लोकसभा चुनाव से पहले किसानों को राहत देने की तैयारी में मोदी सरकार

सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार उन किसानों से कृषि कर्ज पर ब्याज लेना बंद कर सकती है जो समय पर अपनी कर्ज किस्‍तों का भुगतान करते हैं।

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लोकसभा चुनाव से पहले किसानों को राहत देने की तैयारी में मोदी सरकार

नयी दिल्‍ली (भाषा)। लोकसभा चुनावों (Loksabha elections 2019) से पहले किसानों को केंद्र सरकार की ओर से नए साल का तोहफा मिल सकता है।सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार उन किसानों से कृषि कर्ज पर ब्याज लेना बंद कर सकती है जो समय पर अपनी कर्ज किस्‍तों का भुगतान करते हैं। इससे सरकारी खजाने पर 15 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्‍त बोझ पड़ेगा।

सूत्रों ने बताया कि इसके अलावा खाद्यान्न फसलों के बीमा पर प्रीमियम को भी पूरी तरह से माफ करने का प्रस्ताव है। बागवानी फसलों की बीमा का प्रीमियम भी कम किया जा सकता है। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हाल में हुये विधानसभा चुनावों में सत्ता गंवाने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार कृषि क्षेत्र की बदहाली पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों के भीतर इस बारे में उच्चस्तरीय बैठकों के कई दौर चले हैं। इन बैठकों में बंपर फसल उत्पादन के बाद किसानों को उचित कीमत नहीं मिल पाने की समस्या को दूर करने की योजना पर चर्चा की गयी। किसानों को तत्काल राहत देने के बारे में एक प्रस्ताव यह है कि ठीक समय पर कृषि कर्ज की किस्‍त चुकाने वाले किसानों पर चार प्रतिशत ब्याज का भार पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाये।


अभी किसानों को तीन लाख रुपये तक का ऋण सात प्रतिशत की ब्याज दर से दिया जाता है। समय पर ब्याज भरने वाले किसानों को सरकार की तरफ से पहले ही तीन प्रतिशत की अतिरक्ति छूट दी जा रही है। सरकार ने चालू वित्‍त वर्ष में किसानों को 11 लाख करोड़ रुपये का कर्ज देने का बजट लक्ष्य तय किया है। पिछले वित्‍त वर्ष में सरकार ने 10 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य पार कर किसानों को 11.69 लाख करोड़ रुपये का ऋण दिया था।

केंद्र सरकार इस समय सामान्य रूप से किसानों को ब्याज की दो प्रतिशत सहायता तथा समय पर भुगतान करने पर ब्याज की पांच प्रतिशत की सहायता योजना पर सालाना करीब 15 हजार करोड़ रुपये का खर्च वहन करती है। सूत्रों ने कहा कि यदि समय पर कर्ज चुकाने वाले किसानों को पूरी की पूरी ब्याज के बराबर सब्‍सिडी दी जाए तो यह बोझ बढ़कर 30 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगा।

इसके अलावा सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में भी राहत देने की योजना बना रही है। इसके तहत खाद्यान्न फसलों के बीमा पर पूरी तरह से प्रीमियम छोड़ना तथा बागवानी फसलों की बीमा पर प्रीमियम में राहत देने पर विचार चल रहा है। इस योजना के तहत खरीफ फसलों पर दो प्रतिशत, रबी फसलों पर डेढ़ प्रतिशत और बागवानी एवं व्यावसायिक फसलों पर पांच प्रतिशत प्रीमियम किसानों को देना होता है। शेष प्रीमियम का भुगतान केंद्र सरकार तथा संबंधित राज्य सरकारें आधा-आधा करती हैं।


सूत्रों के अनुसार, किसान अभी खरीफ तथा रबी फसलों पर करीब पांच हजार करोड़ रुपये का प्रीमियम भर रहे हैं। यदि प्रीमियम में छूट दी गयी तो किसानों का बोझ और कम हो जाएगा। फसल वर्ष 2017-18 के दौरान देश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 4.79 करोड़ किसानों को लाभ मिला। राजनीतिक विश्‍लेषकों का मानना है कि किसानों की बदहाली लोकसभा चुनाव का मुख्य मुद्दा रहने वाली है। इसके पीछे कांग्रेस की तीन प्रमुख हिंदी राज्यों में कृषि ऋण माफी की घोषणा को मुख्य बजह माना जा रहा है।

वहीं, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद शुक्रवार को कैबिनेट बैठक के फैसलों को लेकर प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर रहे थे। इस दौरान जब उनसे पूछा गया कि क्‍या सरकार किसानों को लेकर काई ठोस फैसला लेने जा रही है? इसके जवाब में उन्‍होंने कहा, ''हमारी सरकार किसानों के विकास और उसकी बेहतरी के लिए काम कर रही है। हमने उसकी आमदनी बढ़ाने का काम किया है। आगे अगर कोई फैसला लेंगे तो बताया जाएगा।''

   

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