2019 में किसानों को लुभाने के लिए मोदी सरकार कर सकती है कर्जमाफी

केंद्र की बीजेपी सरकार 2019 चुनाव से पहले ग्रामीण मतदाताओं को लुभाने के लिए कर्जमाफी का मास्‍टर स्‍ट्रोक खेल सकती है।

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2019 में किसानों को लुभाने के लिए मोदी सरकार कर सकती है कर्जमाफी

लखनऊ। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्‍थान के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन राज्‍यों में बीजेपी की हार की सबसे बड़ी वजह ग्रामीण मतदाताओं और किसानों के बीच उसकी गिरती साख है। ऐसे में केंद्र की बीजेपी सरकार 2019 चुनाव से पहले ग्रामीण मतदाताओं को लुभाने के लिए कर्जमाफी का मास्‍टर स्‍ट्रोक खेल सकती है।

न्यूज एजेंसी रॉयर्टस के मुताबिक, सरकारी सूत्रों से जानकारी मिली है कि चुनावों में हार के बाद सरकार कर्जमाफी को लेकर योजना बना रही है। करीब 4 लाख करोड़ रुपये तक का कर्ज माफ किया जाएगा। इससे पहले 2008 में यूपीए सरकार ने करीब 72 हजार करोड़ रुपये तक की कर्जमाफी की थी। इसका फायदा उसे उसे 2009 के लोकसभा चुनाव में मिला था और यूपीए की दूसरी बार सत्ता में वापसी हुई थी।


बता दें, भारत में करीब 26 करोड़ 30 लाख किसान हैं। केंद्र सरकार इन्‍हीं किसान मतदाताओं के बीच पैठ बनाना चाहती है। हालांकि सरकार का ये फैसला देश की आर्थव्‍यवस्‍था पर भारी भी पड़ सकता है। इससे राजकोषीय घाटा बढ़ने का अनुमान है। फिलहाल देश का राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3 प्रतिशत से अधिक हो चुका है। ऐसे में सरकार ने इस वित्‍तीय वर्ष राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.3 प्रतिशत (6.24 लाख करोड़) तक सिमित रखने की योजना बनाई है। ऐसे में अगर कर्जमाफी का फैसला लिया जाता है तो राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है।

कर्जमाफी बना चुनाव जीतने का हिट फॉर्मूला

कर्जमाफी अब चुनावा जीतने के लिए सबसे अच्‍छा मुद्दा बन गया है। साल 2017 में जब उत्‍तर प्रदेश के चुनाव थे। उस वक्‍त बीजेपी ने कर्जमाफी का मुद्दा ही उठाया था। इसका असर ये हुआ कि बीजेपी को यहां पूर्ण बहुमत मिल गया। 2017 में ही पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया था। यहां भी फॉर्मूला सफल रहा। इस बार मध्‍य प्रदेश चुनाव में राहुल गांधी भी सरकार बनने के 10 दिनों के अंदर कर्जमाफ करने की बात करते आए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ग्रामीण मतदाताओं के बीच इसका असर देखने को मिला और कांग्रेस को यहां जीत मिली है।

हालांकि, अर्थशास्त्री और किसान नीति विश्षेलक पहले भी कहते आए हैं कि किसानों का कर्ज माफ करना कोई विकल्‍प नहीं है। ख्याति प्राप्त अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज के मुताबिक, "सरकारों को किसानों को कर्ज से उबारने के लिए कर्जमाफी करनी चाहिए, लेकिन सिर्फ इसी से ही कृषि में सुधार नहीं आएगा। सरकार को किसानों के लिए सस्ते बीज, उर्वरक के साथ ही आसानी से लोन मिले इसकी व्यवस्था करनी चाहिए।"

वहीं, देश के जाने में कृषि नीति विश्षेलक देविंदर शर्मा अपने लेख में लिखते हैं, ''मुझे लगता है कि अब वक्त आ गया है कि खेती-किसानी के कर्जे माफ़ करने की मांग करने की बजाय थोड़ा रचनात्मक या कल्पनाशील बना जाए।'' फिलहाल सरकार आने वाले चुनाव में ग्रामीण मतदाताओं के बीच पैठ बनाने के लिए कर्जमाफी के विकल्‍प पर ही विचार कर रही है। क्‍योंकि इस विधानसभा चुनाव में हार और लगातार हो रहे किसान आंदोलनों ने सरकार को मजबूर कर दिया है कि वो इस ओर कोई ठोस कदम उठाए।

  

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