मध्य प्रदेश : सीएचओ भर्ती में मांगा छह माह का सर्टिफिकेट, अधर में लटके डेढ़ लाख डिग्रीधारी युवा
सीएचओ भर्ती में आवेदन के लिए अंतिम तारीख आठ अक्टूबर है और अगर सरकार ने जल्द ही कोई फैसला नहीं लिया तो इन डेढ़ लाख अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में लटक जाएगा।
Sachin Tulsa tripathi 5 Oct 2020 10:15 AM GMT
सतना (मध्य प्रदेश)। मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) ने हाल में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) के पद के लिए 3,800 पदों के लिए भर्तियाँ निकाली हैं। मगर एनएचएम ने इस बार इस पद की अर्हता में सर्टिफिकेट इन कम्युनिटी हेल्थ (सीसीएच) भी मांगा है। ऐसे में पहले से डिग्रीधारी और नर्सिंग पास आउट अभ्यर्थी इन भर्तियों में आवेदन करने से बाहर हो गए हैं।
सरकार के इस फैसले से प्रदेश में नर्सिंग के करीब डेढ़ लाख पास आउट अभ्यर्थियों के सामने संकट खड़ा हो गया है। डिग्रीधारी और नर्सिंग काउंसिल से रजिस्ट्रेशन के बावजूद वे सिर्फ सर्टिफिकेट न होने की वजह से भर्तियों में आवेदन करने के लिए पात्र नहीं हैं।
नाराज अभ्यर्थी अब सरकार के इस कदम के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। ये अभ्यर्थी सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और भर्ती के नियमों में तुरंत संशोधन किये जाने की मांग कर रहे हैं।
सरकार के इस फैसले के खिलाफ भोपाल में अन्य युवा अभ्यर्थियों के साथ प्रदर्शन कर रहे महेंद्र कुमार 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "सीएचओ भर्ती में कम्युनिटी हेल्थ का सर्टिफिकेट मांगे जाने का मतलब यही है कि मध्य प्रदेश सरकार केवल बीएससी नर्सिंग फोर्थ इयर वालों को फायदा पहुंचाना चाह रही है। यानी साल 2016 में बीएससी नर्सिंग में एडमिशन लेने वाले छात्र ही पात्र होंगे। इससे पहले 2015 बैच के छात्र तो इससे बाहर ही हो गए, क्योंकि उनके पास सर्टिफिकेट नहीं है, भला क्यों? जबकि वे मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल से रजिस्ट्रेशन भी करा चुके हैं।"
असल में 18 सितम्बर को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मध्य प्रदेश ने सीएचओ की भर्ती के लिए बीएससी नर्सिंग के साथ जिस सर्टिफिकेट इन कम्युनिटी हेल्थ (सीसीएच) की मांग की है वो छह माह का कोर्स है।
इससे पहले मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी, जबलपुर ने पांच अगस्त 2020 को अपने आदेश में कहा कि सत्र 2019-20 में बीएससी नर्सिंग और पोस्ट बेसिक नर्सिंग के फाइनल ईयर के सिलेबस में इंटीग्रेटेड सर्टिफिकेट इन कम्युनिटी हेल्थ को शामिल कर लिया गया है। अब इसी सर्टिफिकेट की सीएचओ की भर्ती के लिए कर रहे हैं। इस पर मध्य प्रदेश के नर्सिंग छात्र संगठन सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं।
नर्सिंग छात्र संगठन में सागर जिले के अध्यक्ष राहुल चौरसिया 'गांव कनेक्शन' से बताते हैं, "पिछले छह महीने से स्कूल, कॉलेज बंद हैं, ऐसे में बीएससी नर्सिंग, पोस्ट बेसिक बीएससी के फाइनल इयर में पढ़ रहे विद्यार्थियों को किस माध्यम से सीसीएच का पाठ पढ़ाया गया होगा?"
राहुल सवाल उठाते हैं, "सरकार गलत समय पर वैकेंसी निकाल रही है। वह 2015 बैच के रजिस्टर्ड नर्सिंग छात्रों को नौकरी नहीं देना चाहती इसलिए इंटीग्रेटेड कोर्स का बहाना बना कर अप्रशिक्षित कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर रख कर आम जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करना चाह रही है।"
बैचलर ऑफ साइंस (नर्सिंग) चार साल और पोस्ट बेसिक बीएससी दो साल का कोर्स है। यह जीएनएम (3 वर्ष) के बाद किया जा सकता है।
ग्वालियर के नर्सिंग छात्र उपेन्द्र गुर्जर कहते हैं, "राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्य प्रदेश सीएचओ के माध्यम से अपंजीकृतों से काम कराना चाहता है। इनके अंडर में एएनएम, एमपीडब्ल्यू और आशा कार्यकता आएंगी जो इनसे ज्यादा अपने कार्य में निपुण हैं। ऐसे में कार्य स्थल पर भेद पैदा होगा।"
आयुष्मान भारत अभियान के आंकड़ों पर गौर करें तो मध्य प्रदेश में 3,286 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर हैं। 2,014 में सब हेल्थ सेंटर, 1,143 प्राथमिक हेल्थ सेंटर और 132 अर्बन प्राइमरी हेल्थ सेंटर हैं। इन्हीं केन्द्रों के लिए एनएचएम सीएचओ पर 3,800 पदों पर भर्ती कर रहा है। इसके लिए आवेदन की अंतिम तिथि आठ अक्टूबर रखी गई है।
सतना के एक और नर्सिंग पास आउट अभ्यर्थी राम प्रसाद कुशवाहा कहते हैं, "सरकार अपात्र लोगों को सीएचओ बनाने का प्रयास कर रही है। इस कोरोना काल में अगर कोई सर्टिफिकेट दिया गया होगा तो वह अमान्य है क्योंकि कॉलेज नहीं खुले हैं।"
राम प्रसाद कहते हैं, "अगर ऑनलाइन भी पढ़ाया गया होगा तो क्या इंजेक्शन लगाना भी ऑनलाइन सीखा देंगे? इस भर्ती के लिए प्रदेश के रजिस्टर्ड नर्सिंग डेढ़ लाख छात्र सिरे से अपात्र हो गए क्योंकि इससे पहले तक नर्सिंग कोर्स में सीसीएच था ही नहीं।"
गाँव कनेक्शन ने इस संबंध में जानकारी के लिए एनएचएम एमपी संचालक छवि भारद्वाज से मोबाइल पर कई बार संपर्क करना का प्रयास किया लेकिन बातचीत नहीं हो सकी।
इधर मध्य प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने मिशन संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को पत्र लिखकर नर्सिंग छात्रों के मांगों पर विचार करते हुए कार्रवाई करने की बात कही है। फिलहाल इन पदों में आवेदन के लिए अंतिम तारीख आठ अक्टूबर है और अगर सरकार ने जल्द ही कोई फैसला नहीं लिया तो इन डेढ़ लाख अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में लटक जाएगा।
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