इंसानों की हिंसा से भारत में हर दिन होती है पांच पशुओं की मौत: रिपोर्ट

पिछले दस साल में चार लाख से अधिक पशुओं को चोट पहुंचाई गई या जान से मार दिया गया है, यहां तक कि उनके साथ बलात्कार भी किया गया, भारत में पशुओं के खिलाफ हिंसा पर जारी रिपोर्ट में सामने आया है।

Divendra SinghDivendra Singh   17 Feb 2021 3:59 PM GMT

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इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर रोज़ पांच पशु, इंसानों की हिंसा का शिकार होकर मारे जाते हैं। पिछले दस साल में 4,93,910 पशु इंसानों की हिंसा का शिकार हुए हैं। ये आंकड़े, पशुओं पर काम करने वाले विभिन्न एनजीओ और स्वयं सेवी संस्थाओं से लिए गए हैं। इन आंकड़ों में बूचड़खानों, चिड़िया घर, प्रयोगशाला और दुर्घटनाओं में मारे गए जानवरों को शामिल नहीं किया गया हैं। हालांकि पिछले दस साल में रिपोर्ट हुए मामलों की संख्या 2,400 है।

पशु अधिकारों के लिए काम करने वाली गैर सरकारी संस्था फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशन (FIAPO) और ऑल क्रिएचर ग्रेट एंड स्मॉल (ACGS) ने मिलकर साल 2010 से 2020 तक देश भर में इंसानी हमलों का शिकार जानवरों पर ये रिपोर्ट तैयार की है।

सबसे अधिक हिंसा के मामले गधे-खच्चरों के साथ देखे गए। फोटो: दिवेंद्र सिंह

भारत में जानवरों के खिलाफ इंसानी हिंसा पर यह पहली रिपोर्ट है, 'In Their Own Right – Calling for Parity in Law for Animal Victims of Crimes' शीर्षक की इस रिपोर्ट को दस साल में तैयार किया गया है। इस रिपोर्ट में साल 2010 से 2020 तक तीन श्रेणियों- पालतू जानवर, काम करने वाले जानवर और सड़क पर रहने वाले जानवरों के खिलाफ हुए अपराधों को डाक्यूमेंट और उसकी एनालिसिस की है। इस रिपोर्ट में पशुओं को हिंसा से बचाने के लिए कई सिफ़ारिशें की गई हैं। जिनमें कल्याण, संरक्षण और अधिकारों के लिए एक अलग मंत्रालय स्थापित करने, पशुओं से संबंधित अपराधों को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) में शामिल करने और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 में बदलाव लाने की भी मांग की गई है।

"हमने इस रिपोर्ट में जिन मामलों को डॉक्यूमेंट किया है, उससे जानवरों के खिलाफ होने वाली हिंसा की भयावहता का पता चलता है, ज्यादातर मामलों को तो रिपोर्ट ही नहीं किया जाता, ये तो बस कुछ ही मामले हैं। लोग इसे क्रूरता कहते हैं, लेकिन ये क्रूरता से बहुत अधिक है। यह शारीरिक शोषण, मानसिक शोषण है, हत्या और बलात्कार जैसे मामले हैं, जानवरों के खिलाफ अपराधों को भी गंभीर अपराधों में रखा जाना चाहिए," फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशन (FIAPO) की कार्यकारी निदेशक, वर्दा मेहरोत्रा ने कहा।

रिपोर्ट से पहले सभी को उम्मीद थी कि कुत्ते-बिल्ली और कुछ जंगली जानवरों के ज्यादा केस होंगे, लेकिन रिपोर्ट के चौकाने वाले नतीजे आएं हैं। फोटो: दिवेंद्र सिंह

इस रिपोर्ट में पशुओं के लिए काम करने वाली संस्थाओं और लोगों से मिले डेटा को शामिल किया गया है, जिन्होंने पशुओं के खिलाफ हुए अपराधों को सोशल मीडिया/मीडिया में पब्लिश किया है या फिर अपराध के खिलाफ पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई है। रिपोर्ट के अनुसार, इंसानी हिंसा की वजह से हर दिन औसतन पांच पशुओं की मौत हो जाती है, लेकिन मामले सामने न आने के कारण वास्तविक आंकड़े कम से कम दस गुना अधिक हो सकते हैं, जिसका मतलब है कि हर दिन 50 पशुओं की मौत यानी हर घंटे कम से कम दो जानवरों की मौत हो रही है।

साल 2010 से 2020 के बीच कुल 4,93,910 जानवर इंसानों की हिंसा का शिकार हुए। इनमें 3,80,000 खच्चर, 54,198 गोवंश, 21,685 घोड़े, 19,472 कुत्तों और 8,520 पक्षियों के साथ हिंसा के मामले सबसे अधिक हैं।

कुल 4,93,910 मामलों में 47 प्रजाति के पशु-पक्षियों के साथ अपराध के मामले दर्ज किए गए।

इस रिपोर्ट में जानवरों के ख़िलाफ़ हुए जिन गंभीर अपराधों का उदाहरण के तौर पर ज़िक्र किया गया है, उनमें में गोवा में एक कुत्ते के साथ बलात्कार, तेलंगाना में एक लंगूर को लटकाकर पीट-पीट कर मार देने और लुधियाना में स्ट्रीट डॉग को स्कूटर से बांधकर मारने के बाद दूसरी मंज़िल से नीचे फेंक देने के मामले शामिल हैं। जानवरों के प्रति हिंसा को रोकने के लिए कड़े कानून लागू करने और समाज में लोगों की मानसिकता में बदलाव लाना होगा, कि जानवर भी इंसानों के बराबर ही हैं।

ऑल क्रिएचर ग्रेट एंड स्मॉल (ACGS) की मैनेजिंग ट्रस्टी अंजलि गोपालन कहती हैं, "शिक्षा, जागरूकता, व संवेदना की कमी पशुओं के साथ होने वाले अपराधों को बढ़ावा देती है। 90 प्रतिशत मामलों की रिपोर्ट ही नहीं की जाती है। कड़े कानून और पशुओं को कानूनी संरक्षण देकर ही इन मामलों पर रोक लगाई जा सकती है। समाज की मानसिकता में भी बदलाव लाने की जरूरत है कि वो जानवरों को इंसान के बराबर समझें।"

मीडिया और सोशल मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सबसे अधिक मामले साल 2019 में देखे गए।

रिपोर्ट में 2,400 ऐसे केस शामिल किए गए, जिन्हें 2010-2020 के बीच रिपोर्ट किया गया था। रिपोर्ट के लेखक, वकील और पशुओं के अधिकार के लिए काम करने वाले आलोक हिसारवाला गुप्ता गाँव कनेक्शन को बताते हैं, "हमने अलग-अलग माध्यमों से पशुओं के साथ हुई हिंसा को इकट्ठा किया, इनमें 2,400 केस ऐसे मिले जो रिपोर्ट किए गए थे। रिपोर्ट में सोशल मीडिया और मीडिया में रिपोर्ट एक हजार मामलों का विश्लेषण किया गया जिसमें पाया गया कि इन एक हज़ार मामलों में से 82 यौन शोषण के, 266 हत्या के, 400 खौलते पानी या तेजाब डालने के थे। रिपोर्ट के अनुसार, इन 2,400 केस में सबसे ज्यादा केस (700) साल, 2019 में दर्ज किए गए।

इस रिपोर्ट में सिफ़ारिश की गई है कि अभी तक भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड (AWBI), पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन विभाग के अंर्तगत आता है, जोकि उत्पादन पर भी काम करता है, इसलिए इसके लिए अलग मंत्रालय बनाया जाना चाहिए, जिससे पशुओं के खिलाफ होने वाली हिंसा को कम किया जा सके। इसके साथ ही राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो में पशुओं के साथ होने वाली घटनाओं को भी दर्ज किया जाना चाहिए और जानवरों के खिलाफ होने वाले अपराध की गंभीरता के अनुसार सजा तय करनी चाहिए।

    

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