करीब हैं। निपाह वायरस का ये तीसरा मामला केरल में सामने आया है।
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